किसान आंदोलन को लेकर अटकलों के बीच संयुक्त मोर्चा की बुधवार को फिर होगी बैठक, टिकैत बोले-आंदोलन यहीं रहेगा
गाँव कनेक्शन | Dec 07, 2021, 13:08 IST
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय से मोर्चा को एक लिखित मसौदा मिला है। आंदोलन और मसौदे पर चर्चा के लिए बुधवार को दोबारा बैठक होगी।
नई दिल्ली। किसान आंदोलन को लेकर मंगलवार की बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बुधवार को एक बार फिर 2 बजे सिंघू बॉर्डर पर बैठक करेंगे।
तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कमेटी के आश्वसन के बाद किसान आंदोलन की वापसी को लेकर अटकलें तेज हैं, हालांकि किसान संगठनों ने बार-बार कहा है कि एमएसपी गारंटी, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस की वापसी के मुद्दे पर जब तक ठोस आश्ववासन नहीं मिल जाता है आंदोलन खत्म नहीं होगा। मंगलवार की बैठक में शामिल रहे भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा, "700 से अधिक मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे के लिए हम चाहते हैं कि केंद्र पंजाब मॉडल का पालन करे। मृतक किसानों के परिजनों को 5 लाख का मुआवजा और पंजाब सरकार की तरह सरकारी नौकरी भी दी जानी चाहिए।"
उधर, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि हम आपकी मांगों पर सहमत है और किसानों को आंदोलन खत्म कर देना चाहिए। लेकिन सरकार का प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है। इसी मुद्दे पर कल दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी, आंदोलन कहीं नहीं जा रहा है, किसान यहीं रहेंगे।"
बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय से संयुक्त किसान मोर्चा को एक लिखित मसौदा मिला है। प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके अलावा आगे की चर्चा के लिए बुधवार को दोपबर 2 बजे दोबारा बैठक होगा। संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से वार्ता के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जो आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने, आंदोलन के दौरान कई राज्यों में (खासकर हरियाणा) में किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने आदि के मुद्दे पर वार्ता करेगी।
एक साल और 10 दिन से किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु रहे सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को अहम बैठक में हुई। जिसमें कृषि कानूनों की वापसी के अलावा अन्य मांगों पर चर्चा हुई।
आंदोलनकारी किसान दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, चीका और शाहजहांपुर बॉर्डर पर 26 नवंबर 2020 से आंदोलनरत है। इस दौरान 700 के करीब किसानों की जान गई है। कई दौर की असफल वार्ताएं हुईं। किसानों ने सर्दी, बारिश और गर्मी झेली। कई ऐसे मौके भी जाए जब लगा कि ये आंदोलन खत्म हो जाएगा लेकिन किसान अपनी मांगों पर अडे रहे। 19 नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया और संसद में कानून वापस ले लिए गए, उसके बावजूद किसान अपनी दूसरी मांगों को लेकर अडिग रहे। किसान कृषि कानूनों की वापसी के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है एमएसपी की गारंटी में ही किसानों का भविष्य सुरक्षित है।
तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कमेटी के आश्वसन के बाद किसान आंदोलन की वापसी को लेकर अटकलें तेज हैं, हालांकि किसान संगठनों ने बार-बार कहा है कि एमएसपी गारंटी, मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस की वापसी के मुद्दे पर जब तक ठोस आश्ववासन नहीं मिल जाता है आंदोलन खत्म नहीं होगा। मंगलवार की बैठक में शामिल रहे भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा, "700 से अधिक मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे के लिए हम चाहते हैं कि केंद्र पंजाब मॉडल का पालन करे। मृतक किसानों के परिजनों को 5 लाख का मुआवजा और पंजाब सरकार की तरह सरकारी नौकरी भी दी जानी चाहिए।"
For compensation to over 700 deceased farmers' kin, we want the Centre to follow Punjab model; Rs 5 lakh compensation and a job as announced by Punjab govt should be implemented by Govt of India as well: Gurnam Singh Charuni, BKU pic.twitter.com/2lIuQVWMl1
— ANI (@ANI) December 7, 2021
बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय से संयुक्त किसान मोर्चा को एक लिखित मसौदा मिला है। प्रस्ताव के कुछ बिंदुओं पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसके अलावा आगे की चर्चा के लिए बुधवार को दोपबर 2 बजे दोबारा बैठक होगा। संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से वार्ता के लिए 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था, जो आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवजा देने, आंदोलन के दौरान कई राज्यों में (खासकर हरियाणा) में किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने आदि के मुद्दे पर वार्ता करेगी।
एक साल और 10 दिन से किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु रहे सिंघु बॉर्डर पर हुई संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को अहम बैठक में हुई। जिसमें कृषि कानूनों की वापसी के अलावा अन्य मांगों पर चर्चा हुई।
आंदोलनकारी किसान दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, चीका और शाहजहांपुर बॉर्डर पर 26 नवंबर 2020 से आंदोलनरत है। इस दौरान 700 के करीब किसानों की जान गई है। कई दौर की असफल वार्ताएं हुईं। किसानों ने सर्दी, बारिश और गर्मी झेली। कई ऐसे मौके भी जाए जब लगा कि ये आंदोलन खत्म हो जाएगा लेकिन किसान अपनी मांगों पर अडे रहे। 19 नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया और संसद में कानून वापस ले लिए गए, उसके बावजूद किसान अपनी दूसरी मांगों को लेकर अडिग रहे। किसान कृषि कानूनों की वापसी के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून चाहते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है एमएसपी की गारंटी में ही किसानों का भविष्य सुरक्षित है।