लखनऊ। सड़क हादसों में अगर सही प्राथमिक उपचार मिल जाए तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। शहर में तो अस्पताल और एम्बुलेंस की सुविधा होती है पर गाँवों में ऐसी प्राथमिक उपचार की सुविधा बहुत कम है। ऐसे में अगर लोगों को प्राथमिक उपचार का ज्ञान हो तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।
देश में हर घंटे लगभग 16 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवां देते हैं। वर्ष में सड़क हादसों में 1.41 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई जो 2013 के मुकाबले तीन फीसदी ज्यादा थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2013-14 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मृत्यु का आंकड़ा 1.37 करोड़ है। इनमें से अधिकांश मृत्यु सड़क हादसों में हुई हैं। हादसों का शिकार हुए 2.3 फीसदी लोग विकलांगता का शिकार हुए हैं। इन हादसों में मौत की सबसे बड़ी वजह समय पर प्राथमिक उपचार का नहीं मिल पाना बताया गया है।
प्राथमिक उपचार का उद्देश्य
-घायल-मरीज व्यक्ति के जीवन की रक्षा करना।
-मरीज की स्थिति अधिक खराब होने से बचाना।
जरूरी जानकारी
किसी भी तरह की चोट या हादसे में घायल व्यक्ति को फौरी तौर पर मिलने वाली राहत को प्राथमिक उपचार कहते हैं और इस उपचार के दौरान उपयोग में आने वाले साधनों (दवाइयों, मरहम, पट्टी) को प्राथमिक उपचार किट कहते हैं। इसकी मदद से सिर्फ सड़क हादसों के दौरान ही नहीं जलने, कटने या किसी जीव जन्तु के काटने पर प्राथमिक उपचार दिया जा सकता है।
किट में वस्तुएं
थर्मामीटर, रुई, एंटीस्पेटिक लोशन, ओआरएस, ग्लुकोज पाउडर, एलोवीरा जेल (आग लगने पर),पट्टी-महीन कपड़ा, कैंची-चिमटी, बुख़ार, सर्दी, दर्द निवारक दवाएं
एयरवे ब्रीथिंग सर्कुलेशन
प्राथमिक उपचार शुरू करने से पहले घायल-मरीज़ व्यक्ति की जांच के लिए पहले तीन चीजों को अहमियत दी जाती है, जिसे प्राथमिक उपचार की एबीसी (एयरवे ब्रीथिंग सर्कुलेशन) के नाम से जाना जाता है। यानि सबसे पहले देखें कि व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत न हो रही है। अगर हां तो फिर उसे मुंह से भी सांस दी जा सकती है। इसके बाद उसकी पल्स नाड़ी देखें साथ ही अगर खून बह रहा है तो उसके रोकने की कोशिश करें।
प्राथमिक उपचार
खून बहना : अगर घायल का खून बह रहा है तो सबसे पहले घाव को साफ करके खून रोकने की कोशिश करें। घाव पर मरहम लगाकर उस पर बैंडेज कर दें।
नाक से खून निकलने पर : घायल के मुंह को ऊपर उठाकर रखें। फिर भी खून न बंद होने पर घायल की नथुनों में उगलियों की सहायता से उसे कुछ देर के लिए बंद कर दें। घायल को मुंह से सांस लेने के लिए प्रेरित करें। नाक, माथे और गर्दन के पीछे बर्फ अथवा ठंडे पानी की पट्टी रखें।
आग से जलने पर : आग लगने की दशा में व्यक्ति पर भारी कपड़ा जैसे कंबल, दरी, रज़ाई लपेट कर आग से दूर ले जाएं। नायलान के कपड़ों का बिल्कुल इस्तेमाल न करें। घायल को इस तरह लिटाएं कि जला हुआ हिस्सा ऊपर रहे। कुछ देर बाद उसके कंबल, कपड़ों को हटा दें। अगर जलन गर्म तेल या पानी से है तो शरीर के उस हिस्से को ठंडे पानी में दर्द कम होने तक रखें। मामूली जले होने पर एलोवेरा जेल या वैसलीन लगाएं और तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाएं।
सांप के डंसने पर: व्यक्ति को हौसला दें और घाव को पानी-साबुन से साफ करें। घाव पर दवाब न डाले। लेकिन घाव के थोड़ा ऊपर के हिस्से पर करीब 20 मिनट के लिए कस कर बांध दें। घाव से किसी कीमत पर मुंह न लगाएं।
डंक : व्यक्ति को शांत रखें और डंक को दबाएं नहीं। चिमटी की मदद से डंक को बाहर निकालें और उस स्थान पर बर्फ घिसें।
जानवर काटने पर : कुत्ता-बंदर आदि काटने पर घाव को साफ कर तुरंत प्राथमिक उपचार लें।
बेहोशी : मरीज को सीधा ज़मीन पर लिटा दें। कमर और छाती के कपड़ों को ढीला कर दें। मरीज को घेर कर न रखें साथ ही उसे कुछ खिलाएं-पिलाएं नहीं। होश में आने पर उसे ग्लूकोज़ पाउडर पिलाएं।
सांस : अगर घायल मरीज़ को सांस लेने में दिक्कत है तो उसे मुंह से मुंह या फिर उसकी नाक में फूंक कर मदद की जा सकती है।
सबसे खतरनाक राज्य : उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान। 2014 में यूपी में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 16,284 और तमिलनाडु में यह आंकड़ा 15,000 रहा।
नोट : उपयुक्त उपाय सिर्फ प्राथमिक उपचार है। जो व्यक्ति की हालत और उसकी गंभीरता पर निर्भर हैं। इसीलिए सिर्फ संदेह के आधार पर गलत उपचार न दें। इससे मरीज की हालत बदतर हो सकती है। जितनी जल्दी संभव को मरीज को अस्पताल ले जाएं।
रिपोर्ट- प्रतिभा अग्निहोत्री
(लेखिका : मेडिकल क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं।)