लखनऊ। भारत में एक जुलाई 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया है। जीएसटी उन लोगों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आया है, जो अकाउंटैंसी तो जानते हैं, लेकिन किसी कारणवश सीए की परीक्षा पास नहीं कर पाते हैं। ऐसे लोगों की संख्या हमारे देश में लाखों में है, क्योंकि सीए की अंतिम परीक्षाओं में उतीर्ण करने वालों का प्रतिशत अमूमन दो से लेकर पांच के बीच रहता है। असफल रहने वाले अधिकांश लोगों को हताशा का सामना करना पड़ता है। ऐसे युवाओं के लिए जीएसटी ने जॉब और बिजनेस के नए द्वार खोल दिए हैं। माना जा रहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद 20 हजार करोड़ रुपए का टैक्स और टेक कंसल्टेंट बिजनेस की संभावना बन गई है।
बनें जीएसटी सर्विस प्रोवाइडर
जीएसटी के बाद जो काम या बिजनेस निकलकर सामने आया है, उनमें जीएसटी सर्विस प्रोवाइडर (जीएसपी) प्रमुख है। इस काम से जुड़ी कंपनी या व्यक्ति लाखों छोटी-बड़ी कंपनियों, उनके वेंडर्स, दुकानों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बिजनेस रजिस्ट्रेशन कराने, इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉइस अपलोड करने, टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर फाइल करने और जीएसटी नेटवर्क से जुड़ी चीजें व प्रक्रियाएं जानने-समझने में मदद करते हैं। चूंकि अधिकांश लोगों के लिए जीएसटी अभी भी पहेली ही बना हुआ है, ऐसे में कानूनी पेचीदगियों से बचने के लिए सभी को इनकी मदद चाहिए।
एप्लीकेशन सर्विस प्रोवाइडर (एएसपी) में भी मौका
जीएसपी के अलावा जीएसटी ने एप्लीकेशन सर्विस प्रोवाइडर (एएसपी) के लिए भी संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। एएसपी ऑनलाइन फाइलिंग के लिए टैक्सपेयर्स के सेल्स और परचेज डाटा का उपयोग करते हुए उसे जीएसटी रिटर्न में कन्वर्ट करते हैं। यहां भी अकाउंटैंसी और टैक्स की समझ रखने वालों की बड़ी जरूरत है। एएसपी उन लोगों को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिन्हें इस सेक्टर की बुनियादी समझ है।
संबंधित खबर :- जीएसटी का गणित अभी भी नहीं समझ पा रहे अनाज व्यापारी
सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर
जीएसपी और एएसपी के अलावा जीएसटी से सॉफ्टवेयर सर्विस प्रोवाइडर के लिए भी काफी अवसर निकल आए हैं। यहां भी कम्प्यूटर और सॉफ्टवेयर की बुनियादी समझ रखने वालों की जरूरत है।
जोरदार डिमांड है जीएसटी सर्विस प्रोवाइडर की
जीएसटी सर्विस प्रोवाइडर की मांग कितनी अधिक है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि एसएमई के लिए फंड जुटाने समेत अन्य काम में लगी छोटी-छोटी कंपनियां भी जीएसटी सर्विस प्रोवाइडर बन गई हैं। इससे उनके काम को विस्तार मिल रहा है और आने वाले दिनों में विस्तार की और अधिक संभावनाएं बन रही हैं।
संबंधित खबर :- कहीं जीएसटी के नाम पर आपकी तो नहीं कट रही जेब, रखें इन बातों का ध्यान
कितने युवा पास करते हैं सीए
वर्ष 2014 में सीए फाइनल एग्जाम पास करने वालों का प्रतिशत महज 3.1 था। 2015 में यह थोड़ा बेहतर होकर पांच फीसदी के आसपास था। हालांकि 2016 के नवंबर में समाप्त फाइनल एग्जाम में पास करने वालों का प्रतिशत 11.57 था। इस प्रतिशत भारी उलटफेर होता है और कभी-कभी यह काफी नीचे चला जाता है, जबकि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटैंसी ऑफ इंडिया (आईसीएआई) साल में दो बार फाइनल एग्जाम संचालित करता है। हर एग्जाम में 30 से लेकर 45 हजार के बीच छात्र शामिल होते हैं।