सवाल : डेंगू और आम बुखार में अंतर कैसे करें ?
जवाब : सिर्फ बुखार आ रहा है और कमज़ोरी है तो ज़रूरी नहीं वो डेंगू ही हो। अगर ठंड लगने के साथ बुखार चढ़ता है, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द है तो ये हो सकता है डेंगू हो। सिर दर्द,जी मिचलाना और आंखों में दर्द या स्किन पर लाल चकत्ते होना डेंगू के लक्षण हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। खुद से कोई दवा नहीं लेना चाहिए। आजकल यूट्यूब या गूगल पर जाकर लोग अपना या मरीज़ का इलाज करने लगते हैं जो गलत है।
सवाल : डेंगू की बीमारी होती क्यों है वो भी बरसात में ज़्यादा ?
जवाब : बरसात में मच्छरों की अधिकता होती है ये सही है, लेकिन डेंगू के मच्छर गंदगी में नहीं साफ जगह पर पैदा होते हैं। जो लोग शहरों में साफ-सुथरी जगहों पर रहते हैं, उन्हें डेंगू का खतरा अधिक होता है। मादा एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। जिसके बाद इंसान के शरीर में बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। डेंगू बुखार वायरस चार तरह के स्ट्रेन से फैलता है। अगर किसी इंसान को उसके जीवन मे एक बार डेंगू हुआ है तो दूसरी बार डेंगू बुखार के संक्रमित होने पर उसके लक्षण अधिक गंभीर देखे जाते है। इससे डेंगू हॅमरेजिक बुखार,डेंगू शॉक सिन्ड्रोम, डेंगू हॅमरेजिक बुखार में नाक, मसूड़े और उल्टी से खून आता है। कई बार मरीज़ होश खो देता है। इसमें बल्ड प्रेशर भी कम होने लगता है।
सवाल : डेंगू से बचने का रास्ता क्या है ?
जवाब : देखिए जब बरसात का मौसम खत्म होता है और सर्दी शुरू होने वाली होती है तो उस समय डेंगू के अधिक मरीज़ आते हैं। नवंबर तक डेंगू का खतरा ज़्यादा होता है। इससे बचाव करना चाहिए। बचाव आसान है। कोशिश करें इस दौरान घर या दफ्तर में कहीं भी खुले में साफ़ पानी जमा न हो।
गमलों का पानी सप्ताह में एक बार तो जरूर बदलें। जिन बर्तनों में पानी रखा हो, उनके ढक्कन अच्छी तरह बंद कर दें।
एयर कूलर और फ्रिज को साफ रखें, जमा हुआ पानी उससे बीच बीच में निकालते रहें। पानी की टंकियां अच्छी तरह कस कर बंद करने की व्यवस्था होनी चाहिए। एक सीढ़ी भी होना ज़रूरी है, ताकि समय समय पर टंकी की साफ-सफाई की जा सके। पानी के ओवर फ्लो पाइप को जाली से ढक कर रखना चाहिए।
मच्छर से बचने के लिए ऐसे कपड़े पहले जिससे आपकी त्वचा पर डेंगू का मच्छर हमला न कर सके। बड़े, बुजुर्ग या बच्चे सभी इम्यूनिटी बूस्ट करें। तभी डेंगू से बच सकते हैं।
सवाल : डेंगू में प्लेटलेट काउंट पर कैसे काबू पाया जा सकता है, ये है क्या ?
जवाब : चिंता की कोई बात नहीं है , बस मरीज़ को समय पर जैसा मैंने कहा डॉक्टर के पास ले जाए। आमतौर पर ये बच्चों में या शिशुओं में गंभीर हो जाता है। खून में प्लेटलेट पेशी की संख्या तेजी से कम होती रहती है जिससे रोगी को जान का खतरा हो जाता हैं। रोजाना रोगी के प्लेटलेट काउंट की जांच की जानी चाहिए। इसे “थ्रोम्बोसाइटोपेनिया” सिचुएशन कहते है।
सवाल : इस बीमारी के दौरान अगर डॉक्टर के पास कोई नहीं जा पा रहा है या दूर है तो क्या करे ?
जवाब : सबसे पहले तो ध्यान रखना है की शरीर में पानी की कमी न हो। विटामिन डी और ई से भरपूर भोजन या डॉक्टर से फोन पर भी अगर बात हो गई है तो उनके बताये गए सुझाए से सप्लीमेंट्स लेने वालों की सेहत में तेज़ी से सुधार आता है।
ये ध्यान देना है, शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। क्योंकि जिन लोगों में विटामिन डी, बी 12 और ई की कमी होती है वो मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की शिकायत ज़्यादा करते हैं। अगर किसी को लगता है डेंगू है तो वह पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक गोलियां ले सकता है लेकिन एस्परिन के इस्तेमाल से बचना चाहिए। पर डॉक्टर की सलाह पर। बार बार कह रहा हूँ हमेशा कोशिश करें डॉक्टर दवा बताएं।
सवाल : क्या डेंगू एक मरीज़ से दूसरे में फैलता है?
जवाब : जैसा मैंने पहले कहा, डेंगू संक्रमित एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है, लेकिन एक संक्रमित गर्भवती माँ भ्रूण को वायरस दे सकती है। इसके अलावा, खून दान करने या अंग दान से भी मुमकिन है। आपको सिर्फ ये ध्यान रखना मछर कैसे दूर रहे। अगर उससे भगा दिया तो कई बीमारी से आप और आपका परिवार सुरक्षित रहेगा।
डॉ के सी नैथानी मैक्स केयर (अस्पताल), दिल्ली एनसीआर में डायरेक्टर हैं