लखनऊ। किसी भी अपराध के बाद अपराधी को पकड़वाने या मोबाइल चोरी होने पर IMEI नंबर एक सबूत की तरह होता है। क्योंकि मोबाइल की IMEI नंबर के जरिए मोबाइल को ट्रैक करके अपराधी को पकड़ लिया जाता है। लेकिन कई बार मोबाइल के IMEI में छेड़छाड़ करके उसे बदल दिया जाता है। इसी के चलते सरकार ने मोबाइल के IMEI नंबर से छेड़छाड़ पर सख्त रुख अपनाया है।
15 डिजिट के इस नंबर से छेड़छाड़ करने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। सरकार की इस पहल का मकसद फेक आईएमईआई नंबर जारी करने से रोकना और गुम या चोरी हो चुके मोबाइल फोन को ट्रैक करने में मदद पहुंचाना है। डॉट (डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम) ने जारी किया नोटिफिकेशन… – यह नया रूल ”द प्रिवेंशन ऑफ टेम्परिंग ऑफ द मोबाइल डिवाइस इक्विपमेंट नंबर” है। इस रूल के तहत कोई भी व्यक्ति जो मोबाइल यूज कर रहा है, वह आईएमईआई नंबर में बदलाव या सॉफ्टवेयर व यूनिक नंबर से छेड़छाड़ नहीं कर सकता है।
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आखिर क्या है IMEI नंबर
IMEI एक मोबाइल हैंडसेट की यूनिक आईडी होती है। जब भी कोई यूजर कॉल करता है, तो उसका कॉल रिकॉर्ड कॉल करने वाले का नंबर और उसके हैंडसेट का आईएमईआई नंबर बताता है। मोबाइल नंबर को सिम बदल कर बदला सकता है। एक आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आईएमईआई नबंर को केवल स्पेशल इक्विपमेंट के जरिए टेक्निकल जानकारी रखने वाला शख्स ही बदल सकता है। मोबाइल डिवाइस का यह यूनिक नंबर ग्लोबल इंडस्ट्री बॉडी GSMA और उसकी ओर से ऑथराइज्ड यूनिट जारी करती है।
क्यों है IMEI जरूरी?
जब भी कोई मोबाइल फोन गुम हो जाता है, तो उसकी ट्रैकिंग के लिए IMEI नंबर की जरूरत होती है। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम ने IMEI नंबर से छेड़छाड़ की शिकायतों के बाद जून में सख्त नियम बनाने की प्रॉसेस शुरू कर दी थी। IMEI नंबर से छेड़छाड़ से पुलिस और अन्य दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के लिए मोबाइल हैंडसेट को ट्रैक करना मुश्किल हो रहा था।
2009 में डॉट ने की थी सख्ती
डॉट ने 2009 में टेलिकॉम कंपनियों को फेक आईएमईआई नंबर के मोबाइल फोन पर सर्विस देने से रोक दिया था। लेकिन, टेलिकॉम ऑपरेटर्स को डुप्लिकेट आईएमईआई नंबर वाले फोन को आईडेंटिफाई करने में मुश्किलें आ रही हैं। मोबाइल फोन ट्रैकिंग मामले में डीओटी की टेलिकॉम इन्फोर्समेंट रिर्सोसेस एंड मॉनिटरिंग (टीईआरएम) सेल ने पाया कि करीब 18 हजार हैंडसेट एक ही आईएमईआई नंबर पर चल रहे थे।
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डॉट ने टेलिग्रॉफ एक्ट में किए बदलाव
डॉट ने नए रूल्स को इंडियन टेलिग्रॉफ एक्ट के सेक्शन 7 और सेक्शन 25 में शामिल किया है। सेक्शन 7 के तहत डीओटी टेलिकॉम या टेलिग्रॉफ सर्विस के लिए नियम तय कर सकता है और सेक्शन 25 के तहत वह टेलिग्रॉफ लाइन, मशीन और उससे जुड़े इक्विपमेंट के नुकसान होने के मामलों को डील करता है। इसमें तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। डॉट एक नया सिस्टम ला रहा है जिसके तहत वह चोरी या गुम हुए मोबाइल पर किसी भी नेटवर्क की सभी सर्विसेज ब्लॉक कर सकता है। इसमें सिम कार्ड बदलने या आईएमईआई नंबर बदलने पर भी ये हैंडसेट बेकार हो जाएंगे।
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