आईआईटी मद्रास ने विकसित की भूकंप की प्रभावी पूर्व-चेतावनी प्रणाली

जब भूकंप आता है, तो यह भूकंपीय तरंगों की एक श्रृंखला उत्पन्न करता है। तरंगों के पहले सेट को पी-वेव कहा जाता है, जो हानि-रहित होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन तरंगों की शुरुआत का पता लगाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके आगमन के समय का एक सटीक अनुमान एक मजबूत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद कर सकता है, जिससे विनाशकारी भूकंप तरंगों के अगले सेट के आने के बीच के समय का आकलन किया जा सकता है।

India Science WireIndia Science Wire   12 Nov 2021 8:50 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
आईआईटी मद्रास ने विकसित की भूकंप की प्रभावी पूर्व-चेतावनी प्रणाली

वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप के केंद्र और निगरानी स्थल के बीच की दूरी के आधार पर यह लीड समय 30 सेकंड से 2 मिनट तक हो सकता है। फोटो: पिक्साबे

भूकंप के आने के सटीक समय का अनुमान न केवल मजबूत पूर्व-चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद कर सकता है, बल्कि इससे विनाशकारी तरंगों के भूमि की सतह से टकराने के बीच लगभग 30 सेकंड से 2 मिनट का लीड समय भी मिल सकता है। यह अवधि कम लगती है, पर कई उपायों के लिए यह पर्याप्त हो सकती है, जिनसे अनिगिनत जिंदगियां बच सकती हैं। इनमें परमाणु रिएक्टरों और मेट्रो जैसी परिवहन सेवाओं को बंद करना और लिफ्ट या एलिवेटर्स को रोकने जैसे उपाय शामिल हैं, जो भूकंप की स्थिति में जान-माल के नुकसान को कम करने में मददगार हो सकते हैं।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं ने भूकंप का सटीक ढंग से पता लगाने के लिए एक नया दृष्टिकोण विकसित किया है। इस प्रस्तावित समाधान में भूकंप के संकेतों में उसकी प्राथमिक तरंगों का सटीक आकलन और उनका चयन शामिल है, जो बेहद छोटा, मगर महत्वपूर्ण लीड समय प्रदान करता है, जिसमें भूकंप से जिंदगियां बचाने के उपाय किए जा सकते हैं

यह शोध आईआईटी मद्रास में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अरुण के. तंगीराला के नेतृत्व में किया गया है। शोधकर्ताओं में प्रोफेसर तंगीराला के अलावा आईआईटी मद्रास में पीएचडी शोधकर्ता कंचन अग्रवाल शामिल हैं। उनका यह अध्ययन शोध पत्रिका प्लॉस वन में प्रकाशित किया गया है। यह अध्ययन आंशिक रूप से परमाणु ऊर्जा विभाग के एक सलाहकार निकाय, 'बोर्ड ऑफ रिसर्च इन न्यूक्लियर साइंसेज' द्वारा वित्त पोषित किया गया है।

जब भूकंप आता है, तो यह भूकंपीय तरंगों की एक श्रृंखला उत्पन्न करता है। तरंगों के पहले सेट को पी-वेव कहा जाता है, जो हानि-रहित होती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन तरंगों की शुरुआत का पता लगाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके आगमन के समय का एक सटीक अनुमान एक मजबूत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद कर सकता है, जिससे विनाशकारी भूकंप तरंगों के अगले सेट के आने के बीच के समय का आकलन किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप के केंद्र और निगरानी स्थल के बीच की दूरी के आधार पर यह लीड समय 30 सेकंड से 2 मिनट तक हो सकता है।

सभी मौजूदा पी-तरंगों की पहचान की विधियां सांख्यिकीय सिग्नल प्रोसेसिंग और समय-श्रृंखला मॉडलिंग पर आधारित आइडिया के संयोजन पर आधारित हैं। हालांकि, इन विधियों की अपनी कुछ सीमाएं हैं और ये कई समुन्नत आइडिया को पर्याप्त रूप से समायोजित नहीं करती हैं। समय-आवृत्ति (time-frequency) या अस्थायी-वर्णक्रमीय स्थानीयकरण (temporal-spectral localization) विधि से समायोजित करके ऐसी विधियों की प्रभावशीलता को बढ़ाया जा सकता है।

आईआईटी मद्रास का यह नया अध्ययन इस अंतर को पाटने में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। यह अध्ययन समय-आवृत्ति स्थानीयकरण सुविधा के साथ भविष्यवाणी ढांचे में एक नया रीयल-टाइम स्वचालित पी-वेव डिटेक्टर और पिकर का प्रस्ताव पेश करता है। इस प्रस्तावित दृष्टिकोण में पी-वेव तरंगों के उभरने का सटीक रूप से पता लगाने के लिए आवश्यक क्षमताओं का एक विविध सेट शामिल है, विशेष रूप से कम सिग्नल-टू-नॉइज अनुपात (एसएनआर) स्थितियों में, जिस पर मौजूदा तरीके प्रायः विफल होते हैं।

प्रोफेसर तंगीराला ने कहा, "यह जरूरी नहीं है कि प्रस्तावित ढांचा भूकंपीय घटनाओं का पता लगाने तक ही सीमित है, बल्कि इसका व्यापक उपयोग हो सकता है। इसका उपयोग भ्रंशों का पता लगाने और अलगाव के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा, यह मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग मॉडल को समायोजित कर सकता है, जो इस तरह के आकलन में मानवीय हस्तक्षेप को कम करेगा।"

इस अध्ययन में शामिल अन्य शोधकर्ता कंचन अग्रवाल अग्रवाल ने कहा, "पी-वेव आगमन की जानकारी घटना के अन्य स्रोत मापदंडों जैसे- परिमाण, गहराई और भूकंप के केंद्र को निर्धारित करने में भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, पी-वेव डिटेक्शन, जो मजबूत और सटीक हो, भूकंपीय घटना के विवरण का सही अनुमान लगाने और भूकंप या अन्य संबंधित घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम करने में उपयोगी हो सकती है।"

#earthquake IIT Madras #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.