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क्या भारत-भूटान एक साथ मिलकर बिजली की कमी को पूरा कर पाएँगे?

हाल ही में भारत और भूटान ने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों के अलग अलग पहलुओं पर चर्चा की और नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि, युवाओं के आदान-प्रदान, पर्यावरण,वानिकी और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति जताई।
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आधुनिक युग में समाज और अर्थव्यवस्था की स्थिरता और सामर्थ्य के लिए ऊर्जा संसाधनों की महत्वपूर्ण ज़रूरत को हम सभी समझ रहे हैं, क्योंकि यह हमारी आने वाली पीढ़ी के लिये हमारी जिम्मेदारी की तरह हो गया है। प्रकृति पर सौर और जल विद्युत ऊर्जा दोनों ही आविष्कारी और सामर्थ्य पूर्ण ऊर्जा स्रोत हैं जो स्थायी, प्रदूषण मुक्त, और संवेदनशील ऊर्जा के लिए संभावनाएं प्रदान करते हैं।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भूटान की राजधानी थिम्पू में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि, युवाओं के आदान-प्रदान, पर्यावरण व वानिकी और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति जताई।

भारत और भूटान के बीच दीर्घकालिक और असाधारण संबंध हैं, जिसमें सभी स्तरों पर अत्यधिक विश्वास, सद्भावना और आपसी समझ शामिल है। उनकी इस बैठक से पहले, प्रधानमंत्री मोदी और भूटान के प्रधानमंत्री ने ऊर्जा, व्यापार, डिजिटल कनेक्टिविटी, अंतरिक्ष, कृषि, युवा संपर्क आदि से संबंधित विभिन्न समझौता ज्ञापनों के साक्षी बने।

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर उद्घाटन के बाद सौर ऊर्जा का निर्णय लिया; क्योंकि ऊर्जा आवश्यकताओं में आत्मनिर्भरता हासिल करना प्रधानमंत्री का प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है। सौर ऊर्जा, सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा, हमारे प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। इसकी प्राप्ति समय के साथ निरंतर रहती है और इसका उपयोग बिना किसी प्राकृतिक संसाधन की अनियंत्रित उपज किए हमेशा चला जा सकता है। इससे हम ग्लोबल वार्मिंग और अन्य पर्यावरणीय संकटों का सामना कर सकते हैं।

सौर ऊर्जा का उपयोग हमें विद्यमान ऊर्जा स्रोतों के उचित उपयोग के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। यह हमें ऊर्जा की स्थिरता में सुधार करने का अवसर प्रदान करता है और भविष्य के लिए बेहतर संभावनाएं सिद्ध करता है। इस प्रकार सौर ऊर्जा और जल विद्युत दोनों ही हमारे समाज और पर्यावरण के लिए आवश्यक हैं, जो हमें एक सुरक्षित, स्थिर और सामर्थ्यवान भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। इसलिए, हमें इन ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए और उन्हें विकसित करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

इस दिशा में पिछले माह ही भारत ऊर्जा सप्ताह गोवा में आयोजित किया गया जिसमें यह भारत की सर्वोच्च और एकमात्र विशिष्ट ऊर्जा प्रदर्शनी और सम्मेलन रहा। यह मंच भारत के ऊर्जा पारगमन लक्ष्यों के लिए संपूर्ण ऊर्जा मूल्य श्रृंखला को एक मंच प्रदान करेगा और उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। प्राकृतिक सौर ऊर्जा स्रोतों की स्वाभाविक उपस्थिति और अवैज्ञानिक उपयोग के संबंध में भारतीय सभ्यता एक प्रमुख योगदान कर रही है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक लागू किया जा सकता है। इसमें सौर ऊर्जा पानेल, सौर ऊर्जा उत्पादन प्लांट्स, और सौर ऊर्जा को बैटरी स्टोरेज में भी संभावनाएं शामिल हैं। यह विकल्प न केवल ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ाते हैं बल्कि वातावरण को भी स्वच्छ रखते हैं।

जल विद्युत भी एक महत्वपूर्ण साधन है जो ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित और स्थायी बनाता है। हाइड्रोपावर प्लांट्स और मिनी हाइड्रोपावर स्थल जल विद्युत के प्रमुख उदाहरण हैं। ये स्थल सीमित जल स्रोतों का उपयोग करते हैं और साथ ही प्रदूषण को भी कम करते हैं। भारत में सौर ऊर्जा और जल विद्युत के विकास के लिए कई उदाहरण हैं, जैसे कि कायाकल्प विद्युत योजना, जो विशेष रूप से महानगरों और कुछ बडे शहरों के लिए सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।

भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के ऊर्जा दक्षता ब्यूरो तथा भारत सरकार के ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के ऊर्जा विभाग और भूटान की शाही सरकार के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में, भारत का लक्ष्य ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा विकसित स्टार लेबलिंग कार्यक्रम को बढ़ावा देकर घरेलू क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में भूटान की सहायता करना है। भूटान की जलवायु स्थिति के अनुरूप बिल्डिंग कोड तैयार करने में भारत के अनुभव के आधार पर मदद की जाएगी। ऊर्जा लेखा परीक्षकों के प्रशिक्षण को संस्थागत बनाकर भूटान में ऊर्जा पेशेवरों के एक समूह के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

इसके अलावा रिटेल विक्रेताओं के प्रशिक्षण से स्टार रेटेड उपकरणों से बचत के संबंध में उपभोक्ता-लोगों के बीच ऊर्जा कुशल उत्पादों के प्रसार में मदद मिलेगी। भारत का लक्ष्य मानक व लेबलिंग योजना को विकसित करने और लागू करने के प्रयास में भूटान का समर्थन करना है। अगर देखा जाए तो ज्यादा बिजली की खपत करने वाले होम एप्लायंसेज या कमर्शियल यूनिट्स द्वारा सबसे ज्यादा बिजली की खपत होती है।

ज़्यादा बिजली खपत करने वाली उपभोक्ता वस्तुओं में तेजी से वृद्धि को देखते हुए विद्युत ऊर्जा की माँग हर साल बढ़ रही है। अगर उपभोक्ता उच्च दक्षता वाले उपकरण पसंद करते हैं तो इस बढ़ती माँग को अनुकूलित किया जा सकता है। बीईई देश के स्टार-लेबलिंग कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है जिसमें अब दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले 37 उपकरण शामिल हैं।

यह समझौता ज्ञापन विद्युत मंत्रालय द्वारा विदेश मंत्रालय (एमईए) और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के परामर्श से तैयार किया गया है। यह समझौता ज्ञापन भारत और भूटान के बीच ऊर्जा दक्षता एवं ऊर्जा संरक्षण से संबंधित सूचना, डेटा और तकनीकी विशेषज्ञों के आदान-प्रदान को सक्षम करेगा। इससे भूटान को बाजार में ऊर्जा कुशल उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। यह समझौता ज्ञापन ऊर्जा दक्षता नीतियों और ऊर्जा दक्षता अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग के क्षेत्र में सहयोग का विश्लेषण करेगा।

सौर ऊर्जा और जल विद्युत के उपयोग से, भारत स्वतंत्र और सामर्थ्य पूर्ण ऊर्जा स्रोतों की दिशा में अग्रसर हो रहा है, जो लंबे समय तक सतत ऊर्जा आपूर्ति की गारंटी प्रदान करता है। इसके अलावा, यह प्रदूषण को कम करने में भी मदद करता है, जिससे वातावरण को सुरक्षित रखा जा सकता है। इस प्रकार, सौर ऊर्जा और जल विद्युत न केवल ऊर्जा संक्रांति के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये विकास के लिए भी एक महत्वपूर्ण चरण हैं जो भारत को ऊर्जा स्वतंत्रता और संरचनात्मक सुरक्षा की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

(डॉ अमित वर्मा, स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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