आगरा में अंतर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र खुलने से ऐसे बढ़ेगी किसानों की आय

जल्द ही किसान भाइयों को आलू अब आम नहीं खास फसल होने का एहसास कराएगा। लम्बे समय से अंतर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र खोलने की योजना को यूपी सरकार की मंजूरी मिलने से किसानों को न सिर्फ आलू के बेहतरीन बीज मिलेंगे, अच्छी कमाई भी हो सकेगी।
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कम खर्च में आलू की बंपर पैदावार से मालामाल होने की बात अब हकीकत में बदलने वाली है, जी हाँ जल्द ही आगरा के सींगना में अंतर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र खुलेगा। तैयारी शुरू हो गई है।

राजधानी दिल्ली से 215 किलोमीटर दूर आगरा के सींगना में इस केंद्र के खुलने से न सिर्फ आलू के दुर्लभ किस्म के बीज मिल सकेंगे, सही दाम देने वाले खरीददार भी होंगे। किसानों को आलू की बर्बादी और सही दाम नहीं मिलने का अब रोना नहीं होगा। यानी देश के बाहर भी आलू निर्यात करने का रास्ता आसान होगा। आलू का निर्यात होने से किसानों को उपज का अच्छा दाम मिलेगा

इस केंद्र के यहाँ खुलने से किसानों को अच्छी उपज वाली किस्म का बीज मिलने से दुनिया की दुर्लभ बेहतरीन आलू किस्में मिलेंगी। औषधीय गुणों वाले रंगीन आलू का उत्पादन खुद यहाँ के किसान कर सकेंगे , नई प्रसंस्करण योग्य प्रजातियों का विकास भी केंद्र पर होगा।

खास बात ये है कि आलू का जन्मदाता दक्षिण अमेरिका का पेरू भी अब यहाँ आलू पर शोध कर सकेगा। लीमा (पेरू) स्थित इंटरनेशनल सेंटर ऑफ पोटैटो (सीआईपी) लम्बे समय से इस काम को पूरा करने में जुटा है। केंद्र के खुलने से देश के सभी राज्यों के आलू किसानों को इससे फायदा होगा। उत्तर प्रदेश में प्रति हेक्टेयर आलू उत्पादन बढ़ाने में मदद तो मिलेगी ही, वहाँ ऐसी किस्मों को भी विकसित किया जा सकेगा जिनकी विदेशों में माँग है।

देश में आलू का कई राज्यों में उत्पादन होता है। सिर्फ उत्तर प्रदेश में 8 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन पर आलू की खेती होती है। करीब 160 लाख मीट्रिक टन आलू यहाँ पैदा किया जाता है जो देश के कुल उत्पाद का 30 फीसदी से भी ज़्यादा है। लेकिन अब तक यहाँ के आलू उस गुणवत्ता के मानकों पर पीछे रह जाते हैं जिसकी निर्यात के लिए ज़रूरत होती है। खुद किसान भी मानते हैं कि इसके ज़्यादा घरेलू इस्तेमाल होने की ये बड़ी वजह है।

अंतर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र खोलने के लिए उद्यान विभाग और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड गुरुग्राम को ज़मीन दी जाएगी। आगरा के सिंगना गाँव के किरावली तहसील में उद्यान विभाग और राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड गुरुग्राम हरियाणा को 99 साल के लिए मुफ्त पट्टे (लीज) पर ज़मीन देना तय हुआ है।

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के पूर्व कृषि वैज्ञानिक डॉ रविशंकर सिंह का मानना है कि इस केंद्र के खुलने से आलू की खेती में सकारात्मक बदलाव आएगा जो किसानों के हित में होगा। यह कृषि और उद्यान के क्षेत्र में एक बड़ा कदम साबित होगा।

Where is the International potato research Institute located?

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