कंगारू मदर केयर: बिना पैसे की वो तकनीक जो आपके बच्चे को बीमारी और मौत से बचा सकती है

कंगारू मदर केयर वह तकनीक है, जिसमें बच्चे को मां के सीने से चिपका कर रखा जाता है, ताकि मां की शरीर की गर्माहट बच्चे तक ट्रांसफर हो पाए। मां का तापमान बच्चे को मिलने से बच्चे का तापमान स्थिर रहता है और उसे ठंडा बुखार होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।"

Sachin Dhar DubeySachin Dhar Dubey   24 Jun 2019 8:57 AM GMT

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कंगारू मदर केयर: बिना पैसे की वो तकनीक जो आपके बच्चे को बीमारी और मौत से बचा सकती है

लखनऊ (उत्तर प्रदेश) बच्चे जब जन्म लेते हैं तो वह बेहद संवेदनशील होते हैं। उन्हें सही देखभाल (केयर) की जरूरत पड़ती है। जन्म लेने से पहले मां के गर्भ में बच्चा एक दम सुरक्षित होता है, लेकिन गर्भ से बाहर आते ही वह तमाम लोगों और बैक्टेरिया से घिर जाता है। बाहरी दुनिया से लड़ने के लिए उसे मां-बाप के प्यार की तो जरूरत पड़ती ही है और भूख लगने पर मां के दूध की। बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी कम होती है। ऐसे में डॉक्टर्स माता पिता को कंगारू मदर केयर तकनीक अपनाने की सलाह देते हैं।

डॉ आरती (चीफ साइंटिफिक ऑफिसर,CEL INDIA ) बताती है, "कंगारू मदर केयर वह तकनीक है, जिसमें बच्चे को मां के सीने से चिपका कर रखा जाता है, ताकि मां की शरीर की गर्माहट बच्चे तक ट्रांसफर हो पाए। मां का तापमान बच्चे को मिलने से बच्चे का तापमान स्थिर रहता है और उसे ठंडा बुखार होने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।"

कंगारु केयर के फायदे को समझाते हुए वो आगे बताती हैं, "इसके अलावा बच्चे के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास होता है। कंगारू मदर केयर तकनीक अपनाने का एक खास तरीका होता है।जब मां बच्चे को केएमसी दे रही हो तो उसकी छाती खुली होनी चाहिए होनी चाहिए। छाती खुली न होने से बच्चे तक वह तापमान नहीं पहुंच पाएगा जो उसके लिए जरूरी है।"

डॉक्टर क्यों देते हैं कंगारू मदर केयर( KMC) अपनाने की सलाह

डॉक्टर अक्सर बच्चे के जन्म के बाद माओं को कंगारू मदर केयर अपनाने की सलाह देते हैं। डॉ विश्वजीत कुमार (सीईओ और प्रिंसिपल साइंटिस्ट, CEL INDIA) बताते हैं कि कंगारू मदर केयर की मदद से एक तीर से कई निशाने लगाये जा सकते हैं। वह आगे बताते हैं, "बच्चे को जन्म के बाद प्यार की जरूरत होती है। जब कंगारू मदर केयर की तहत बच्चा मां के सीने से लगा होता है तो उसे अपनेपन का एहसास होता है। इसके अलावा उसे जब भूख लगती है तो वह मां की छाती के आसपास ही होता है, वहां उसके लिए स्तनपान करना बेहद सहज हो जाता है। साथ ही साथ बच्चे के मानसिक विकास में भी कंगारू मदर केयर तकनीक काफी मदद करता है।"

डॉ विश्वजीत कुमार

डॉ आरती कुमार (चीफ साइंटिफिक ऑफिसर कम्युनिटी लैब ) बताती हैं, "कंगारू मदर केयर बच्चों में मानसिक और शारिरिक विकास में काफी हद तक मदद करता है। उनका कहना है कि बच्चा जब मां के नजदीक होता है, तो तनावमुक्त होता है और अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है। उसकी भूख भी शांत रहती है। बच्चा जो उर्जा इससे पहले रोगों से लड़ने में लगा रहा होता है, वही उर्जा उसके मानसिक और शारिरिक विकास में लग रही होती है। केएमसी पाने वाले बच्चों में मानसिक और शारिरिक विकास अन्य बच्चों के तुलना में ज्यादा होने की संभावना रहती है।"

40 फीसदी नवजातों की बच सकती है जान

डॉ विश्वजीत की माने तो कंगारू मदर केयर तकनीक इतनी प्रभावशाली है कि भारत में अगर इसको सही तरीके से उपयोग में लाया जाए, तो हर साल भारत में बच्चों के जन्म लेने के बाद पहले महीने में होने वाली मौतों में 40 प्रतिशत बच्चों की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। डॉ विश्वजीत बताते हैं कि कंगारू मदर केयर तकनीक अपनाने में एक रुपया भी नहीं लगता है। इसके अलावा इसकी पहुंच गरीबों से लेकर अमीरों तक है। यह तकनीक कोई भी आम आदमी घर बैठे उपयोग में ला सकता है, लेकिन जागरूकता में कमी की वजह से भारत में अभी तक इसका उस तरह से प्रचार प्रसार नहीं हो पाया है।

डॉक्टर आरती कुमार कहती हैं कि जिन बच्चों को कंगारू मदर केयर दिया जाता है उनमें इंफेक्शन का खतरा 70 प्रतिशत कम होता है। ऐसे बच्चे आगे चलकर शारीरिक रूप से काफी तंदुरस्त होते हैं।

देश में कुल 8 लाख नवजात विभिन्न वजहों से तोड़ देते हैं दम

डॉ आरती कुमार आगे बताती हैं कि जितने बच्चे हर साल दुनिया भर में मरते हैं, उतने बच्चे केवल उत्तर प्रदेश में ही जन्म के पहले महीने ही में दम तोड़ देते हैं। यह पूरे भारत में जन्म के 1 महीने के अंदर दम तोड़ने वाले बच्चों का एक चौथाई है। भारत में जन्म के एक महीने के अंदर तकरीबन 8 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। अकेले केवल उत्तर प्रदेश में ही तकरीबन 2 लाख बच्चों की विभिन्न वजहों से जान चली जाती है। ऐसा नहीं है कि उनकी जान नहीं बचाई जा सकती। उनकी जान बच सकती थी। लेकिन उन बच्चों को बचाया नहीं जा सका।

डॉ आरती

डॉक्टरों के मुताबिक कंगारू मदर केयर तकनीक वैसे सभी नए जन्मे बच्चों के लिए जरूरी होता है। लेकिन जो बच्चे जन्म के समय से ही कम वजन के होते हैं, उनके लिए यह वरदान साबित हो सकती है। अगर कंगारू मदर तकनीक का उपयोग सही तरीके से किया जाए, तो अकेले उत्तर प्रदेश में कम वजन और न्यूट्रीशन की कमी से होने वाले मौतों में 25 प्रतिशत की कमी कर सकते हैं।

समान्यत: ज्यादातर कम वजन के जो बच्चे जो होते हैं, उनकी जान बचाने के लिए उन्हें इनक्यूबेटर में रखा जाता है। डॉ विश्वजीत बताते हैं कई शोधों में यह बात निकल कर सामने आई है कि इनक्यूबेटर के मुकाबले कंगारू मदर केयर ज्यादा शक्तिशाली होता है। रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि इनक्यूबेटर के मुकाबले जिन बच्चों को केएमसी दिया जाता है उनमें 40 प्रतिशत कम मृत्यु दर, 72 प्रतिशत कम ठंडा बुखार, 70 प्रतिशत कम इंफेक्शन की होता है।

एंटीबायोटिक की तरह काम करता है केएमसी(KMC) तकनीक

एक इंसान के शरीर में कई तरह के बैक्टेरिया पाए जाते हैं। कुछ बैक्टेरिया इंसान को फायदा पहुंचाने वाले होते हैं तो कुछ नुकसान। डॉ. आरती बताती हैं, "जब बच्चा गर्भ में होता है तो वह एक भी बैक्टेरिया के संपर्क में नहीं रहता है। लेकिन जैसे ही वह मां के गर्भ से बाहर आता है, तो तमाम अच्छे बुरे बैक्टेरिया से घिर जाता है। बैक्टेरिया धीरे-धीरे बच्चे के शरीर जमना शुरू कर देते हैं। बच्चे को जब मां अपनी छाती से चिपका कर रखती है, तो मां और बच्चे दोनों के बैक्टेरिया एक दूसरे में ट्रांसफर होते हैं। बच्चे के खराब बैक्टेरिया भी मां के संपर्क में आ जाता है। इस दौरान मां का शरीर एंटीबायोटिक सेल्स प्रोड्यूस करता है, जो मां के दूध के माध्यम से बच्चे को मिलता है। यह दूध फिर बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।"

डॉक्टरों के मुताबिक मां के सीने के आसपास माइक्रोबायोन बैक्टेरिया ( microbione bacteria) पाए जाते हैं। यह अच्छे बैक्टेरिया होते हैं। जब यह बैक्टेरिया मां से बच्चे में ट्रांसफर होता है, तो बच्चे के शरीर पर मौजूद खराब बैक्टेरिया के लिए एंटी बायोटिक का काम करता है। यह बच्चे के अंदर रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।

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कंगारू मदर केयर तकनीक माओं के लिए भी है फायदेमंद

कुछ माओं में देखा जाता है कि बच्चे को जन्म देने के बाद वह अवसाद में चली जाती हैं। साइंटिफिक भाषा में इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। यह सभी माओं के साथ न होकर केवल कुछ ही माताओं के साथ होता है। अक्सर माओं के अंदर होने वाले इस अवसाद को लोग पहचान नहीं पाते हैं।

मांओं को डिप्रेशन क्यों होता है इसके पीछे कोई निश्चित वजह भी नहीं है। कुछ जगह यह कारण भी दिया जाता है कि बच्चा मां से अलग हो रहा होता है, तो मां डिप्रेशन में चली जाती है। इस दौरान केएमसी न केवल बच्चे के लिए मददगार होता है बल्कि मां के लिए भी फायदेमंद होता है। बच्चा मां के नजदीक रहता है तो मां तनाव से भी मुक्त रहती है और यह मां के अंदर अपनेपन का एहसास लाती है। यह मां अवसाद से बाहर निकालने में भी मदद करता है।

प्रसव के दौरान मां के शरीर से अत्याधिक खून बह जाता है। डॉ विश्वजीत बताते हैं कि इस दौरान जन्म के बाद से ही जब बच्चे को छाती पर ऱखने की सलाह दी जाती है इससे मां के अंदर ऑक्सिटोशिन नामक हार्मोन उत्पन्न होता है। डॉक्टरों के मुताबिक, "आक्सिटोशिन हार्मोन मां और बच्चे दोनों में एक दूसरे के लिए लगाव बढ़ाने में मददगार होता है। मां का शरीर जब आक्शिटोशिन हार्मोन मां उत्पन्न करता है, तो मां का गर्भाशय और प्लेजेंटा सिकुड़ता है और मां के शरीर से खून का बहना भी काफी हद तक कम हो जाता है।"

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सरकार की प्राथमिकताओं में कंगारू मदर केयर तकनीक

संयुक्त राष्ट्र में 2014 में ENAP ( एवरी न्यू बार्न एक्शन प्लान) नाम की पॉलिसी पास की गई। इस पॉलिसी की तहत हर नए जन्में बच्चे की जान बचाने के लिए माता पिता को गाइडलाइन बनाई गई। भारत उन पहले देशों में जिसने यह पॉलिसी अपने यहां उसी साल 2014 में INAP( इंडियन न्यू बार्न एक्शन प्लान) के नाम से लागू किया था। भारत सरकार के इस प्लान का केएमसी एक महत्पूर्ण भाग है। भारत सरकार ने केएमसी की पूरी गाइडलाइन अपने वेबसाइट INAP पर अपलोड कर रखा है। भारत सरकार केएमसी को लेकर काफी गंभीर है। उसके लिए फंड भी दे रही है। लेकिन कई राज्यों में इनमें उदासीनता बरती जा रही है।

उत्तर प्रदेश में है सबसे ज्यादा KMC सेंटर

डॉ आरती बताती हैं, "कंगारू मदर केयर के अभाव में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मौत होती है, लेकिन सबसे ज्याद केएमसी यूनिट केयर की सुविधा देने के मामले में भी उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश में अभी कुल 170 केएमसी केयर यूनिट की सुविधाएं सरकार की ओर से दी जा रही हैं।



2016 में WHO के एक कार्यक्रम की तहत CEL INDIA और भारत सरकार को उत्तर प्रदेश में केएमसी यूनिट्स खोलने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। प्रदेश रायबरेली में पूरे जिलास्तर पर सबसे ज्यादा कंगारू मदर केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं। अब तक रायबरेली में 18 कंगारू मदर केयर सेंटर खोले जा चुके हैं। बाकि जिलों में यह अभी जिला अस्पताल तक ही सीमित है।जुलाई 2016 में पहला केएमसी यूनिट उत्तर प्रदेश में VAB हास्पिटल में लगाने के बाद अब तक 50 हजार बच्चों को यह सुविधाएं दी जा चुकी है।

    

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