लखनऊ। पिछले कुछ वर्षों में युवाओं का सबसे ज्यादा रुझान आईटी सेक्टर की ओर बढ़ा है। देश में ऐसे युवाओं की भी कमी नहीं है, जो हाई स्कूल या इंटरमीडिएट के बाद कम्प्यूटर कोर्स करना चाहते हैं। ये शॉर्ट-टर्म कोर्स न सिर्फ कम्प्यूटर स्किल्स को बढ़ाते हैं, बल्कि नौकरी के रास्ते भी खोल देते हैं जिसकी वजह से आगे विद्यार्थियों को ये कोर्स काफी पसंद आ रहे हैं। इसके बारे में बता रहे हैं, लखनऊ के एनआईआईटी कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट के मैनेजर रवीश जैन –
कैसे मिलेंगी नौकरियां
कम्प्यूटर का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है। निजी कंपनियों में कम्प्यूटर या फिर आईटी से जुड़ी नौकरियों में अपार संभावनाएं रहती ही हैं लेकिन डिजिटल इंडिया योजना शुरू होने के बाद सरकारी क्षेत्रों में भी टेक्नोलॉजी से संबंधित नौकरियों के खूब अवसर आने की संभावना है। सरकार इस योजना के लिए एक लाख करोड़ रुपए खर्च करने वाली है।
वहीं माइक्रोसॉफ्ट, टाटा, विप्रो, बिड़ला, एयरटेल, वेदांता आदि जैसी कंपनियां 4.5 लाख करोड़ रुपए निवेश करेंगी। इस पूरे निवेश का जोर देश के डिजिटलाइजेशन पर है। ऐसे में जो जॉब्स सृजित होंगीं, वे किसी न किसी रूप में कम्प्यूटर से जुड़ी होंगी। शुरूआत में एडवांस अकाउंटिंग, डाटा एंट्री, कम्प्यूटर ऑपरेटर, सेल्स, सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर, वेब डिजाइनर, प्रोग्रामर, कस्टमर सर्विस, एप्लिकेशन एनालिस्ट आदि की जॉब के लिए खूब स्कोप है।
कम्प्यूटर से जुड़े 3-4 तरह के शॉर्ट-टर्म कोर्स लोकप्रिय हैं। इनमें बेसिक कम्प्यूटर कोर्स, हाडवेयर एंड नेटवर्किंग कोर्स, सॉफ्टवेयर एंड प्रोग्रामिंग कोर्स, एडवांस एकाउंटिंग और डाटा एंट्री से संबंधित कोर्स शामिल हैं। इनकी अवधि 6 महीने से 2 साल की होती है।
सॉफ्टवेयर एंड बेसिक कम्प्यूटर कोर्स
1 लैपटॉप या डेस्कटॉप को किस तरह से ऑपरेट करना है, इसके लिए कई सारे शॉर्ट-टर्म कोर्स चलन में हैं। इन कोर्सों के दौरान आपको कम्प्यूटर की बेसिक नॉलेज, ऑपरेटिंग सिस्टम की जानकारी, वेब प्रोग्रामिंग, इंटरनेट ऑपरेशन जैसे सर्फिंग और ईमेल यूज करना, एप्लिकेशन डेवलपमेंट, विंडोज, एमएस ऑफिस, पावर पॉइंट, वायरस प्रोटेक्शन आदि से जुड़ी तकनीकी जानकारी दी जाती है।
प्रमुख कोर्स
बेसिक कम्प्यूटर कोर्स, एडवांस एमएस ऑफिस, कम्प्यूटर ऑपरेटर्स एंड प्रोग्रामिंग, असिस्टेंट वेब एंड मल्टीमीडिया डिजाइन, सर्टिफिकेट इन वेब डिजाइनिंग
हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग कोर्स
कम्प्यूटर एक मशीन है, जिसके पार्ट्स, जैसे कीबोर्ड, चिप, हार्ड डिस्क, मॉनिटर, सर्किट बोर्ड्स को हार्डवेयर कहा जाता है। इनका रख-रखाव और सुधार करने वाले एक्सपर्ट्स को हार्डवेयर इंजीनियर कहते हैं। इनका काम किसी खराबी को ठीक करना, पीसी और लैपटॉप असेंबल करना, नेटवर्क तैयार करना होता है। ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर इंस्टॉल, डिस्क मैनेजमेंट रिस्क, प्रिंटर असेंबल से लेकर हर वह काम जो कम्प्यूटर में कोई भी एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर चलाने के लिए जरूरी है, वह काम भी हार्डवेयर इंजीनियर करता है।
प्रोग्रामिंग कोर्स
- कम्प्यूटर से जुड़ा यह थोड़ा एडवांस कोर्स है, जिसमें लैंग्वेज कोर्स भी शामिल है। बेसिक कम्प्यूटर सीखने के बाद काम करने के लिए सॉफ्टवेयर, टेक्नोलॉजी और प्रोग्रामिंग की जरूरत होती है, जिसके लिए इन कोर्स को किया जा सकता है। इन कोर्स में सी, सी प्लस, सी प्लस प्लस, जावा स्क्रिप्ट, विजुअल बेसिक, डॉट नेट, एचटीएमएल, सीआईसी, ओरेकल, कोबोल, लिनक्स आदि के बारे में बताया जाता है।
प्रमुख कोर्स
- डिप्लोमा इन नेट प्रोग्रामिंग, डिप्लोमा इन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, एडवांस डिप्लोमा इन कम्प्यूटिंग, डिप्लोमा इन कम्प्यूटर एप्लिकेशन, डिप्लोमा इन कम्प्यूटर इंजीनियरिंग, डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी।
कहां से करें कोर्स
- कम्प्यूटर के शॉर्ट-टर्म कोर्स के लिए लगभग सभी शहरों में निजी संस्थान और ट्रेनिंग सेंटर खुले हुए हैं। देश भर में आईटीआई और पॉलीटेक्निक कॉलेज भी हैं, जहां से अपनी पसंद का कोर्स किया जा सकता है।
सैलरी
- कम्प्यूटर के शॉर्ट-टर्म कोर्स करने के बाद नौकरी मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। शुरूआत में 15 से 20 हजार रुपए प्रति महीने तक सैलरी मिल जाती है। काम सीखने के बाद सैलरी में अच्छी वृद्धि होती है। आप खुद का पीसी रिपेयरिंग सेंटर या ट्रेनिंग सेंटर भी खोल सकते हैं। सॉफ्टवेयर एंड हार्डवेयर इंजीनियर, वेब डिजाइनर बनाकर भी अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
- मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद
- डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन, कानपुर
- गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कॉलेज, कोटा
- ए-सेट रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
- एनआईआईटी, मुंबई