अब गाँवों में भी घूमने और दूसरी चीजों पर ज़्यादा ख़र्च कर रहे हैं लोग, देखिए क्या कहता है सर्वे

देश में लोग खाने पर कम और कपड़े, मनोरंजन और दूसरी चीजों पर ज़्यादा ख़र्च कर रहे हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी मंत्रालय (एनएसएसओ) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय परिवारों का घरेलू ख़र्च पिछले 10 वर्षों में दोगुना से ज़्यादा हो गया है।
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ख़र्च के मामले में अगर आप गाँव के लोगों को कम समझते हैं तो गलत हैं।

जी हाँ, पिछले एक दशक में हर व्यक्ति का औसत मासिक खर्चा ढाई गुना तक बढ़ गया है; ख़ास बात ये है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच ख़र्च में अंतर घट गया है।

देश में पिछले पाँच साल में गरीबी का स्तर 5 फीसदी नीचे आ गया है; शहरों के साथ ही गाँवों में भी लोग अधिक ख़र्च कर रहे हैं। भारतीय परिवारों का घरेलू ख़र्च तो पिछले 10 सालों में दोगुना से ज़्यादा बढ़ गया है।

इस दौरान जहाँ कुल ख़र्च में खाने-पीने की चीजों की हिस्सेदारी घटी है, वहीं यात्रा और दूसरी चीजों पर ख़र्च बढ़ा है।

ये जानकारी अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के बीच नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की ओर से किए गए (Latest Household Consumer Expenditure Survey) सर्वे में सामने आई है।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दोगुना से अधिक हो गया है।

2022-23 में शहरी क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग खर्च (एमपीसीई) बढ़कर अनुमानित 6,459 रुपये हो गया। 2011-12 में यह 2,630 रुपये था। ग्रामीण भारत में खर्च 1,430 रुपये से बढ़कर अनुमानित 3,773 रुपये हो गया है।

यह आँकड़ा 8,723 गाँवों और 6,115 शहरी ब्लॉक के 2,61,746 घरों के सर्वे से जुटाया गया है। इसमें 1,55,014 घर गाँवों के और 1,06,732 घर शहरी इलाकों के हैं।

ग्रामीण भारत में कम हुआ खाने पर ख़र्च

घरेलू उपभोग व्यय के नए आंकड़ों से ग्रामीण और शहरी उपभोग में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है, जिसमें भोजन और अनाज की हिस्सेदारी में कमी आई है। इस दौरान गैर-खाद्य वस्तुओं जैसे फ्रिज, टेलीविजन, बेव्रेज और प्रोसेस्ड फूड, स्वास्थ्य और परिवहन पर ख़र्च बढ़ गया है, जबकि अनाज और दालों जैसे खाद्य पदार्थों पर ख़र्च धीमा हो गया है।

खाने पर ख़र्च साल 1999-2000 में 48.06%, 2004-05 में 40.51%, 2009-10 में 44.39%, 2011-12 में 42.62% था, जो अब 39.70% हो गया है। वहीं गैर-खाद्य वस्तुओं का ख़र्च 1999-2000 में 51.94%, 2004-05 में 59.49%, 2009-10 में 55.61%, 2011-12 में 57.38% था, जो अब 60.30% हो गया है।

दूध, फल और सब्जियों पर ख़र्च कर रहे लोग

एनएसएसओ सर्वेक्षण देश में ग्रामीण और शहरी दोनों परिवारों के कुल ख़र्च में अनाज और भोजन की खपत की हिस्सेदारी कम हुई है, लेकिन खाने के अलावा अन्य चीजों पर अधिक ख़र्च कर रहे हैं। यहाँ तक कि भोजन में भी, अधिक दूध पी रहे हैं, फल और अधिक सब्जियाँ खा रहे हैं।

प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू ख़र्च हुआ दोगुना

सर्वेक्षण में जनसंख्या को 20 अलग-अलग श्रेणियों में बाँटा गया और आंकड़ों से पता चला कि सभी श्रेणियों के लिए औसत प्रति व्यक्ति मासिक खर्च ग्रामीण क्षेत्रों में 3,773 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 6,459 रुपये है।

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