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लम्पी स्किन डिजीज से जुड़ी सारी बातें जो आपको जाननी चाहिए

लम्पी स्किन डिजीज देश के 10 अधिक राज्यों व केंद्र शासित राज्यों तक पहुंच गई है, इकई राज्यों में पशुओं की मौत भी हो गई है। जानिए यह बीमारी कैसे फैलती है, इसके लक्षण व बचाव का सही तरीका क्या होता है?
lumpy skin disease

देश में एक बड़ी आबादी पशुपालन से जुड़ी हुई है, ऐसे में एक नई बीमारी लम्पी स्किन डिजीज ने पशुपालकों को परेशान कर रखा है, इस बीमारी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल है, आज हम आपके कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं।

लम्पी स्किन डिजीज क्या है? यह किन पशुओं को प्रभावित करता है? इसके लक्षण क्या हैं?

लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी होती है, जो गाय-भैंसों में होती है। लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर गांठें बनने लगती हैं, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बन जाता है। एलएसडी वायरस मच्छरों और मक्खियों जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से आसानी से फैलता है। साथ ही ये दूषित पानी, लार और चारे के माध्यम से भी फैलता है।

किन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने लम्पी स्किन डिजीज के संक्रमण के मामले देखे गए हैं?

सबसे पहले इस बीमारी को गुजरात और राजस्थान में देखा गया, जहां पर हजारों की संख्या में पशुओं की मौत हो गई, अभी तक इस बीमारी को गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अंडमान निकोबार जैसे प्रदेशों और केंद्र शासित राज्यों में रिपोर्ट की गई है।

यदि किसी पशु को लम्पी स्किन डिजीज हो जाता है, तो क्या उसका दूध उत्पादन कम हो जाता है?

लम्पी स्किन डिजीज पशुओं को तेज बुखार आ जाता है और दुधारु पशु दूध देना कम कर देते हैं, मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है, पशुओं की मौत भी हो जाती है।

क्या लम्पी स्किन डिजीज से प्रभावित गाय/भैंस के दूध का सेवन करना सुरक्षित है?

वैसे तो अभी तक लंपी स्किन डिजीज से ग्रस्त पशुओं से इंसानों में बीमारी फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन फिर भी पशु चिकित्सक सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं

विशेषज्ञों की मानें तो बाजार से दूध खरीकर कम से कम 100 डिग्री सेंटीग्रेड तक गरम करना या उबालना चाहिए। दूध में मौजूद घातक बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करने के लिये सिर्फ यही नुस्खा काफी है इसलिये लंपी संक्रमित गाय-भैंसों का दूध पीने से पहले सावधानियों पर अमल करना फायदेमंद रहता है.

भारत में पहली बार लम्पी स्किन डिजीज का मामला कब देखा गया? इसकी उत्पत्ति कहां से हुई है?

भारत में सबसे पहले लम्पी स्किन डिजीज वायरस का संक्रमण साल 2019 में पश्चिम बंगाल में देखा गया था। जोकि 2021 तक 15 से अधिक राज्यों में फैल गया।

यह बीमारी सबसे पहले 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी। पिछले कुछ सालों में ये बीमारी कई देशों के पशुओं में फैल गई, साल 2015 में तुर्की और ग्रीस और 2016 में रूस जैसे देश में इसने तबाही मचाई। जुलाई 2019 में इसे बांग्लादेश में देखा गया, जहां से ये कई एशियाई देशों में फैल रहा है।

लम्पी स्किन डिजीज के संक्रमण को कैसे रोकें?

अगर एक पशु में संक्रमण हुआ तो दूसरे पशु भी इससे संक्रमित हो जाते हैं। ये बीमारी, मक्खी-मच्छर, चारा के जरिए फैलती है, क्योंकि पशु भी एक राज्य से दूसरे राज्य तक आते-जाते रहते हैं, जिनसे ये बीमारी एक से दूसरे राज्य में भी फैल जाती है।

रोगी पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए, अगर पशुशाला में या नजदीक में किसी पशु में संक्रमण की जानकारी मिलती है, तो स्वस्थ पशु को हमेशा उनसे अलग रखना चाहिए।

रोग के लक्षण दिखाने वाले पशुओं को नहीं खरीदना चाहिए, मेला, मंडी और प्रदर्शनी में पशुओं को नहीं ले जाना चाहिए।

पशुशाला में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय करने चाहिए, मुख्यत: मच्छर, मक्खी, पिस्सू और चिंचडी का उचित प्रबंध करना चाहिए। रोगी पशुओं की जांच और इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।

अगर अपने पशुशाला पर या आसपास किसी असाधारण लक्षण वाले पशु को देखते हैं, तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी जानकारी देनी चाहिए। एक पशुशाला के श्रमिक को दुसरे पशुशाला में नहीं जाना चाहिए, इसके साथ ही पशुपालकों को भी अपने शरीर की साफ़–सफाई पर भी ध्यान देना चाहिए।

क्या लम्पी स्किन डिजीज से इंसानों में फैल सकता है?

वैसे तो अभी तक लंपी स्किन डिजीज से ग्रस्त पशुओं से इंसानों में बीमारी फैलने का कोई मामला सामने नहीं आया ह

क्या लम्पी स्किन डिजीज के लिए कोई टीका है?

आईसीएआर-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइन (आईसीएआर-एनआरसीई), हिसार (हरियाणा) ने आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर, उत्तर प्रदेश के सहयोग से एक वैक्सीन “लंपी-प्रोवैकइंड” विकसित किया है।

क्या लम्पी स्किन डिजीज घातक है? क्या मेरे मवेशी इससे उबर सकते हैं?

अगर सही समय पर पशुओं का खयाल रखा जाए और दूसरे पशुओं से दूर रखा जाए तो पशुओं को बचाया जा सकता है।

लम्पी स्किन डिजीज के कारण मरने वाले मवेशियों का निपटान कैसे करें?

अगर लम्पी स्किन डिजीज से संक्रमित पशु की मौत हो जाती है, तो उसकी बॉडी को सही तरीके से डिस्पोज करना चाहिए ताकि ये बीमारी और ज्यादा न फैले। इसलिए पशु की मौत के बाद उसे जमीन में दफना देना चाहिए। यदि कोई पशु लम्बे समय तक त्वचा रोग से ग्रस्त होने के बाद मर जाता है, तो उसे दूर ले जाकर गड्डे में दबा देना चाहिए।

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