प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन, खनिज (मिनरल्स) और एंटीऑक्सीडेंट सब एक ही अनाज में वो भी अपने देश का ; यकीन नहीं हुआ न? लेकिन ये सच है।
अपने देश के वैज्ञानिकों ने कमाल किया है। उन्होंने मक्के की ऐसी प्रजाति तैयार की है जिसमें ये सब है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और बीएचयू ने अपने अलग अलग केंद्र में मक्के की ऐसी प्रजाति विकसित की है।
आईसीएआर की नर्सरी में तैयार बायो फोर्टिफाइड मक्का में प्रोविटामिन-ए, लाइसिन और ट्राइप्टोफैन जैसे गुण हैं।
कुछ समय पहले काशी हिन्दू विश्व विद्यालय (बीएचयू) के कृषि वैज्ञानिकों ने भी मक्का की एक नई प्रजाति (बायोफोर्टिफाइड मक्का) विकसित की , जिसमें सामान्य मक्का की तुलना में करीब ढ़ाई गुना यानी 250 प्रतिशत ज़्यादा विशेष प्रकार के प्रोटीन हैं।
बायो फोर्टिफाइड का मतलब है पौध को प्रजनन के जरिए फसलों में पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाना।
इस खास प्रजाति की मक्का को ‘मालवीय स्वर्ण मक्का-वन’ नाम दिया है।
बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान में तैयार मक्का भी प्रोटीन का बड़ा स्रोत माना गया है।
बायोफोर्टिफाइड मक्का की इस खास प्रजाति को प्रोफ़ेसर पीके सिंह और मक्का प्रजनन/आनुवंशिकी के प्रोफेसर जेपी शाही ने मिलकर तैयार किया है।
आईसीएआर के मक्का में क्या है ख़ास
आईसीएआर के मुताबिक, साधारण मक्के में प्रोविटामिन ए की मात्रा 1 से 2 पीपीएम, लाइसिन की मात्रा 1.5 से 2.0 फीसदी और ट्राइप्टोफैन की मात्रा 0.3 से 0.4 फीसदी होती है; आईसीएआर की बायो फोर्टिफाइड पूसा विवेक क्यूपीएम 9 उन्नत किस्म में प्रोविटामिन-ए की मात्रा 8.15 पीपीएम, लाइसिन की मात्रा 2.67 प्रतिशत और ट्राइप्टोफैन की मात्रा 0.74 प्रतिशत है, जो सामान्य मक्के से कहीं अधिक है।
आईसीएआर की अन्य बायो फोर्टिफाइड किस्म पूसा एचक्यूपीएम 5 सुधरी में 6.77 पीपीएम प्रोविटामिन, 4.25 लाइसिन और 0.9 प्रतिशत ट्राइप्टोफैन होता है।
प्रो-विटामिन-ए एक प्रकार का साधारण बीटा-कैरोटीन है, जो हमारी सेहत को दुरुस्त रखने में बड़ी भूमिका निभाता है; वहीं, विटामिन ए भी सेहत के लिए बहुत जरुरी है, जिससे कई बीमारियों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
प्रो-विटामिन ए गर्भवती या नई माताओं के लिए कई फायदेमंद माना जाता है।
बायो फोर्टिफाइड मक्का कुपोषण से लड़ने में भी काफी कारगर है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 16.6 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है। ऐसे में ये बायो फोर्टिफाइड मक्का उन लोगों के लिए सबसे उपयोगी साबित हो सकता है जो गाँव में रह कर भी इस अनाज से अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर सकते हैं।
मक्का भले मक्का मोटे अनाजों में शामिल नहीं है, लेकिन यह गेहूँ और चावल से ज़्यादा पौष्टिक है और हर वर्ग के लोगों की पहुँच में है।
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बायो फोर्टिफाइड मक्के में मौजूद अमीनो एसिड लायसिन और टिप्टोफेन के कारण इसे खाने वालों को खून की कमी दूर करने के लिए अलग से आयरन की टैबलेट की जरूरत नहीं होगी; इससे शरीर में कैल्शियम और खून बनने की प्रक्रिया भी तेज़ होती है।