जब मिलेट्स का नाम लेते हैं तो सबसे जेहन में बाजरे का नाम आता है। बाजरे की फ़सल अमूमन 75 से 85 दिन में पक कर तैयार हो जाती है।
बाजरे की फ़सल के पकते समय सबसे अधिक ध्यान देने की ज़रूरत होती है, क्योंकि इस समय पक्षियों का प्रकोप बढ़ जाता है।
पीपा, थाली बजाकर पक्षियों को भगाया जा सकता है। कभी-कभी पुतलों की मदद से भी पक्षी डर कर भाग जाते हैं, जिससे फसल को बचाया जा सकता है।
फसल कटाई करते समय ध्यान दें, की जब बाजरे की फसल पूरी पक जाए तभी कटाई करें। जब बाजरे की पूरी पत्तियाँ पीली हो जाएँ तो तभी फसल काटनी चाहिए।
कटाई दो तरह से होती है, या तो खड़ी फसल से बालियाँ काट सकते हैं, नहीं तो पूरी फसल काट ली जाती है। काटने के बाद बालियों को ऊँची जगह पर रख देना चाहिए।
इसके साथ ही मौसम का ध्यान रखते रहें, यदि बरसात आ रही हो तो उसको किसी तिरपाल या प्लास्टिक से ढक कर रख दें, ताकि फसल को नुकसान न हो और एक बात कर और ध्यान रखें जब फसल अच्छी तरह से सूख जाए तभी उसकी मड़ाई करें। अगर कच्ची अवस्था में मड़ाई करेंगे तो दाने के साथ भूसा भी चला जाता है।
तो ध्यान रखें की जब फसल सूख जाए तभी मड़ाई करें। मड़ाई के बाद भंडारण का ध्यान रखना सबसे ज़रूरी होता है, क्योंकि अगर मड़ाई के तुरंत बाद नहीं बेचना है तो भंडारण के समय बहुत ज़्यादा सावधानी बरतनी होती है।
भंडारण घर को सबसे पहले अच्छी तरह से साफ कर दें, क्योंकि अगर पहले से एक भी कीट रहेगा तो पूरे उपज को नुकसान हो जाएगा और बाज़ार में सही दाम नहीं मिलेगा।
अगर आपको लम्बे समय के लिए भंडारण करना है तो भंडारण गृह एकदम साफ कर लें कोई दरारें ना हो, उसको मैलाथियान एक प्रतिशत का घोल कर सूखा लें उसके बाद ही भंडारण करें।
जूट के बोरे में भंडारित करना ज्यादा अच्छा रहता है, कोशिश करें नयी बोरियों का इस्तेमाल करें अगर पूरानी बोरियों का इस्तेमाल करना हैं, तो 20 से 25 मिनट खौलते पानी में डुबो दें। उसके बाद धूप में सुखाकर ही पुराने बोरियों का इस्तेमाल करें। एक प्रतिशत मैलाथियान का घोल बनाकर बोरियों को उपचारित कर लें और धूप में सुखाकर भंडारण गृह में भंडारण करें।
भंडारण गृह में किसी भी तरह की नमी हो, भंडारण करते समय, दीवार से लगभग 75 दूरी पर बोरियाँ रखनी चाहिए। इस तरह से भंडारण करने से फसल को उत्पादित करने के बाद नुकसान से बचा जा सकता है।