कई बार ये जानने में दिक्कत होती है कि बच्चे को टांसिल है या गलसुआ हुआ है; लेकिन जब तकलीफ बढ़ जाती है और बच्चा ठीक से खा नहीं पाता तब मालूम चलता है ये संक्रमण वाली बीमारी गलसुआ है।
आमतौर पर बच्चों या युवाओं में ये बीमारी ज़्यादा होती है लेकिन बड़ों में भी इसे देखा जाता है।
केरल सहित कई राज्यों में मम्प्स का संक्रमण देखा जा रहा है, यह बीमारी छींकने और खाँसने से फैलती है। इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखकर इससे बचा जा सकता है।
मम्प्स एक प्रकार का वायरल इंफेक्शन है। ये पैरामिक्सोवायरस से होने वाले संक्रामक से फैलता है। यह बीमारी गालों के किनारे सलाइवा वाले पैरोटिड ग्लैंड को बुरी तरह से प्रभावित करता है।
इसकी वजह से गालों में सूजन आ जाती है। चेहरा बुरी तरह से फूल जाता है और इसकी बनावट बिगड़ जाती है। मम्प्स इंफेक्शन होने के कारण गर्दन में तेज़ दर्द होता है।
#Mumps Epidemic Alert
With the recent surge in #mumps cases, it’s crucial to stay informed. Here’s what you need to know:
A thread –
— Dr. Omprakash Ashokrao Deshmukh (@dromdeshmukh77) March 11, 2024
गलसुआ के लक्षण शुरूआत में नज़र नहीं आते हैं। वायरस के संपर्क में आने के लगभग 15 से 20 दिन बाद इसके लक्षण दिखना शुरू होते हैं।
मम्प्स का सबसे ज़्यादा ख़तरा उन लोगों में होता है जिसकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसके अलावा बच्चों और बूढ़े लोगों को भी ये रोग आसानी से हो सकता है। साथ ही संक्रामक व्यक्ति के संपर्क में रहने वाले लोगों में भी ये समस्या ज़्यादा होती है।
मम्प्स के लक्षण
गाल फूलने के साथ जबड़े में सूजन आ जाती है
तेज़ बुखार आ जाता है
शरीर की माँसपेशियों में दर्द बढ़ जाता है
थकान लगती है भूख लगनी बंद हो जाती है
बीमारी से बचने के लिए क्या करें
गलसुआ के लक्षण दिखते ही सबसे पहले अपने डॉक्टर को दिखाएँ। इसके बाद घर में कुछ बातों का ध्यान रखें।
मम्स को रोकने में मुख्य रूप से टीकाकरण और अच्छी स्वच्छता का अभ्यास शामिल है। खसरा, गलगंड और रूबेला (एमएमआर) टीका गलसुआ से बचाता है। यह आमतौर पर बचपन के दौरान दो खुराकों में दिया जाता है, जो लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
इसके साथ ही अच्छी स्वच्छता की आदतों का अभ्यास करना, जैसे कि साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, संक्रमित व्यक्तियों के साथ बर्तन या पेय साझा करने से बचना, और खांसते या छींकते समय मुँह और नाक को ढकना, मम्स के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
इसके अलावा ज़्यादा से ज़्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें। नमक और गर्म पानी का गार्गल करें। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे में आराम से धीमे-धीमे और चबा-चबा कर खाना चाहिए। हो सके तो एसिडिक फूड्स खाने से बचें।