पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि कोवैक्सीन टीके में नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किया जा रहा है, स्वास्थ्य मंत्रालय इसको लेकर सही जानकारी साझा की है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, “नवजात बछड़ा सीरम का उपयोग केवल वेरो कोशिकाओं की तैयारी/विकास के लिए किया जाता है। विभिन्न प्रकार के गोजातीय और अन्य पशु सीरम वेरो सेल(कोशिका) विकास के लिए विश्व स्तर पर उपयोग किए जाने वाले मानक संवर्धन घटक हैं। वेरो कोशिकाओं का उपयोग कोशिका जीवन स्थापित करने के लिए किया जाता है जो टीकों के उत्पादन में सहायक होते हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल दशकों से पोलियो, रेबीज और इन्फ्लूएंजा के टीकों में किया जाता रहा है।
#MythvsFacts#LargestVaccineDrive
The final vaccine product of #COVAXIN does not contain newborn calf serum at all.https://t.co/2sbXI3xOTu pic.twitter.com/yOmNpBB9gA
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) June 16, 2021
इन वेरो कोशिकाओं को विकास के बादपानी से धोया जाता है, रसायनों से भी, (तकनीकी रूप से बफर के रूप में जाना जाता है), कई बार इसे नवजात बछड़ा सीरम से मुक्त करने के लिए। इसके बाद ये वेरो कोशिकाएं वायरल ग्रोथ के लिए कोरोना वायरस से संक्रमित होती हैं।

वायरल ग्रोथ की प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह नष्ट हो जाती हैं। इसके बाद इस बड़े वायरस को भी मार दिया जाता है (निष्क्रिय कर दिया जाता है) और शुद्ध किया जाता है। मारे गए इस वायरस का प्रयोग अंतिम टीका बनाने के लिए किया जाता हैऔर अंतिम टीका बनाने में कोई बछड़ा सीरम का उपयोग नहीं किया जाता है।
इसलिए अंतिम टीका (कोवैक्सीन)में नवजात बछड़ा सीरम बिलकुल नहीं होते हैं और बछड़ा सीरम अंतिम वैक्सीन उत्पाद का घटक नहीं है।