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सभी के लिए क्यों ज़रूरी है मानसिक सेहत की अहमियत को समझना

देश में सस्ती और सुलभ मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने देश में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) लागू कर दी है। पिछले एक साल में पाँच लाख लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य पर बात की।
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मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर आज भी लोग खुलकर बात नहीं करना चाहते हैं। देश में बेहतर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं को और कारगर बनाने के लिए “राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम” शुरू किया गया है।

10 अक्टूबर, 2022 को शुरू हुए इस कार्यक्रम के तहत 4 दिसंबर, 2023 तक, 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने 46 टेली मानस सेल स्थापित किए हैं और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ शुरू की है। हेल्पलाइन पर पाँच लाख से अधिक लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बात की है।

सरकार ने 1.6 लाख से अधिक एसएचसी, पीएचसी, यूपीएचसी और यूएचडब्ल्यूसी को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में अपग्रेड किया है। इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में दी जाने वाली प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहत सेवाओं के पैकेज में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को भी जोड़ा गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के मुताबिक सरकार 2018 से तीन केंद्रीय संस्थानों में स्थापित डिजिटल अकादमियों के माध्यम से सामान्य स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सा और पैरा मेडिकल पेशेवरों की विभिन्न श्रेणियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम दे कर देश के वंचित क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ा रही है।

ये सुविधाएँ मानसिक स्वास्थ्य संस्थान यानी राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु, लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई क्षेत्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान, तेजपुर, असम और केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान, रांची में स्थापित की गई हैं।

एनएमएचपी के जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) को 738 जिलों में कार्यान्वयन के लिए मंज़ूरी दे दी गई है, जिसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता प्रदान की जाती है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर पर डीएमएचपी के तहत उपलब्ध सुविधाओं में बाह्य रोगी सेवाएँ, मूल्यांकन, परामर्श/मनो-सामाजिक हस्तक्षेप, गंभीर मानसिक विकार वाले व्यक्तियों की निरंतर देखभाल और सहायता, दवाएँ, आउटरीच सेवाएँ, एम्बुलेंस सेवाएँ शामिल हैं। इसके अलावा जिला स्तर पर 10 बिस्तरों वाली आंतरिक रोगी सुविधा का भी प्रावधान है।

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