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कड़वे नीम के गुणों की मिठास

यह पुथंडु यानी तमिल नव वर्ष है और हर जगह सफेद नीम के फूलों की भरमार है। दक्षिण भारत के ज्यादातर घरों में इन फूलों को खास पकवानों में शामिल किया जाता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि उनका स्वाद अच्छा होता है, बल्कि इसलिए भी कि ये घरों में एक संदेश लेकर आते हैं- जीवन नीम के पेड़ की तरह खूबसूरत है, जिसमें कड़वाहट तो है, लेकिन तन, मन और आत्मा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। हम यहां आपके साथ नीम के फूल से झटपट बनने वाली रसम की रेसिपी साझा कर रहे हैं।
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कोयम्बटूर, तमिलनाडु। मैंने खाना पकाने का आधुनिक तरीका अपनाया हुआ है। सच तो यह है कि साल भर सब कुछ उपलब्ध रहता है और कुछ भी बनाने के लिए सुविधाजनक शॉर्टकट भी हैं। लेकिन मुझे अपने इस रवैये पर कई बार थोड़ा पछतावा भी होता है।

शायद इसलिए, क्योंकि यही वह समय है, जब मुझे शाम से पहले एक नीम के पेड़ के नीचे एक सफेद थुंडू (पतला तौलिया)  बिछाना अच्छा लगता था। और भोर होते ही मैं नए गिरे हुए नाजुक फूलों को इकट्ठा करने के लिए निकल जाती थी। फिर मैं उन फूलों को तमिल नव वर्ष और आने वाले धूप के दिनों का स्वागत करने के लिए खासतौर पर बनाई जाने वाली वेम्पम पूवु पच्चड़ी में डालने के लिए अपनी रसोई में ले आती थी।

दिल्ली के बाहरी इलाके ‘पालम’ में रहते हुए मैंने एक बार ऐसा किया था। हमारे घर के रास्ते में एक शानदार, विशाल और घना नीम का पेड़ था।

बन्नारी और मुथुलक्ष्मी नीम के फूल तोड़ती हुई। 

बन्नारी और मुथुलक्ष्मी नीम के फूल तोड़ती हुई। 

लेकिन मैं अब ऐसा नहीं करती हूं। लेकिन, मुझे याद है कि तमिलनाडु के कोयंबटूर में हमारे अपार्टमेंट के चारों ओर दीवार के दूसरी तरफ एक नीम के पेड़ हुआ करते थे। मैं वहां जाकर यह देखना चाहती थी कि कि क्या मुझे कुछ फूल मिल सकते हैं।

जिज्ञासु बन्नारी और मुथुलक्ष्मी भी धूप में मेरे पीछे-पीछे साथ हो चलीं। ये दोनों मेरे घर में काम करती हैं। ऊपर डाली पर लगे फूलों के हाथ न आने पर मैं उदास हो गई। उन्हें मेरे उदास होने पर हैरानी हुई। वे फुर्ती से उभरे हुए भाग पर कूदती हैं, और एक लंबी छड़ी से नीम की शाखाओं को नीचे की ओर खींच ले आती हैं। बहुत ही कम समय में मेरे हाथ में नीम के पत्ते और सबसे सुंदर सफेद नीम के फूल थे। अब मुझे बाजार से खरीदे हुए नीम के फूलों का इस्तेमाल नहीं करना पड़ेगा।

मुझे क्या बनाना चाहिए? क्या मैं नीम के फूलों को भूनकर अपने दही चावल को गार्निश कर लूं, या मैं कुछ कच्चे आमों के साथ एक झटपट बनने वाली पच्चड़ी बना लूं या शायद नीम के फूल की रसम बनाऊ… तीनों ही स्वादिष्ट विकल्प हैं। फिर मुझे लगा कि नीम के फूल की रसम बनाना ही सबसे आसान रहेगा।

सोशल मीडिया डिटॉक्स मिरेकल फूड के विकल्पों से भरा पड़ा है। नीम के फूलों से बनी रसम भी सुनने में ऐसा लग रहा है, मानो यह कोई एक बेहतरीन डिटॉक्स है। ऐसा सोचना गलत भी नहीं है, क्योंकि नीम के पत्तों और फूलों में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं।

नए साल का स्वागत करने के लिए अपनी तैयारियों में नीम को शामिल करने के पीछे एक संदेश भी छिपा है- ‘जीवन में कड़वाहट से घबराएं नहीं, उसे गले लगाएं। ये कड़वाहट शरीर और आत्मा के लिए अच्छी है। और, वैसे भी कहा जाता है कि नीम की तासीर ठंडी होती है।

नीम के फूल वाली रसम की रेसिपी

नीम के फूल – 2 से 3 बड़े चम्मच

इमली – एक नींबू के साइज के बराबर

रसम पाउडर – 1 से 1½ छोटा चम्मच

गुड़ – एक छोटा टुकड़ा

नमक स्वाद अनुसार

सरसों – एक चम्मच

हींग – एक चुटकी

घी- तड़का लगाने के लिए

बनाने का तरीकाः-

अगर आप ताजे सफेद फूलों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उन्हें अच्छी तरह धोकर तौलिये पर सुखा लें। थोड़े से घी में फूलों को तब तक भूनें जब तक वे लगभग काले रंग के न हो जाएं। अब इन फूलों को निकालकर एक तरफ तरफ रख दें।

एक भारी तले वाले बर्तन में (मेरे पास एक सुंदर पत्थर का पतीला है) इमली का अर्क, गुड़, नमक, रसम पाउडर और पर्याप्त मात्रा में पानी डालें।

अब इसे उबाल लें। एक बार जब यह अच्छी तरह से उबल जाए (तब रसोई खुशबू से भर जाएगी) तो आंच से उतार लें।

तले हुए नीम के फूल रसम में डाल दें।

एक छोटा चम्मच घी गरम करें, उसमें राई और हींग डालकर रसम में तड़का लगा लें।

सादे उबले चावलों में थोड़ा सा ज्यादा घी डालें और गर्मारम रसम के साथ परोसें। अगर चाहें, तो चावल वडाम या पापड़ भी प्लेट में एक तरफ रख सकते हैं।

नए साल की शुभकामनाएं!

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