लखनऊ। “वीडियो गेम खेलने कि वज़ह से आरव (आठ वर्ष) कभी बाहर नहीं जाता था। हर समय वह फोन पर ही लगा रहता था। कभी भी परिवार वालों के पास बैठकर बात करने का समय नहीं होता था। इन सब बातों से परेशान होकर मैंने अपने घर से इंटरनेट कनेक्शन हटवा दिया। वीडियो गेम के कारण ही मुझे अपने घर से टीवी भी हटानी पड़ी।” हैदराबाद की रहने वाली रजनी ने बताया।
आज के समय में बच्चों की वीडियो गेम में रूचि काफी बढ़ गई है। केवल बच्चे ही नहीं बल्कि बड़े भी ऑनलाइन गेम के लती हो रहे हैं। क्या कारण है कि बच्चे वीडियो गेम के में अपनी रूची बढ़ा रहे है? इस बारे में हमने लखनऊ की मनोवैज्ञानिक डॉ. शाज़िया सिद्दीकी से बात की।
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डॉ.शाज़िया सिद्दीकी ने बताया, “आज के समय में बच्चे अपना सारा समय वास्तविक दुनिया से ज्यादा इंटरनेट की दुनिया में बीता रहे। इंटरनेट की दुनिया में नए लोगों से जुड़ना और किसी भी तरह के गेम्स में मिले पॉइंट से बच्चे ज्यादा आकर्षित होते हैं। उन्हें ये चीजें इतनी अच्छी लगने लगती हैं कि धीरे-धीरे वह इसके आदी होने लगते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा तो यह भी कहा गया है कि अगर कोई माता-पिता अपने बच्चे को 15 से 20 मिनट भी फ़ोन इस्तेमाल करने के लिए देता है तो यह 10 ग्राम कोकीन के नशे के सामान काम करता है।”
बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले मंगल यादव ने बताया, “मुझे बाल-पुल खेलना बहुत पसंद है। स्कूल से जाते ही मैं मोबाइल में गेम्स खेलने लग जाता हूं। कई बार गेम खेलते हुए इतना बिजी हो जाता हूं कि किसी की बातों को नहीं सुन पाता, जिसके कारण कई बार मम्मी से डांट भी पड़ जाती है।”
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डॉ. शाज़िया ने आगे बताया, “इंटरनेट पर मिलने वाले ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन गेम बच्चों के दिमाग में काफी गहरा प्रभाव डालते हैं। आज कल ऐसे गेम्स आने लगे हैं जिन्हे बच्चे कई लोगों से साथ मिलकर खेलते हैं। इस दौरान मिलने वाले पॉइंट को बच्चे काफी गंभीरता से लेते हैं और ज्यादा से ज्यादा पॉइंट्स बनाने की कोशिश करते हैं। इन सब के कारण वह अपना ज्यादातर समय गेम्स खेलने में ही बिता देते हैं।”
ग्लोबल गेम्स मार्केट के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत का गेम्स मार्केट में 16वां स्थान हैं। वहीं वर्ष 2017 की इसी रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर में वीडियो गेम्स का बाज़ार लगभग 100 अरब डॉलर का है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 2.2 अरब लोग विडियो गेम्स खेलते हैं। इसमें एशिया के करीब 47 प्रतिशत लोग गेम्स खेलते हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दुनिया भर में हर महीने 1.15 अरब घंटे लोग वीडियो गेम खेलते में बीता देते है।
“पिछले कुछ दिनों से मेरे पास 15 से 20 साल के बच्चे आ रहे हैं, जो पब्जी नाम के एक ऑनलाइन गेम की लत में है, जब ये गेम भारत में आया था तो केवल एक हफ्ते में ही इसके 5 मिलियन डाउनलोड हो गए थे। इस गेम्स के दौरान बच्चे दुनिया के किसी कोने में बैठे हुए इंसान के साथ ये गेम्स खेल सकते हैं, इस गेम में बच्चों को शूट करना होता है। इस तरह से बच्चे कहीं न कहीं यह सीख रहे हैं कि लोगों को मारना एक छोटी बात है। ऐसे गेम्स से बच्चे केवल हिंसात्मक गतिविधियों की तरफ आकर्षित होते हैं। लम्बे समय तक गेम्स खेलने के कारण बच्चे इतना थक जाते हैं कि उनके पास कुछ और करने का समय ही नहीं बचता है।” डॉ. शाज़िया ने बताया।
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उन बच्चों के लिए जो बहुत ही ज्यादा गेम्स खेलते हैं उनके बारे में डॉ. शाज़िया ने कहा, “अगर किसी युवा को ये लगता है कि वह गेम्स का आदी हो गया है तो इस बारे में उसे सबसे पहले अपने माता-पिता से बात करनी चाहिए। अगर ये परेशानी बढ़ती हुई नज़र आ रही है तो जल्द से जल्द किसी मनोवैज्ञानिक से अपनी परेशानी के बारे में बात करें। अपने उस दोस्त की सलाह ले जो ऑनलाइन गेम्स का आदि न हो। खुद को ज्यादा से ज्यादा बाहर खेले जाने वाले खेलो में शामिल करें।”