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लखनऊ में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि ट्रेनिंग शुरु

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अगर आप जीरो बजट तरीके से जैविक खेती करने के इच्छुक हैं तो लखनऊ में 5 दिन का प्रशिक्षण शिविर शुरु होने जा रहा है। पद्मश्री सुभाष पालेकर किसानों को शून्य लागत वाली विधि की ट्रेनिंग देंगे।

उत्तर प्रदेश में किसानों को शून्य लागत प्राकृतिक खेती के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए आज से 25 दिसंबर तक के लिए लखनऊ के भीमराव अंबेडकर विवि के सभागार में शिविर शुरू हो गया है। सुभाष पालेकर खुद छह दिन किसानों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। इसमें भारत के कोने-कोने से किसानों के अलावा मारीशस, बांग्लादेश, इजरायल और युगांडा जैसे देशों के किसान भी भाग ले रहे हैं। ‘शून्य लागत प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण’ के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस प्रशिक्षण में पूरे देश भर से किसान हिस्सा लेने आए हैं।

इसके अलावा 15 अन्य राज्यों से भी किसान प्रशिक्षण लेने के लिये आ रहे है।, जिसमें महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम जैसे अन्य राज्यों से भी किसान आएंगे। भारत से बाहर नेपाल, मॉरीशस, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी किसान प्रशिक्षण लेने के लिये आ रहे हैं।

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एक तरीके से इसे अंतर्राष्ट्रीय किसान सम्मेलन का नाम दिया जा सकता है। इस शिविर में 6 दिन का प्रशिक्षण पद्मश्री सुभाष पालेकर द्वारा किसानों को दिया जाएगा। खास बात ये है कि इसमें सामान्य किसान नहीं आ रहे है। इस आयोजन में केवल वही किसान आ रहे हैं जिनके पास देशी गाय है और वो किसी न किसी सामाजिक संस्था से जुड़े हुए हैं।

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अन्य किसान भी चाहें तो ले सकते हैं हिस्सा

इस शिविर में अन्य किसान भी चाहें तो हिस्सा ले सकते हैं। इसके लिये उन्हें 500 रुपए पंजीकरण शुल्क देना होगा। जिसमें उन्हें प्रशिक्षण के दौरान रहने खाने की भी सुविधा दी जाएगी।

20 से 25 दिसंबर तक होगा प्रशिक्षण

प्रशिक्षण 20 दिसंबर से 25 दिसंबर तक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर सभागार, शहीद पथ लखनऊ में आयोजित किया जाएगा।

प्रशिक्षण के दौरान बताई जाएगी खेती

इतना ही नहीं ये भी बताया जाएगा कि इस खेती के जरिये किसान बाजार पर निर्भर नहीं रहेगा। पूरी खेती किसान देशी तरीके से ही करेगा।

ट्रेनिंग स्थल तक पहुंचने का रास्ता।

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एक गाय से होगी पूरी खेती

इसके लिये किसान एक देशी गाय पालेगा। उस गाय के गोबर और गौमूत्र से किसान पूरी खेती करेगा। इस तकनीक से किसान को बीज से लेकर फसल तक सब मिलेगा या फिर ऐसे कह सकते हैं कि किसान पूरी तरह से बाजार से अलग हो जाएगा।

बाजार पर निर्भर रहने के कारण किसान नहीं बचा पाता पैसे

गांव कनेक्शन से बातचीत के दौरान आयोजक गोपाल उपाध्याय ने बताया कि अभी किसान पूरी तरह से गाँव पर निर्भर है। मौजूदा समय में किसान बीज बाजार से खरीद रहा है। रासायनिक खाद बाजार से खरीद रहा है। कीटनाशक, खरपतवार, सिचाईं के संसाधन बाजार से खरीद रहा है। इतनी खरीद बाजार से करने के बाद किसान कुछ भी नहीं बचा पाता है। इसी वजह से किसान खेती से दूर होता जा रहा है। इस तकनीकि से किसानों को लाभ होगा और लाखों किसान इस पद्धति का इस्तेमाल कर भी रहे हैं।

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