लखनऊ। फार्मेसी एक ऐसा सेक्टर है जहां आपके पास करियर के कई विकल्प हैं। आज भारत क्लीनिकल रिसर्च आउटसोर्सिंग के क्षेत्र में भी ग्लोबल हब बन कर उभर रहा है। यदि आपकी दिलचस्पी चिकित्सा और सेहत से जुड़े क्षेत्र में है तो आप फार्मेसी के क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। इसके बारे में बता रही हैं, गौतम बुद्ध तकनीकी विश्वविद्यालय की फार्मास्युटिकल की प्रोफेसर पल्लवी वर्मा-
शैक्षणिक योग्यता
विज्ञान विषय के साथ बारहवीं परीक्षा पास करने के बाद दो साल के डी फार्मा कोर्स या चार साल के बी फार्मा कोर्स कोर्स में दाखिला ले सकते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित कई संस्थान/ महाविद्यालय/ विश्वविद्यालय अंडरग्रेजुएट कोर्स करवाने के अलावा एम. फार्मा कोर्स भी करवाते हैं। बारहवीं के बाद सीधे डिप्लोमा किया जा सकता है। कुछ कॉलेजों में फार्मेसी में फुलटाइम कोर्स संचालित हैं। इसके साथ-साथ पीजी डिप्लोमा इन फार्मास्युटिकल एवं हेल्थ केयर मार्केटिंग, डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग, एडवांस डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग एवं पीजी डिप्लोमा इन फार्मा मार्केटिंग जैसे कोर्स भी संचालित किए जा रहे हैं। इन पाठयक्रमों की अवधि छह माह से एक वर्ष के बीच है। इन पाठयक्रमों में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी की न्यूनतम योग्यता बीएससी, बीफार्मा अथवा डीफार्मा निर्धारित की गई है।
कोर्स
डीफॉर्मा और बीफॉर्मा कोर्स में दवा के क्षेत्र से जुड़ी उन सभी बातों की थ्योरेटिकल और प्रायोगिक जानकारी दी जाती है, जिनका प्रयोग आमतौर पर इस उद्योग के लिए जरूरी होता है। इसके साथ फार्माकोलॉजी,इंडिस्टि्रयल केमिस्ट्री, हॉस्पिटल एंड क्लीनिकल फार्मेसी, फॉर्मास्यूटिकल, हेल्थ एजुकेशन, बायोटेक्नोलॉजी आदि विषयों की जानकारी दी जाती है।
करियर विकल्प
रिसर्च एंड डेवलपमेंट
भारत आज फार्मास्युटिकल्स के क्षेत्र में काफी तेजी के आगे बढ़ रहा है। यहां नई-नई दवाइयों की खोज और विकास संबंधी कार्य किया जा सकता है। आरएंडडी क्षेत्र को जेनेरिक उत्पादों के विकास, एनालिटिकल आरएंडडी, एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट्स) या बल्क ड्रग आरएंडडी जैसी श्रेणियों में बांटा जा सकता हैं।
फार्मासिस्ट
हॉस्पिटल फार्मासिस्ट्स पर दवाइयों और चिकित्सा संबंधी अन्य सहायक सामग्रियों के भंडारण, स्टॉकिंग और वितरण का जिम्मा होता है, जबकि रिटेल सेक्टर में फार्मासिस्ट को एक बिजनेस मैनेजर की तरह काम करते हुए दवा संबंधी कारोबार चलाने में समर्थ होना चाहिए।
क्लिनिकल रिसर्च
जब कोई नई दवा लॉन्च करने की तैयारी होती है, तो दवा लोगों के लिए कितनी सुरक्षित और असरदार है, इसके लिए क्लिनिकल ट्रॉयल होता है। आज देश में कई विदेशी कंपनियां क्लिनिकल रिसर्च के लिए आ रही हैं। दवाइयों की स्क्रीनिंग संबंधी काम में नई दवाओं या फॉर्मुलेशन का पशु मॉडलों पर परीक्षण करना या क्लिनिकल रिसर्च करना शामिल है जो इंसानी परीक्षण के लिए जरूरी है।
क्वालिटी कंट्रोल
फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री का यह एक अहम कार्य है। नई दवाओं के संबंध में अनुसंधान और विकास के अलावा यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत होती है कि इन दवाइयों के जो नतीजे बताए जा रहे हैं, वे सुरक्षित और स्थाई हो।
रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट
विदेशों में फार्मासिस्ट को रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट कहा जाता है, जिस तरह डॉक्टरों को प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस की जरूरत होती है, उसी तरह इन्हें भी फार्मेसी में प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस चाहिए। उन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए एक टेस्ट पास करना होता है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस विषय में ट्रेनिंग के लिए ‘फार्मा डी’ नामक एक छह साल का कोर्स शुरू किया है।
ब्रांडिंग एंड सेल्स
फार्मास्युटिकल सेक्टर में मार्केटिंग की काफी अहम है। मार्केटिंग प्रोफेशनल्स उत्पाद की बिक्री के अलावा बाजार की प्रतिस्पर्धा पर भी निगाह रखते हुए इस बात का पता करते हैं कि किस उत्पाद के लिए बाजार में ज्यादा संभावनाएं हैं। इसी के मुताबिक रणनीति तैयार की जाती है।
कहां मिलेगी अवसर
दुनिया की बेहतरीन फॉर्मास्युटिकल कंपनियां भारत में अपना कारोबार कर रही हैं। इनके अलावा, रैनबैक्सी, एफडीसी, कैडिला, शिपला, डॉ. रेड्डीज, डाबर, ल्यूपिन आदि कंपनियां भारत में व्यवसायरत हैं। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित लोगों की काफी मांग है। नर्सिग होम, अस्पतालों और कंपनियों में आपके लिए नौकरी के अवसर हैं। ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन और आर्म्ड फोर्सेज में भी काफी संभावनाएं हैं। बीफॉर्मा करने के बाद आप मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट, एनालिस्ट कैमिस्ट, ड्रग इंस्पेक्टर के रूप में काम कर सकते हैं।