अगर आप बढ़ई, सुनार, कुम्हार जैसे किसी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं तो पीएम विश्वकर्मा योजना आपके काम की हो सकती है।
इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए पारंपरिक कौशल वाले लोगों को लाभ पहुँचाने के लिए प्रधानमंत्री ने विश्वकर्मा योजना लागू करने की घोषणा की थी।
इस योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना है। इसके जरिए सरकार आने वाले वर्षों में पारंपरिक कौशल वाले लोगों की मदद करेगी। यह योजना अगले पाँच साल यानी 2023-2024 से 2027-2028 तक लागू रहेगी, साथ ही इस योजना के लिए 13 हज़ार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों और हस्तशिल्प श्रमिकों को विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान पत्र मिलेगा। इन लोगों को पहले चरण में एक लाख तक का ब्याज़ मुक्त लोन मिलेगा। इसके बाद दूसरे चरण में पाँच फ़ीसदी की रियायती ब्याज़ दर के साथ दो लाख रुपए मिलेंगे।
पीएम विश्वकर्मा योजना की लॉन्चिंग का यह दिन मेरे लिए अविस्मरणीय है। pic.twitter.com/c9IXZwWV6E
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2023
मिलेगा तीन लाख तक का लोन
कुल मिलाकर इस स्कीम में 3 लाख रुपये तक का लोन देने का प्रावधान है। पहले चरण में बिजनेस करने के लिए लाभार्थी को 1 लाख रुपये का कर्ज दिया जाएगा और जब कारोबार शुरू हो जाएगा, तो फिर इस व्यवसाय को व्यवस्थित करने और इसका विस्तार करने के लिए पड़ने वाली पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार दूसरे चरण में 2 लाख रुपये तक का लोन देगी। इस योजना के तहत कारीगरों को डिजिटल लेनदेन में प्रोत्साहन और बाजार समर्थन प्रदान किया जाएगा।
ऐसे ले सकते हैं इस योजना का लाभ
इस योजना और इसके लिए आवेदन करने के बारे में अधिक जानकारी जानकारी https://pmvishwakarma.gov.in/ वेबसाइट से ले सकते हैं।
11 सितंबर तक इस पर 11322 लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन अभी इनके वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
सबसे पहले आवेदक को अपना मोबाइल और आधार वेरिफ़ाई कराना होगा। इसके बाद पंजीयन फॉर्म के ज़रिए आवेदक आवेदन कर पाएँगे। यह ग्राम पंचायत और शहरी निकाय के सुविधा केंद्र पर हो सकता है। इसे ऑनलाइन भी किया जा सकता है।
तीसरे चरण में आवेदक प्रधानमंत्री विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और पहचान पत्र डाउनलोड कर सकते हैं। जबकि आख़िर में आवेदक अपनी कुशलता के मुताबिक आवेदन कर सकते हैं। आवेदन दाखिल होने के बाद तीन चरणों में वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी होगी और उसके बाद आवेदकों को लाभ मिलेगा।
इन्हें मिलेगा योजना का लाभ
इसके पहले चरण में 18 पारंपरिक क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इनमें बढ़ई (सुथार), नाव निर्माता, अस्त्र बनाने वाला, लोहार, हथौड़ा व टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने, पत्थर तोड़ने वाला), मोची, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर, गुड़िया-खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले शामिल हैं।