लखनऊ। किसी वस्तु या विचार की मार्केटिंग करते समय इस बात पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है कि आप उसे किस तरह पेश करेंगे। हो सकता है कि आपके पास तमाम सूचनाएं और तथ्य एकत्र हों, पर यदि आपकी प्रेजेंटेशन ठीक नहीं होगी तो उनका असर, उससे होने वाला लाभ कम हो जाएगा। यहां कुछ ऐसी सलाहें, उपयोगी टूल्स और तकनीक की जानकारी दी जा रही है, जो आपकी प्रेजेंटेशन को दमदार बना सकते हैं।
मूल मंत्र
- प्रेजेंटेशन तैयार करते समय पहली जरूरी विषय की विस्तृत जानकारी होना है। यदि यह विचार पूरी तरह आपका है तो इस संबंध में पर्याप्त शोध करके तमाम आंकड़ें और तथ्य एकत्र कर लें। बॉस या शिक्षक से बात कर लेना भी अच्छा रहता है।
- ‘एक अच्छी शुरुआत प्रेजेंटेशन की सफलता को कई गुणा बढ़ा देती है। पूरे आत्मविश्वास के साथ स्टेज पर आएं और प्रसन्नता के साथ सबका अभिवादन करें। प्रेजेंटेशन देते समय सामने बैठे लोगों के स्तर और समझ दोनों का ध्यान रखना जरूरी होता है।’
- विषय को आसान बनाते हुए सिलसिलेवार ढंग से सही दिशा में ले जाएं। क्या, क्यों, कैसे, कब और कहां आदि प्रश्नों के जवाब आपकी प्रेजेंटेशन पूरी होने तक सामने बैठे लोगों को मिल जाने चाहिए।
- भले ही आपके पीछे प्रोजेक्टर से स्लाइड शो चल रहा हो या फिर कोई चार्ट, आप बराबर लोगों की तरफ भी देखते रहें। इससे सुनने वालों को लगेगा कि आप उनसे ही बातें कर रहे हैं।
- प्रेजेंटेशन बनाते समय निर्धारित समयावधि का ध्यान अवश्य रखें। अनावश्यक विषय को विस्तार देना प्रेजेंटेशन को उबाऊ बना देता है।
- अगर सुविधा उपलब्ध हो तो पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के विकल्प को चुनें। माना जाता है कि अगर हम किसी चीज को देखते हैं तो वे हमारे दिमाग में ज्यादा समय के लिए रहती हैं। पावरप्वॉइंट प्रेजेंटेशन से सूचनाओं और तथ्यों को तकनीक की मदद से फिल्म की तरह पेश करने करने में मदद मिलती है।
- अकसर माना जाता है कि रंगीन चित्र और फॉन्ट ज्यादातर बच्चों को आर्कषित करते हैं, पर ऐसा नहीं है। प्रेजेंटेशन तैयार करते समय अच्छी और अर्थपूर्ण तस्वीरों के साथ-साथ फॉन्ट्स का रचनात्मक ढंग से इस्तेमाल करना प्रेजेंटेशन को आकर्षक बनाता है।
- जितनी दमदार आपकी शुरूआत थी उतना ही दमदार अंत भी होना चाहिए। हमें वहीं चीजें ध्यान रहती हैं, जो हम सबसे पहले या सबसे आखिरी में सुनते हैं। अंत में पूरे विषय को समेटते हुए प्रेजेंटेशन को सकारात्मक बात पर समाप्त करें।
ध्यान रखें
- प्रेजेंटेशन के दौरान हम कुछ ऐसी चीजें करतें हैं जिसपर हमारा ध्यान तो नहीं जाता लेकिन हमें देखने वाले लोग उसे पकड़ लेते हैं। उन चीजों के बारे में भी जानना जरूरी है।
- अपने हाथों का इस्तेमाल करना एक अच्छी आदत है, लेकिन जरूरत से ज्यादा उपयोग ये दर्शाता है कि आप घबरा रहे हैं या खुद को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।
- पोडियम का ज्यादा देर तक सहारा न लें। लोगों से समकक्ष होकर बात करें। जेब में हाथ न डालें और हड़बडा़एं नहीं।
- जरूरी बात पर जोर देने के लिए उसे दोबारा न भूलें। बोलते समय अपनी आवाज पर नियंत्रण स्थापित करने का अभ्यास करें।
- प्रेजेंटेशन खत्म करते ही तुरंत सीट पर न बैंठें। लोगों से बातचीत करें और उन्हें सवाल पूछने का मौका दें।
- प्रेजेंटेशन से पूर्व, अपनी आवाज को वॉर्मअप करें। खुद से बात करें, पर ध्यान रखें कि कोई भी आसपास नहीं हो।
- अपनी आवाज के उतार-चढ़ाव पर ध्यान दें। वाक्य के कम या अधिक महत्व के अनुसार कभी तेज और कभी धीमे ढंग से बात को रखें।
- बात करते समय वाक्य की गति पर ध्यान दें। अक्सर लोग घबराहट में इतनी तेज गति से बोलते हैं कि समाने बैठे लोग शब्दों को पकड़ ही नहीं पाते।
- आवाज की टोन पर ध्यान देना जरूरी है। एक ही टोन प्रेजेंटेशन को बोर कर देती है। विषय को पूरी ऊर्जा के साथ प्रस्तुत करें।
आत्मविश्वास भी है जरूरी
लोगों के सामने अपनी बात कहना हम लोगों में से कई के लिए किसी जंग से कम नहीं। अक्सर लोग विषय की अच्छी जानकारी होने पर दूसरों के सामने एक वाक्य बोलने में भी घबरा जाते हैं। पर घबराने से काम नहीं चलता। विषय की समझ को पुख्ता करें और उसका अभ्यास अपने दोस्तों या मित्रों के सामने करें। प्रेजेंटेशन हाल में कुछ वक्त बिताएं और उसके वातावरण में खुद को ढालने की कोशिश करें।