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हमारे सांसद पार्लियामेंट में ऐसे पूछते हैं जनता से जुड़े सवाल

क्या आपने अपने क्षेत्र के सांसद को पार्लियामेंट यानी संसद में सवाल पूछते देखा है? अगर हाँ, तो आप को ये भी ज़रूर जानना चाहिए कि हमारे संसद सदस्य इन सवालों को पूछने से पहले क्या तैयारी करते हैं और कितने तरह से प्रश्न संसद में पूछे जाते हैं।
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ये तो आप जानते ही होंगे भारतीय संसद के दो भाग है। पहला है राज्य सभा जिसे उच्च सदन या ऊपरी सदन भी कहते हैं , दूसरा है लोक सभा यानी निचला सदन। लोकसभा को लोगों का सदन और राज्यसभा को राज्यों की परिषद के रूप में भी जाना जाता है। लोकसभा की अध्यक्षता अध्यक्ष द्वारा की जाती है और राज्यसभा की अध्यक्षता भारत के उपराष्ट्रपति करते हैं।

अब बात करते हैं संसद में पूछे जाने वाले सवालों की।

लोकसभा की बैठक का पहला घंटा सवाल पूछने के लिए होता है, जिसे प्रश्नकाल कहा जाता है। इसका संसद की कार्यवाही में विशेष महत्व है। प्रश्न पूछना सदस्यों का संसदीय अधिकार है।

प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा सदस्य प्रशासन और सरकार के कार्यकलापों के हर पहलू पर प्रश्न पूछ सकते हैं। मतलब ये वो मौका होता है जब सरकार को कसौटी पर परखा जाता है। हर एक मंत्री मंत्री जिनकी प्रश्नों का उत्तर देने की बारी होती है, वो खड़े होकर अपने मंत्रालय (विभाग) के बारे में जवाब देते हैं।

संसद में चार प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं – पहला तारांकित, दूसरा अतारांकित, तीसरा अल्प सूचना प्रश्न और चौथा गैर सरकारी सदस्यों से पूछे गए प्रश्न।

तारांकित प्रश्‍न : ये वह होता है जिसका सदस्य सभा में मौखिक उत्तर चाहता है और पहचान के लिए उस पर तारांक बना रहता है। जब प्रश्न का उत्तर मौखिक होता है तो उस पर अनुपूरक प्रश्न (उसी विषय से जुड़ा अलग से सवाल) पूछे जा सकते हैं। मौखिक उत्तर के लिए एक दिन में केवल 20 प्रश्नों को सूचीबद्ध किया जा सकता है।

अतारांकित प्रश्‍न : इसमें सभा में मौखिक उत्तर नहीं मांगा जाता है। कोई अनुपूरक प्रश्न भी नहीं पूछा जा सकता है । ऐसे प्रश्नों का लिखित उत्तर प्रश्न काल के बाद जिस मंत्री से वह प्रश्न पूछा जाता है, उसके द्वारा सभा पटल पर रखा गया मान लिया जाता है। इसे सभा की उस दिन के अधिकृत कार्यवाही वृत्तान्त (ऑफिशियल रिपोर्ट) में छापा जाता है। लिखित उत्तर के लिए एक दिन में केवल 230 प्रश्नों को सूचीबद्ध किया जा सकता है।

अल्प सूचना प्रश्न : वह होता है जो अविलंबनीय लोक महत्व से संबंधित होता है और जिसे एक सामान्य प्रश्‍न के लिए विनिर्दिष्ट सूचना विधि (जिसका निर्देश किया गया हो), से कम अवधि के भीतर पूछा जा सकता है। एक तारांकित प्रश्‍न की तरह, इसका भी मौखिक उत्तर दिया जाता है जिसके बाद अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।

गैर सरकारी सदस्य के लिए प्रश्न स्वयं सदस्य से ही पूछा जाता है और यह उस स्थिति में पूछा जाता है जब इसका विषय सभा के कार्य से संबंधित किसी विधेयक, संकल्प या ऐसे अन्य मामले से संबंधित हो जिसके लिए वह सदस्य उत्तरदायी हो। ऐसे प्रश्नों हेतु ऐसे परिवर्तनों सहित, जैसा कि अध्यक्ष आवश्यक या सुविधाजनक समझे जाएं, वही प्रक्रिया अपनायी जाती है जो कि किसी मंत्री से पूछे जाने वाले प्रश्‍न के लिए अपनाई जाती है।

प्रश्नकाल की शुरुआत

भारत ने यह पद्धति इंग्लैंड से ग्रहण की है जहाँ सबसे पहले 1721 में इसकी शुरुआत हुई थी। देश में संसदीय प्रश्न पूछने की शुरुआत 1892 के भारतीय परिषद अधिनियम के तहत हुई।

आज़ादी से पहले भारत में प्रश्न पूछने के अधिकार पर कई प्रतिबंध लगे हुए थे, लेकिन आज़ादी के बाद उन प्रतिबंधों का ख़त्म कर दिया गया। अब संसद सदस्य लोक महत्व के किसी ऐसे विषय पर जानकारी हासिल करने के लिए सवाल पूछ सकते हैं जो मंत्री के विशेष संज्ञान में हो।

कौन से प्रश्न पूछे जा सकते हैं

लोकसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन संबंधी नियम 41 (2) में इस बात का उल्लेख किया गया है कि किन तरह के प्रश्नों को प्रश्नकाल के दौरान लिया जा सकता है।

लोक महत्व के उस तरह के प्रश्नों को लिया जा सकता है जिसमें अनुमान, व्यंग्य, आरोप-प्रत्यारोप और मान हानिकारक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया हो।

इसमें किसी व्यक्ति के सार्वजनिक हैसियत को छोड़ उसके चरित्र या आचरण पर कोई सवाल नहीं पूछा जाएगा और ना ही किसी प्रकार का व्यक्तिगत दोषारोपण किया जाएगा। ये सवाल दोषारोपण करते हुए लगने भी नहीं चाहिए।

सदस्य जिसके प्रश्‍न को लिया गया है और जिसे एक विशेष दिन की मौखिक उत्तरों के लिए प्रश्‍नों की सूची में शामिल किया गया है वह अपने प्रश्‍न की बारी आने पर केवल अपने प्रश्‍न की संख्या पढ़ने के लिए अपनी सीट पर खड़ा होकर अपना प्रश्‍न पूछता है। संबंधित मंत्री प्रश्‍न का उत्तर देता है। इसके बाद सदस्य जिसने प्रश्‍न पूछा था वह दो अनुपूरक प्रश्‍न पूछ सकता है। फिर दूसरा सदस्य जिसका नाम प्रश्नकर्ता के साथ शामिल किया गया है को एक अनुपूरक प्रश्न पूछने की इजाज़त दी जाती है।

इसके बाद अध्यक्ष उन सदस्यों को एक-एक अनुपूरक प्रश्न पूछने की इजाज़त देते हैं जिनका वह नाम पुकारते हैं। ऐसे सदस्यों की संख्या प्रश्न के महत्व पर निर्भर करती है। फिर अगला प्रश्न पूछा जाता है। प्रश्‍न काल के दौरान जिन प्रश्नों के उत्तर मौखिक उत्तर के लिए नहीं पहुंचते हैं उन्हें लोकसभा के पटल पर रखा गया माना जाता है।

प्रश्‍न काल के आखिर में प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए जाने के बाद, अल्प सूचना प्रश्न (कम समय देकर पूछा गया पश्न), अगर कोई उस दिन के लिए है तो उसे लिया जाता है और उसका उसी तरह उत्तर दिया जाता है जैसे प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए जाते हैं।

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