अगर आप झारखंड के किसान है तो ख़ुश हो जाइए, ये ख़बर आपके लिए राहत देने वाली है।
जी हाँ, सरकार ने मौजूदा हालात को देखते हुए किसान भाइयों के लिए बीज पर 90 फीसदी का अनुदान यानी सब्सिडी देने का फैसला किया है।
सूखे की मार झेल रहे झारखंड के किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने ये कदम उठाया है, ताकि लागातार दूसरी बार सूखे का संकट झेल रहे किसानों को और परेशान न होना पड़े।
राज्य सरकार ने किसानों को 90 फीसदी अनुदान पर बीज देने की योजना तैयार की है; इस सिलसिले में कृषि निदेशालय से एक प्रस्ताव कृषि विभाग के पास भेज दिया गया है जहाँ से हरी झंडी मिलते ही इसे वित्त विभाग के पास भेजा जाएगा, फिर कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस योजना को लागू कर दिया जाएगा।
राज्य में रबी सीजन का समय चल रहा है और किसान भाई इस समय रबी फसलों की बुवाई भी कर रहे हैं, ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस योजना को सरकार जल्द लागू करेगी।
माना जा रहा है कि दो सप्ताह के अंदर बीज बाँटने का काम शुरू हो जाएगा।
इस योजना के तहत किसानों को बेहतर नस्ल के बीज दिए जाएँगे। प्रदेश के किसानों ने सरसों, गेंहूँ और मसूर के बीज की माँग की है। जिसे देखते हुए सरकार ने बीज की आपूर्ति के लिए राष्ट्रीय बीज निगम को निर्देश दिया है।
कैसे मिलेगा बीज?
जो किसान भाई अनुदान पर बीज लेना चाहते हैं उनको सबसे पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अभी तक प्रदेश में 19 लाख ऐसे किसान हैं जिनका रजिस्ट्रेशन पूरा हो गया है।
अभी तक किसानों की बड़ी शिकायत बीज की कालाबाजारी की भी थी जिससे कई किसानों को पूरा बीज नहीं मिल पाता है। यही वजह है कि इस बार विभाग ने रजिस्ट्रेशन के जरिए बीज देने की योजना बनाई है; साथ ही बीज लेते समय ओटीपी देना होगा, ताकि ज़रूरतमंद और सही व्यक्ति को ही अनुदान पर बीज का लाभ मिल सके।
योजना पर कितना होगा कुल ख़र्च
झारखंड सरकार हर साल किसानों को 50 फीसदी अनुदान पर बीज देती रही है, लेकिन इस बार सूबे के 158 प्रखंडों में किसान सूखे से प्रभावित हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने बीज सब्सिडी को 50 से बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया है।
इस योजना को लागू करने पर राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये अधिक खर्च करने होंगे। इस योजना के तहत 5520 क्विंटल गेंहूँ, 1200 क्विंटल सरसों और 400 क्विंटल मसूर दाल बाँटने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि विभाग की तरफ से राज्य में 2.5 लाख हेक्टेयर में गेंहूँ और 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है।