पानी केवल हमारे जीवन का आधार नहीं है बल्कि यह सृष्टि कि रचना का भी आधार है। पानी धरती पर सीमित है और आबादी बढ़ने के साथ पानी का उपयोग और दुरुपयोग दोनों बढ़ रहे हैं।
पानी को और उसकी स्थिति को कुछ इस तरह समझा जा सकता है। यूँ तो हमारी पृथ्वी पर 70 प्रतिशत भाग में पानी है पर वह दो हिस्सों में बँटा है। 97 फीसदी समुद्र का पानी खारा है जो हमारे उपयोग का नहीं है। इसके साथ ही 3 प्रतिशत पानी जो नदियों, तालाबों, पोखरों और ग्राउंड वाटर में बँटा है वो हमारे उपयोग का मीठा पानी है। इसका पीएच 6.5 से 8 तक होता है और टीडीएस 150 से 350 तक होता है और यह बारिश के माध्यम से रिसाइकिल होता है।
हमारे उपयोग के 33 प्रतिशत पानी को इस तरह समझा जा सकता है; पोखर और तालाब हमारे कैश मनी की तरह थे, जब ज़रूरत हो जेब में हाथ डालो निकालो। इन्हें हमने लगभग 25 लाख से अधिक तालाबों और लगभग 50 लाख से ज़्यादा पोखरों के रूप में ख़त्म कर दिया।
दूसरा सेविंग मनी जो कैश ख़त्म होने पर हम उपयोग करते हैं वो नदियाँ हैं। लगभग 5000 से ज़्यादा नदियों को सूखा कर और 300 से अधिक नदियों को गंदा कर हमने ख़त्म कर दिया।
तीसरा रिज़र्व मनी या एफ़डी हम इमरजेंसी में इस्तेमाल करते हैं जो हमारे ग्राउंड वाटर (रिजर्व वाटर) के रूप में है, जिस पर हमने हाथ डालकर 2000 फीट तक पहुँचा दिया और कई इलाकों में तो ख़त्म ही कर दिया। अब चिंता का विषय यह कि बढ़ती आबादी और बढ़ते पानी के उपयोग को हम कैसे पूरा करें। हमारा जीवन संकटपूर्ण स्थिति में है, इसकी चिंता करना और उसके समाधान पर काम करना हर मनुष्य का दायित्व बन जाता है, क्योंकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को पैसे की बाद में पहले पानी की आवश्यकता होगी।
हमारा स्वभाव बन गया है हम उपयोग करना चाहते हैं, पर पानी बचाना नहीं चाहते। कुएँ से पानी सभी को चाहिए पर कुआँ खोदना कोई नहीं चाहता। हम सब को मिलकर इसके बढ़ते उपयोग और दुरुपयोग को रोकना होगा, साथ ही बारिश के माध्यम से गिरने वाली हर एक बूँद को सहेजना पड़ेगा।
पानी को सहेजने की विधि समझ लीजिए
पिछले 15 वर्षों में कृषि के गहरे अध्ययन और अनुभव से पानी जमा करने की कुछ विधियां तैयार की है।
सबसे पहले पानी के उपयोग कम करने के लिए मल्टी लेयर कृषि पद्धति का नवाचार है जो कृषि में लगभग 70 प्रतिशत पानी के उपयोग को कम कर देता है।
दूसरा बारिश के गिरने वाले पानी को खेत में रोककर इसे रिचार्ज करना, इसमें तीन विधियाँ तैयार की है, जिसमें पहली विधि खुले खेत के अंदर ढाल की विपरीत दिशा में मेड़ बनाकर फसल की बुवाई करना। इससे खेत में गिरने वाला पानी ढाल की दिशा में नहीं बह पता है और वह पानी धरती के अंदर जाता है। यह विधि केवल दोमट मिट्टी और रेतीली मिट्टियों के लिए है। वहीं मल्टीलेयर कृषि प्रणाली में ढाल की दिशा में मेड़ से मेड़ के बीच में यानी की चलने वाले रास्ते में छोटे छोटे (6 इंच गहरा और 9 इंच चौड़े) गड्ढ़े बना कर पानी को रोकना।
दूसरी विधि जिसमें खेत की मेड़ से लग कर खेत के चारों तरफ़ नाली बना कर पानी को रोका जाता है। इस नाली में खेत के अंदर पहली विधि से ओवरफ्लो हुआ पानी आकर रुकता है। यह नाली 2 फीट गहरी और 2 फीट चौड़ी होती है और पूरे खेत को चारो तरफ़ से घिरी होती है।
तीसरी विधि, जिसमें खेत के अंत में ढाल की दिशा में 10 बाई 10 फीट का गड्ढा बना कर पानी को रोका जाता है। इस गड्ढे में दूसरी विधि नाली से ओवर फ़्लो हुआ पानी आता है और ढाल होने के कारण गड्ढे में रुकता है और इस तरह से हर एक विधि में लगभग 10 लाख लीटर पानी को रोका जाता है।
मौसम विभाग के अनुसार अगर एक इंच बारिश होती है तो एक एकड़ के एरिया में एक लाख लीटर के आसपास पानी बरसता है और अगर एवरेज 40 इंच बारिश होती है तो लगभग हम तीनों विधियों से लगभग 30 लाख लीटर पानी को रिचार्ज कर सकते हैं।
इन विधियों को अपनाने के लिये कोई बहुत खर्च नहीं करना होता है और अपने पूरे खेत को रिचार्ज पिट बनाकर ना केवल पानी धरती के अंदर रिचार्ज करते हैं, बल्कि बेशकीमती मिट्टी को भी बहने से रोकते हैं। इसको एक नज़र में समझने के लिये एक चित्र तैयार किया है जो आपके साथ साझा करता हूँ।
इन विधियों को अपनाने के लिए बारिश के पहले किसान भाई बहन चित्र के अनुसार लेआउट बनाएँ।
अधिक जानकारी के लिये 9179066275 पर व्हाट्सएप पर अपनी बात का संदेश भेजे या शाम 8 से 10 के बीच में फोन पर बात कर सकते हैं।