नई दिल्ली। शहर के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में रहने वालों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने जनधन योजना शुरू की। ऐसे में आपके खातों से जुड़े कई नियम कानून समय समय पर बदलते भी हैं। आइए आज जाने आपके बैंक खातों से जुड़े कुछ बैकों के नियमों व कार्यों में बदलाव जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने जुलाई के अंतिम दिन, यानी 31 जुलाई से बचत खातों पर ब्याज की प्रणाली को दो-स्तरीय बना दिया है। एक करोड़ रुपये से कम की जमा पर ब्याज दर को 4 फीसदी से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि एक करोड़ रुपये से ज़्यादा की जमा पर 4 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने एक बयान में कहा है, “मुद्रास्फीति की दर में कमी तथा वास्तविक ऊंची ब्याज दरों की वजह से बचत खातों पर दिए जाने ब्याज की दर में बदलाव करना ज़रूरी हो गया था।”
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एसबीआई के बचत खाते में मासिक ऐवरेज बैलेंस (औसतन मासिक शेष) नहीं रखने पर 100 रुपये तक की पेनाल्टी आपको चुकानी होगी। इस पेनाल्टी में एक जुलाई से देशभर में लागू हुए जीएसटी के तहत लगे टैक्स को शामिल नहीं किया गया है। दरअसल, केंद्रीय बैंक आरबीआई के निर्देशों के मुताबिक बैंक सामान्य बचत खातों में एक तयशुदा न्यूनतम रकम (मिनिमम बैलेंस) न रखने पर शुल्क लगा सकते हैं। एसबीआई की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबकि, इस मासिक ऐवरेज बैलेंस (औसतन मासिक शेष) के तहत रकम और शुल्क को बैंक ने चार भागों में बांटा है- मेट्रो, अर्बन (शहरी), सेमी-अरबन, रुरल (ग्रामीण)।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) ने भी 50 लाख रुपये तक की जमा पर ब्याज दर आधा प्रतिशत घटाकर 3.50 प्रतिशत कर दिया है। बैंक में बचत खाता रखने वाले ग्राहकों को 50 लाख रुपये तक की जमा पर सालाना चार के बजाय 3.50 प्रतिशत ब्याज मिलेगा। हालांकि, 50 लाख रुपये से अधिक की जमा पर ग्राहकों को चार प्रतिशत ब्याज मिलता रहेगा।
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बता दें कि देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जिससे रेपो रेट घटकर छह प्रतिशत रह गया है जोकि सात साल के सबसे निचले स्तर पर है। ऐसे में यदि बैंकों ने भी इसी अनुपात में अपने ग्राहकों को इस कटौती का लाभ देते हुए ब्याज दरों में कटौती की तो यकीन मानिए यह एक बेहद नफे का सौदा साबित होगा।
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