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संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में किसान आंदोलन को लेकर क्या फैसला हुआ?

संयुक्त किसान मोर्चा ने आज बैठक में कई फैसले लिए हैं, सरकार से बात करने के लिए 5 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
Samyukt Kisan Morcha

संयुक्त किसान मोर्चा ने आज बैठक में फैसला लिया है कि जब तक सरकार से कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिल जाती है, तब तक किसान अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

संयुक्त किसान ने लंबित मुद्दों का हल निकालने के लिए और भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह के साथ एक 5 सदस्यीय समिति का गठन किया।

एसकेएम की अगली बैठक अब मंगलवार 7, दिसंबर को होगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन की लंबित मांगों और भारत सरकार से औपचारिक प्रतिक्रिया की कमी के बारे में चर्चा करने के लिए आज एक महत्वपूर्ण बैठक की। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि भारत सरकार से औपचारिक और संतोषजनक प्रतिक्रिया मिलने तक किसानों का आंदोलन पहले की तरह ही जारी रहेगा।

एसकेएम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 21 नवंबर को एक पत्र भेजा है, जो 19 नवंबर को 3 कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संबोधन के तुरंत बाद है। 

“भारत के किसान यूनियों के पास केवल मौखिक आश्वासन हासिल करने और उनके आंदोलन को समाप्त करने का एक कड़वा अनुभव है और यह पाते हुए कि सरकारें अल्प मौखिक आश्वासनों से भी पीछे हटती हैं। हम प्रत्येक मुद्दे पर औपचारिक प्रतिक्रिया के बिना इस आंदोलन को समाप्त नहीं करेंगे। हम चाहते हैं कि इस आंदोलन के तहत किसानों और उनके समर्थकों के खिलाफ लगाए गए सभी मामलों को वापस लिया जाए और इस तरह का आश्वासन औपचारिक रूप से आ रहा है” ,एसकेएम नेताओं ने आज बैठक के बाद कहा।

आज की बैठक में, एसकेएम ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह की 5 सदस्यीय समिति का गठन किया।

किसानों ने अपनी छह मांगे रखी हैं:

1. खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिया जाय, ताकि देश के हर किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके। (स्वयं आपकी अध्यक्षता में बनी समिति ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी थी और आपकी सरकार ने संसद में भी इसके बारे में घोषणा भी की थी)

2. सरकार द्वारा प्रस्तावित “विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021” का ड्राफ्ट वापस लिया जाए (वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादाखिलाफी करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था)

3. “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021” में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए (इस साल सरकार ने कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए लेकिन सेक्शन 15 के माध्यम से फिर किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है)

4. दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) सैकड़ों मुकदमों में फंसाया गया है। इन केसों को तत्काल वापस लिया जाए।

5. लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी आज भी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं। वह आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैंI उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए।

6. इस आंदोलन के दौरान अब तक लगभग 700 किसान शहादत दे चुके हैं। उनके परिवारों के मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था हो। शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधू बॉर्डर पर जमीन दी जाय।

एसकेएम की अगली बैठक अब 7 दिसंबर के लिए तय की गई है, जिसमें अगले दो दिन भारत सरकार को एसकेएम को जवाब देने और 5 सदस्यीय समिति के साथ मिलकर इस आंदोलन को उसके तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए काम करने के लिए रखा गया है।

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