खेती से बढ़िया उत्पादन के लिए मिट्टी की जांच बहुत जरूरी होती है, इसका मुख्य उद्देश्य खेत की जरूरत के अनुसार उसे पोषक तत्व उपलब्ध करवाना है, जिससे कि उत्पादन तक बढ़ेगा ही साथ ही लागत में भी कमी आएगी।
सरकार भी मिट्टी की जांच पर खास ध्यान दे रही है, साल 2015 मृदा वर्ष के रूप में मनाया गया था और प्रधानमंत्री सॉयल हेल्थ कार्ड योजना की भी शुरूआत की गई थी।
क्यों जरूरी है मिट्टी की जांच
देश की बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान उत्पादन की मांग को पूरा करना एक बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इसके लिए मिट्टी का स्वस्थ्य रहना बहुत जरूरी है। पौधे के विकास के लिए कुल 17 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। अधिक पैदावार व लाभ लेने के लिए उर्वरको का संतुलित मात्रा में प्रयोग आवश्यक है। उर्वरकों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करने के लिए मिट्टी का परीक्षण करवाना आवश्यक है।
मिट्टी कि जांच मुख्यता दो समस्याओं के समाधान के लिए कि जाती है
1. फसल व फल वृक्षों के पोषक तत्वों की सिफारिशों के लिए
2. आम्लीय व क्षारीय मिट्टी के सुधार के लिए
मिट्टी कि जांच से पता चलता है कि भूमि में कौन सा पोषक तत्त्व उचित, अधिक या कम मात्रा में है। यदि आप बिना मिट्टी जांच कराए पोषक तत्व डालते हैं तो संम्भव है कि खेत में जरूरत से अधिक या कम खाद डाल दी जाए।
आवश्यकता से कम खाद डालने पर कम उपज मिलेगी और अधिक खाद डालने पर खाद का गलत उपयोग होगा और पैसा भी बेकार जायेगा साथ ही भूमि भी ख़राब होने की संभावना ज्यादा रहती है।
मिट्टी का नमूना कैसे लें
- मिट्टी का नमूना हमेशा फसल की बुवाई या रोपाई के एक माह पहले लेना चाहिए।
- जिस खेत का नमूना लेना हो उसके अलग अलग 8 से 10 स्थानों पर निशान लगाएं।
- चुनी हुई जगह के ऊपरी सतह से घास फूंस हटा दे।
- सतह से 15 सेमी यानि आधा फुट गहरा गड्ढा खोद कर खुरपे से एक तरफ से ऊंगली की मोटाई तक का ऊपर से नीचे तक का नमूना काट ले।
- मिट्टी को बाल्टी या टब में इकट्ठा कर ले इसी तरह सभी स्थानों से नमूना इकट्ठा कर ले व अच्छी तरह मिला लें।
- अब मिट्टी को फैला कर 4 भागो में बाट लें इन चार भागों में से आमने- सामने के 2 भाग उठा कर फेंक दें, बाकी बचे हुए भाग को फिर से मिला कर 4 भाग कर लें व 2 भाग फेंक दें। बची हुई मिट्टी को मिला लें। यह प्रक्रिया तब तक दोहराएं जब तक हमारे पास 500 ग्राम मिट्टी शेष बचे।
- अब इस नमूने (लगभग आधा किलो मिट्टी) को साफ़ थैली में डाल लें।
- एक पर्ची पर किसान का नाम, पिता का नाम, गांव, तहसील व जिले का नाम खेत का खसरा नम्बर भूमि सिंचित है या असिंचित आदि लिख कर थैली में डाल दें।
- नमूना लेते समय क्या क्या सावधानियां बरतनी चाहिए
- खेत में ऊची नीची जगह से नमूना ना लें।
- मेढ़, पानी की नाली व कम्पोस्ट के ढेर के नजदीक से नमूना ना लें।
- पेड़ की जड़ के पास से नमूना ना लें।
- मिट्टी का नमूना खाद के बोरे या खाद की थैली में कभी न रखें।
- खड़ी फसल से नमूना ना लें।
- ऐसे खेत जहा हाल ही में उर्वरक का प्रयोग किया हो वहा से नमूना ना लें।
मिट्टी का नमूना कहां भेजें ?
मिट्टी का नमूना लेने के बाद उसकी जांच के लिए आप स्थानीय कृषि पर्यवेक्षक या नजदीकी कृषि विभाग के दफ्तर में जमा करा सकते हैं। आप भी अपने निकटतम मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में नमूना ले जाकर दे सकते हैं जहां इसकी जांच मुफ्त की जाती है।
इसलिए किसान मिट्टी का परीक्षण जरूर करवाएं और उसी के अनुसार उर्वरकों का संतुलित तरीके से प्रयोग करें।