रेबीज का इलाज समय से नहीं कराया तो 100 फीसदी मौत तय है !

दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद में कुत्ते के काटने से हुए रेबीज से 14 साल के बच्चे की मौत से लोग सकते में हैं। ये घटना सबक है और चेतावनी भी कि इस बीमारी में मौत निश्चित है।
#Health

अगर आप को भी यही लगता है कि रेबीज इन्फेक्शन सिर्फ कुत्ते के काटने से होता है तो आप गलत सोचते हैं, यही नहीं अगर समय रहते ध्यान दिया जाए जो रेबीज इन्फेक्शन से बचा जा सकता है। 

क्या है रेबीज?

रेबीज सिर्फ कुत्तों के काटने से फैलता है, यह सही नहीं है।

मैक्स हेल्थ केयर के निदेशक डॉक्टर के सी नैथानी के मुताबिक रेबीज वायरल इंफेक्शन है जो इंफेक्टेड जानवरों के काटने से फैलता है। लायसा वायरस के कारण होने वाला रेबीज कुत्तों के अलावा दूसरे जानवरों के काटने से भी हो सकता है। कुत्ता, बिल्ली, बंदर जैसे दूसरे जानवरों के काटने से भी आप रेबीज के शिकार हो सकते हैं।  

यही नहीं रेबीज पालतू जानवरों के चाटने, उनके लार के खून के सम्पर्क में आने से भी फ़ैल सकता है। खासकर तब जब काटने वाले कुत्ते को रेबीज का इंजेक्शन नहीं लगा हो। रेबीज एक खतरनाक जूनोटिक बीमारी है जो जानवरों से इंसानों में फैलती है। अगर कुत्तों को वैक्सीन लगी है तो उनके काटने से रेबीज नहीं फैलता है। 

क्यों है रेबीज इतनी ख़तनाक बीमारी

किसी को रेबीज हो गया तो उसे बचाना मुश्किल होता है। अभी तक इस बीमारी के होने के बाद का इलाज नहीं है। अगर रेबीज का वक्त रहते इलाज नहीं कराया गया तो बचना असंभव है। इस बीमारी की चपेट में आने की एक वजह ये भी है कि इसके लक्षण काफी देर में नज़र आते हैं।

कुछ मामलों में रेबीज के लक्ष्ण चार से छह सप्ताह के बीच डेवलप होते देखे गए हैं। कभी-कभी 10 दिन से आठ महीने के बीच भी लक्षण नज़र आ सकते हैं।

रेबीज का वायरस इंसान के शरीर में पहुँचने के बाद उसके नर्वस सिस्टम के जरिए दिमाग में सूजन पैदा कर देता है। इस हालत में मरीज़ कोमा में चला जाता है या फिर उसकी मौत हो जाती है। कभी-कभी लकवा भी हो जाता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, अधिक लार आना, मांसपेशियों में ऐंठन, पक्षाघात और मानसिक भ्रम शामिल हैं।

डॉक्टर नैथानी कहते हैं, “इसका सीधा इलाज नहीं है ये तो अब समझ ही गए हैं, ऐसे में इसे फैलने से रोकने के लिए टीके लगवा लेना ही समझदारी है।” उनके मुताबिक इसके लिए इंट्रा मस्कुलर वैक्सीन की 4 डोज दी जाती है। इस डोज को काटने के तुरंत बाद, सातवें, 14 वें और 28 वें दिन पर दिया जाता है।

रेबीज का 72 घंटे के भीतर इलाज ज़रूरी है, जितना जल्दी हो वैक्सीन का टीका लगवाएं। जानवर के काटने का हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन ज़रूर लगवाना चाहिए। समय रहते इलाज न किया जाए या इलाज में देर हो तो जानलेवा हो जाता है।

हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज डे (दिन) मनाया जाता है। इसका मकसद इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना है। इसकी शुरुआत फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर की डेथ एनिवर्सरी से हुई थी।

साल 1885 में लुई ने रेबीज वैक्सीन विकसित किया था। इसी वैक्सीन को रेबीज की बीमारी से बचने के लिए लगाते है। लुई को पोलियो, चेचक, छोटी चेचक और रेबीज टीका की खोज के लिए जाना जाता है।   

Recent Posts



More Posts

popular Posts