लखनऊ। इस पौधे की पत्तियां हल्दी के पौधे की तरह होती हैं, लेकिन स्वाद बिल्कुल कच्चे आम जैसा, और इसकी गांठे अदरक की तरह होती है। देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाने जाना वाला ये अदरक की प्रजाति का पौधा होता है।
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सोनभद्र के प्रगतिशील किसान ब्रह्मदेव कुशवाहा ने अपने खेत में सहफसली खेती में हल्दी, अदरक, जिमीकंद के साथ मैंगो जिंजर भी लगाया है। वो बताते हैं, “अदरक की ये किस्म बहुत खास होती है, जो भी देखता है उसे यही लगता है कि ये हल्दी ही है। ये औषधीय पौधा होता है कई तरह की रोगों में काम आता है। अभी कच्चे अदरक की चटनी में बिल्कुल कच्चे आम का स्वाद आता है।”
गुजरात, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हिमालय, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में इसकी खेती की जाती है। गर्मियों में इसमें गुलाबी, बैंगनी रंग के फूल खिलते हैं तो लोग इसे बगीचे में भी लगाते हैं।
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नरेद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. विक्रमा प्रसाद पांडेय बताते हैं, “इसका वानस्पतिक नाम क्यूरकुमा अमाडा होता है, इसमें कच्चे आम की महक आती है, इसे आमा हल्दी भी कहा जाता है, अलग-अलग प्रदेशों में इसे अलग नामों से जाना जाता है। इसका प्रयोग कई तरह के रोगों के उपचार में होता है।”
वो आगे बताते हैं, “विश्वविद्यालय की तरफ से प्रयोग के तौर पर कई किसानों को मैंगो जिंजर के गांठे दी गईं थी, कई किसानों के यहां अच्छा उत्पादन भी हुआ है।”
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अदरक की प्रजाति को मराठी में अंबे हल्दी, हिंदी में आमा हल्दी और इंग्लिश में मैंगो जिंजर कहा जाता है।