बात-बात पर बच्चों को डांटना और पीटना हो सकता है खतरनाक

बच्चों द्वारा जब कोई घटना होती है तो हर घटना को अलग-अलग तौर पर देखना होगा। हर घटना अलग-अलग होती है तो उसमें थोड़ा समय व्यतीत करने की जरुरत होती है।
#मनोचिकित्सक

कई बार बच्चों को गलती पर उनके माता-पिता उन्हें पीट या डांटते हैं, तो उन्हें लगता की बच्चे इस पर सुधर जाएंगे लेकिन ऐसा ही नहीं है। बच्चों के स्वभाव और बदलाव के बारे में बता रहे हैं मनोचिकित्सक डॉ. अलीम सिद्दीकी।

बच्चों का स्वभाव ठीक है और हम उनके स्वभाव को ठीक ही कहेंगे लेकिन बीच-बीच में आप घटनाएं देखते होंगे तो हमें उस पर फोकस करने की जरुरत है। जब हम किसी घटना को देखते हैं तो देखते हैं कि उसके आगे क्या हो रहा इसे एबीसी मॉडल बोलते हैं। ए-एनटिसीडेंट (पहले क्या घटना हुई) बी-विहैवियर (बच्चे का बिगड़ा हुआ व्यवहार) सी-कांसिक्वेंस (क्या परिणाम हुआ) ये तीनो चीजें बताती हैं कि ये घटना बार-बार होने वाली है कि एक बार होकर खत्म हो गयी है।

बच्चों द्वारा जब कोई घटना होती है तो हर घटना को अलग-अलग तौर पर देखना होगा। हर घटना अलग-अलग होती है तो उसमें थोड़ा समय व्यतीत करने की जरुरत होती है। कई घटनाओं को देखने के बाद जब कोई सामान्य चीज उन सभी में से निकलकर आ रही है तो हम बाकी लोगों को उसके बारे में जानकरी देते हैं।

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बच्चों द्वारा किये जाने वाले हिंसात्मक व्यवहार में घर के माहौल का बहुत असर पड़ता है। बच्चे के घर में अगर आए दिन लड़ाई झगड़ा हो रहा है, माता-पिता एक दूसरे से मारपीट कर रहे हैं। मारपीट नहीं कर रहे हैं तो मारपीट के अलावा हिंसा तो बोलकर भी हो सकती है। बच्चे के दादा-दादी का व्यवहार कैसा है इन सभी चीजों का बच्चे के ऊपर बहुत असर पड़ता है। इसके अलावा हमें ये भी देखने की जरुरत है कि बच्चे की खुद की टेंडेंसी कैसी है?


बच्चे और माता-पिता का तालमेल कैसा है इसका भी बहुत बड़ा असर पड़ता है। अगर ये तालमेल बढ़िया है मतलब कि बच्चे अगर कोई गलती भी करता है तो वो आकर अपने माता-पिता को बता देता है कि आज उसने ये गलती की है या फिर माता-पिता ने गलती पर पूछा कि ये क्या हुआ तो उसने बता दिया तब भी हिंसा होने की संभावना काफी कम हो जाती है।

माता-पिता दोनों काम करने वाले हैं और बच्चे के लिए उनके पास समय नहीं है। उनके बच्चे को नौकर पाल रहा है। बच्चा नौकर से अलग तरीके से बात करता है, क्योंकि नौकर पेड होता है तो बच्चा उसको चिल्ला भी देता है। ये सभी चीजें आगे चलकर बच्चे के लिए हिंसात्मक व्यवहार का कारण बन सकते हैं। बच्चे के स्कूल का माहौल कैसा है इसपर नजर रखनी चाहिए। बच्चे के ऊपर ज्यादा तनाव उसे गुस्सैल, चिड़चिड़ा और हिंसात्मक बना देता है।

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कई बार ऐसा होता है कि जो वो करने जा रहा है वो कितना बड़ा अपराध है। अगर उसे पता होगा न कि ये करना कितना बड़ा अपराध है तो वह ऐसी चीजें कभी भी नहीं करेगा। आप अपने बच्चे को बताएं कि प्यार का मतलब पैसे नहीं होता है। कभी-कभी ऐसा होता है कि माता-पिता समय न देने पाने की वजह से बच्चे को फोन दिला देते हैं और बोल देते हैं तुम अपने में खुश और मैं अपने में खुश। ऐसा बच्चे के साथ कभी भी नहीं करनी चाहिए। बच्चा खाना नहीं खा रहा है तो उसे खाने के साथ टीवी लगा के दे देते हैं।

बच्चे की अगर आप डिमांड पूरी करने लगे तो उसकी डिमान्ड बढ़ती ही जायेंगी। पहले बच्चा फोन मांगेगा, फिर मोटरसाइकिल मांगेगा उसके बाद कार मांगेगा फिर ऐसी चीज मांगेगा कि आप उसे नहीं दिलवा सकेंगे। इसके बाद से बवाल होना शुरू हो जाता है।

बच्चे भय में जीते हैं ये भी बहुत सामान्य सा हो गया है। इस भय के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं। घर में बच्चों की पिटाई ज्यादा हो रही है। बच्चे की कोई भी डिमांड रखने से पहले ही माता-पता ने बच्चे को डांटना शुरू कर दिया। बच्चे को अक्सर लोग कहते हैं वहां मत जाओ भूत है, अगर आपने बच्चे के अन्दर ये चीजें डाल दी तो बच्चा हमेशा ये ले कर बैठ जाता है। इसके बाद न बच्चा अँधेरे में जा सकेगा, न लिफ्ट में जा सकेगा और न ही कहीं अकेले रह सकता है। 

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