बरेली (उत्तर प्रदेश)। खेती की लागत कम करने और अच्छी फसल की पैदावार के लिए बेड, क्यारी और चक्रीय विधियों से 90 दिन में गोबर की खाद तैयार कर सकते हैं। इन तीन आसानी विधियों से लागत तो कम आएगी और उत्पादन भी अधिक होगा।
अभी किसान अपनी फसल में रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं जो कि जैविक खाद की तुलना में काफी महंगा पड़ती है। इन विधियों से घर पर ही आसानी से खाद को तैयार कर सकते हैं। बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान के केवीके में फार्म मैनेजर डॉ अमित बताते हैं, “जो किसान डेयरी व्यवसाय कर रहे है उन किसानों के यह समस्या होती है कि दूध तो बिक जाता है लेकिन गोबर से गंदगी होती है तो उसके लिए किसान जैविक खाद बना सकता है और अपनी फसलों की पैदावार भी बढ़ा सकते हैं।”
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वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिए पहले को गोबर को एक जगह इकट्ठा कर लें और उसे ढ़की हुई जगह पर रखें। जहां वह गीला न हो और ज्यादा धूप न लगे अगर धूप लगेगी तो उसके रसायन उड़ जाऐंगे। ” पहले 9 बाई 3 का एक बेड बनाए जिसकी 9 फीट लंबाई और 3 फीट चौड़ाई हो। इसके साथ ही डेढ़ फीट ऊंचाई हो। उसके बाद उसमें फसल अवशेष (नीम, हरा चारा) डाल दें।” गोबर को तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में डॉ अमित ने बताया, ” डेढ़ फीट के बेड में 2 फीट तक सूखे गोबर को डाले औ 2 किलो से 3 किलो तक आइसीनिया फीटीडा केंचुआ की प्रजाति डाल दें।”
एक किलों में 700 केचुए होते है ऐसे में 9 बाई 3 के बेड में 3 किलो में दो हज़ार से ज्यादा केचुए रहेंगे। केंचुआ डालने के बाद खाद को पुआल से ढ़क दें और उसमें 40 प्रतिशत तक पानी की मात्रा रखें जिससे उसमें नमी बनी रहे। खाद को जल्दी बनाने के बारे में डॉ अमित बताते हैं, “खाद को 15 से 20 दिन में उसको पलटते रहे जिससे केचुए अपनी (प्राकृतिक) गतिविधियां करते रहे। 90 दिन के बाद जिस जगह को ढक रखा है उसको खोल दीजिए धूप पड़ने दीजिए।”
अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ अमित बताते हैं, “केचुआ अंधेरे में अपनी प्रक्रिया पूरी करता है अंधेरे में ही अपनी कलोनी बनाता है जब उजाला होगा केंचुआ नीचे की सतह में चले जाते है तो ऊपर की सतह से आप वर्मी कम्पोस्ट को लेकर छानकर अलग कर सकते हैं जो बचा हुआ वेस्ट रहेगा उसको आप वैसे ही 9 बाई 3 के बेड में डालकर सूखा हुआ गोबर डालकर उसको देख लीजिए और फिर वहीं प्रक्रिया को 90 दिन तक कर सकते हैं और वर्मी कम्पोस्ट बना सकते हैं।”
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इस 9 बाई 3 के बेड से 90 दिन में 5 से 6 कुंतल खाद तैयार की जा सकती है। बेड को तैयार करते समय अगर अगर पानी बेड में ज्यादा आ जाता है तो किसान उसमें आउटलेट लगा सकता है जिससे पानी को इकट्टा करके उसको वर्मी वॉश की तरह प्रयोग कर सकता है। अगर फसल में कीट लग गया है तो उसका स्प्रे करके अपनी फसल को बचा सकता है।