कहते हैं टमाटर और रसोई का सम्बन्ध 16वीं शताब्दी से भी पुराना है, लेकिन अचानक इसके भाव क्या बढ़े रसोई से इसके रिश्ते में अब ख़टास सी आ गई है।
यूपी, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, बंगाल और राजस्थान में कई जगह टमाटर 130 से 150 रूपये किलो बिक रहा है। वहीं हरी मिर्च जो पिछले सप्ताह डेढ़ सौ रुपये किलो थी वो 300 से 350 रूपये तक बिक रही है। बिहार और पश्चिम बंगाल में हाल और बुरा है। 30 से 35 फीसदी सब्जियाँ वहाँ महंगी हो गई हैं।
सब्ज़ी के दामों में उतार चढ़ाव नया नहीं है। कभी अपने भाव से प्याज आंसू निकलवाता है तो कभी आलू और बैंगन। सब्ज़ियों के दाम बढ़ने की बड़ी वज़ह है बाज़ार से उनका गायब होना। लखनऊ नवीन सब्ज़ी मंडी के आढ़ती जशवंत सोनकर कहते हैं, “अभी दस दिन पहले तक टमाटर दाम 40 रुपए किलो बिक रहा था, जो आम आदमी के रेंज में था, लेकिन अभी अचानक से दाम बढ़ गए हैं। इसके पीछे दो कारण हैं एक तो उत्तर भारत में टमाटर की फ़सल का सीजन ख़त्म हो रहा है, जो बची खुची फ़सल थी वो बारिश से चौपट हो गई। दूसरा कर्नाटक और महाराष्ट्र से पूरे देश में टमाटर की सप्लाई हो रही है। वहाँ भी बारिश के कारण ख़ेती पर असर पड़ा, जिससे टमाटर का दाम अचानक से बढ़ गया।”
हालाँकि उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अनुसार 04 जुलाई को चेन्नई में टमाटर का अधिकतम दाम 117 रुपए प्रति किलो और दिल्ली में 110 रुपए तक रहा। वहीं 5 जुलाई को ऑनलाइन टमाटर की खरीददारी करने वालों को ब्लिंककिट पर 148 रुपए किलो और बिग बॉस्केट पर एक किलो के लिए 149 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी ने टमाटर की कई सारी किस्में विकसित की हैं। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ नागेंद्र राय बताते हैं, “टमाटर की खेती में सबसे जरूरी होता है, सही समय में खेती करना और सही किस्मों का चुनाव करना। देश के अलग-अलग हिस्सों के हिसाब से किस्में भी विकसित की जाती हैं, कि कौन सी किस्म कहां पर बढ़िया उत्पादन देगी। इसलिए हमेशा टमाटर की किस्मों का चुनाव करते वक्त यह जरूर ध्यान दें।”
अपने देश में देशी या हाइब्रिड टमाटर की एक दर्जन से ज़्यादा किस्में हैं। इनमें, काशी विशेष, काशी अमृत, काशी हेमंत, काशी शरद, काशी अनुपमा, पूसा शीतल, पूसा-120, पूसा रूबी, पूसा गौरव, अर्का विकास, अर्का सौरभ और सोनाली देशी किस्में हैं। जबकि पूसा हाइब्रिड-1, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा हाईब्रिड-4, रश्मि और अविनाश-2 मुख्य हैं।
टमाटर का पौधा कैसे लगाएं?
टमाटर को आप घर में आसानी से लगा सकते हैं। बस ये ध्यान रहे कि इसे धूप भी बराबर मिले। अगर छत की सुविधा है तो सबसे अच्छा है।
पौधे को लगाने के लिए सबसे पहले 50 प्रतिशत मिट्टी, 40 प्रतिशत गोबर की खाद और 10 प्रतिशत बालू लें और इन्हें अच्छी तरह से मिला लें। अगर आप गमले में लगा रहे हैं तो उसमें अंदर की तरफ छेद कर दें और उसे किसी गमले के टुकड़े या कंकड़ से ढ़क दें। फिर गमले में तैयार मिट्टी के मिश्रण को डाले।
गमला तैयार होने के बाद बारी आती है पौधा लगाने की। पौधे को लगाते समय ध्यान रखें उसकी जड़ न टूटे। इसे लगाने के बाद पानी देकर गीला कर दें।
गमले में दोबारा पानी तभी दें जब मिट्टी सूख जाये। ज़्यादा पानी से पौधे के सड़ने या गलने की आशंका रहती है। इन टमाटरों में आप हर महीने ऑर्गेनिक खाद डालें। इससे पौधे को विकसित होने में मदद मिलती है।
टमाटर के गमले को ऐसी जगह रखें जहाँ पौधे को 6 से 7 घंटे की धूप रोज़ मिलती रहे।
आप गमले या गार्डन में टमाटर उगाने के लिए घर में ही पौधा तैयार कर सकते हैं। इसके लिए छोटे से पेपर कप में मिट्टी भर कर बीज़ को डाल दें और थोड़ा पानी दें। बीज़ के लिए किसी भी पके टमाटर को ले सकते हैं। 10 दिन बाद बीज़ से छोटा पौधा निकल आता है।
टमाटर के पौधे को बड़ा होने पर सहारा देना होगा। इसके लिए आप इसके तने को लकड़ी से सहारा दे सकते हैं।
मोटे छिलके वाले टमाटर घरों में अधिक उगाये जाते हैं ये अच्छे होते हैं। गुदा की मात्रा इसमें ज़्यादा होती है। इन टमाटरों को खाना पकाने में पसंद किया जाता है।
सेहत के लिए टमाटर काफी गुणकारी है। इससे पाचन तंत्र तो ठीक रहता ही है ब्लड सर्कुलेशन में भी फायदेमंद है। कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है और इम्यूनिटी भी बढ़ाता है।
दक्षिण अमेरिका से निकलकर कई देशों की रसोई में राज करने वाले टमाटर का मौसम मार्च से जुलाई का होता है। हालाँकि अब बाज़ार में ये
कहीं कहीं बाकी महीने भी मिल जाता है। कुछ रिपोर्ट की माने तो भारत में 18वीं शताब्दी के बाद इसे अंग्रेजों के लिए उगाया गया था। आज भी, बंगाल में इसका एक नाम बिलिटी बेगिन है, जिसका अर्थ है ‘विदेशी बैंगन’। लेकिन अब ये टमाटर भाव खा रहा है।