लखनऊ। भारतीय रेल अपने सभी रेल मार्ग को इलेक्ट्रिक कर रहा है इसका सबसे बड़ा फायदा विभाग को डीजल की बचत से होगा। अभी जिन मार्गों पर इलेक्ट्रिक की सुविधा नहीं है वहां पर डीजल इंजन की ट्रेनें चल रही हैं। आज हम आपको बताते हैं कि आखिर डीजल इंजन का डीजल टैंक कितने लीटर का होता है और कैसे उसका एवरेज निकाला जाता है?
इंजन को तीन कैटेगरी में रखा जाता है
डीजल इंजन की क्षमता के हिसाब से उनकी टंकियों को तीन कैटगरी में विभाजित किया गया है 5000 लीटर, 5500 लीटर और 6000 लीटर। डीजल इंजन में प्रति किलोमीटर का एवरेज गाड़ी के लोड के मुताबिक ही तय होता है मसलन अगर गाड़ी 24 डिब्बे की है तो लगभग 6 लीटर डीजल में 1 किलोमीटर का एवरेज आयेगा।
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यहां पर एक बात बता दें कि अगर 12 डिब्बे की पैसेंजर गाड़ी है तो उसमें भी डीजल का एवरेज लगभग 6 लीटर में 1किलोमीटर आयेगा क्योंकि उसे हर स्टेशन पर रुकना पड़ता है और ब्रेक एवं एक्सीलेटर लेने की वजह से डीजल ज्यादा खर्च होता है। अगर 12 डिब्बे की गाड़ी है और एक्सप्रेस है तो लगभग 4.50 लीटर में 1 किलोमीटर का एवरेज आयेगा।
क्यों नहीं किया जाता था ट्रेन का इंजन बंद
पहले मालगाड़ी के एक ही स्टेशन पर दस से बारह घंटे खड़ी रहने के बावजूद इंजन को बंद नहीं किया जाता था जिसकी वजह से रेल विभाग को काफी नुकसान झेलना पड़ता था। लोको पॉयलेट संजीव वर्मा से हुई बातचीत में उन्होंन बताया इंजन बंद न करने का एक कारण ये था कि विभाग की तरफ से ये कहा जाता था कि बंद करने के दौरान अगर इंजन में कोई खराबी आ गई और इंजन स्टार्ट न हुआ तो परेशानी खड़ी हो सकती है लेकिन तकरीबन 3 साल पहले विभाग ने बदलाव करते हुए आदेश दिया कि अगर कोई मालगाड़ी दस से बारह घंटे तक एक ही स्टेशन पर रुकती है तो इंजन को बंद किया जायेगा।
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एक मिथ : बंद इंजन को चालू करने में 40 – 50 लीटर डीजल होता है खर्च
अक्सर लोगों को ऐसा कहते हुए सुना गया है कि बंद इंजन को स्टार्ट करने में चालिस से पचास लीटर डीजल तक खर्च हो जाता है। तो आपको बतादें कि इंजन को स्टार्ट करने के दौरान डीजल खर्च नहीं होता है वो ठीक उसी तरह से स्टार्ट होता है जिस तरह से मोटरसाइकिल या कार स्टार्ट होती है।
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