‘मुस्कुराइए, आप लखनऊ में हैं’
जी हाँ, ये स्लोगन यूं ही नहीं बना। अदब और तहज़ीब के लिए मशहूर नवाबों की इस नगरी में अब एक ऐसा पार्क बन रहा है, जहाँ बिना अयोध्या गए भगवान श्रीराम का मंदिर या बनारस पहुँचे बगैर काशी विश्वनाथ का दर्शन कर सकते हैं।
अपने तरह के इस अनोखे पार्क में यूपी के दूसरे सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित है। लखनऊ की पहचान इमामबाड़ा से लेकर गोरखनाथ मंदिर तक की झलक शहरवासियों को एक ही जगह पर देखने को मिलेगी, आगरा के ताजमहल का दीदार तो आप यहाँ करेंगे ही।
एक ही जगह पर इतना सब कुछ, है न कमाल की बात।
कबाड़ से तैयार हो रही हैं ऐतिहासिक इमारतें
कबाड़ से जुगाड़ कैसे किया जाता है ये इस यूपी दर्शन पार्क से सीख सकते हैं। जी हाँ, यहाँ तैयार किए जा रहे ऐतिहासिक और धर्मस्थलों के मॉडल बेशक हूबहू लगे, उसे बनाया गया है कबाड़ के सामान से।
यह पार्क करीब 10 एकड़ क्षेत्रफल में 10 करोड़ रुपये की लागत से पीपीपी मॉडल पर तैयार हो रहा है। पार्क में कबाड़ से कई ऐतिहासिक इमारतों को बनाने के लिए एलडीए ने एक फर्म का चयन किया है। ( पीपीपी का अर्थ है सरकार या उसकी किसी वैधानिक संस्था और निजी क्षेत्र के बीच हुआ लंबी अवधि का समझौता)
कई कलाकारों के सहयोग से हो रहा है तैयार
इस पार्क को बनाने के लिए लखनऊ के अलावा दिल्ली, गुजरात और अहमदाबाद से कलाकारों को बुलाया गया है जो लगातार काम कर रहे हैं।
अब तक यहाँ ताजमहल, काशी विश्वनाथ मंदिर की आकृति तैयार हो चुकी हैं। फतेहपुर सिकरी, झांसी का किला, विधानभवन, इमामबाड़ा, बांके बिहारी मंदिर मथुरा, कुशीनगर के गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली, देवी पाटन में देवी का मंदिर, बाबा गोरखनाथ और अयोध्या के श्रीराम मंदिर को आकार देने का काम तेज़ी से चल रहा है।
पार्क में स्क्रैप से प्रदेश के दार्शनिक स्थलों को बनाने का काम 80 फ़ीसदी तक पूरा हो गया है।
क्या क्या होंगे खास इंतज़ाम
पिंक टॉयलेट और पिंक बूथ
महिलाओं द्वारा संचालित कैफेटेरिया
बच्चों के लिए झूले
सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन
औषधीय और सुगंधित पौधे
पक्षियों के लिए बॉक्स
पार्क में महिलाओं की सुविधा और सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाएगा। एंट्री गेट से दौ सौ मीटर की दूरी पर फीडिंग जोन बनाया जाएगा। इसमें एक समय में पाँच महिलाएँ बच्चों को फीडिंग करा सकेंगी। पार्क के गेट पर भगवान लक्ष्मण की मूर्ति भी बनाई जा रही है।