अगर आप भी एकाग्रता बढ़ाना चाहते हैं या फिर मन को शाँत रखना चाहते हैं तो वृक्षासन कर सकते हैं।
वृक्षासन का नाम वृक्ष शब्द पर रखा गया है, जिस तरह वृक्ष शाँत और स्थिर रहता है उसी तरह इस आसन को करने से साधक की एकाग्रता बढ़ती है और मन शाँत रहता है।
तो आइए जानते हैं इस आसन को करने की विधि
दोनों पाँव और हाथ मिलाकर सम अवस्था में खड़े हो जाएँ। दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाहिने पैर की एड़ी को बायीं जंघा के मूल स्थान में रखें। धीरे-धीरे दोनों हाथों को आसमान की तरफ उठाएँ, इस स्थिति में आपकी भुजाएँ कान से सटी हुई होंगी। हाथों को जोड़ते हुए नमस्कार की मुद्रा में मिला लें।
शरीर को संतुलन में बनाए रखने के लिए अपनी दृष्टि को सामने किसी एक बिंदु पर केंद्रित करें।
अपनी क्षमतानुसार वृक्षासन में बने रहें। वापस आने के लिए सबसे पहले दोनों हाथों को नीचे लाएँ उसके बाद पैर को। अब ठीक ऐसे ही दूसरे पैर से भी इस आसन का अभ्यास करें। इस तरह आपका एक चक्र पूरा होता है। वृक्षासन को आप चार-पाँच चक्र दोहरा सकते हैं।
क्या है इससे शारीरिक लाभ
मानसिक एकाग्रता बढ़ाता है।
शारीरिक संतुलन बनाने में मददगार होता है।
वृक्षासन पैरों को मजबूती प्रदान करता है।
सावधानी : अगर आपको माइग्रेन, अनिद्रा, अल्प या उच्च रक्तचाप है, तो यह आसन न करें।