सुबह के नाश्ते में मम्मी के हाथ का पराठा, लंच डिनर में रोटी या बाहर घूमते क़्क्त पिज़्ज़ा समोसा कितना सबकुछ हम खाते हैं, लेकिन भाई ये सबकुछ किस चीज से बनता है भला ?
ये बनता है उस गेहूँ से जिसे किसान अंकल बड़ी मेहनत से खेत में उगाते हैं।
खेत तो देखा है न? अरे वहाँ जहाँ हरी -हरी सब्जियाँ, गन्ने उगाए जाते हैं। बस वही गेहूँ भी उगाया जाता है।
गेहूँ की खेती की शुरुआत होती है अक्टूबर से नवंबर महीने में। इसे उगाने के लिए किसान अंकल खेत की मिट्टी में बीज डालते हैं।
पहले तो बीज को हाथ से मिट्टी में डालते थे, अब इसकी बुवाई यानी बीज को सीड ड्रिल मशीन से मिट्टी में डालते हैं।
सीड ड्रिल मशीन से जल्दी और आसानी से ये काम हो जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे बीज डालने से गेहूँ कैसे निकलेगा ?
निकलेगा, लेकिन उससे पहले वो धीरे- धीरे अंकुरित होगा और 10 से 15 दिनों में पौधे निकल आएँगे।
गेहूँ के पौधे निकलने के बाद फ़सल यानी पौधे की बड़ी देखभाल करनी होती है , ठीक वैसे जैसे मम्मी पापा आपकी देखभाल करते हैं।
समय-समय पर देखते रहना होता है कि गेहूँ के आसपास कोई दूसरा पौधा जिसे खरपतवार कहते हैं वो तो नहीं उग आया है? अगर वो उग जाएगा तो गेहूँ कैसे बढ़ेगा? इसलिए उन्हें निकालना बहुत जरूरी होता है।
गेहूँ की बुवाई के 20 से 25 दिन बाद पहली सिंचाई होती है; सिंचाई का मतलब है उसमें पानी डालना, तब तक गेहूँ के पौधे नौ से दस इंच लंबे हो जाते हैं।
गेहूँ की फसल में पाँच से छह बार पानी डालना होता है, अगर सब ठीक रहा और बारिश हो गई तो सिंचाई कम भी हो जाती है।
फरवरी के महीने में गेहूँ में फूल आने लगते हैं, तब तीसरी सिंचाई करनी होती है।
जब धीरे-धीरे गेहूँ की बालियाँ बड़ी होने लगती हैं तब चौथी सिंचाई करनी होती है; उस समय बालियों में दूध से दाने भरने लगते हैं। बच्चों, गेहूँ की फसल के बीज वाले हिस्से को बाली कहते हैं।
अब आप सोच रहे होंगे इतना सब कुछ कर दिया गेंहूँ तो निकला नहीं, सोच रहे हैं न ? निकलेगा।
बीज डालने के करीब चौथे महीने यानी मार्च में गेहूँ की हरी बालियाँ सुनहरी होने लगती हैं और होली का त्यौहार आते-आते गेहूँ की बालियाँ पकने लग जाती हैं।
इसी महीने के आख़िरी हफ्ते से लेकर अप्रैल तक गेहूँ काटने को तैयार हो जाता है, जिसे काटने के बाद हार्वेस्टर या थ्रेसर की मदद से पौधे से दाने को अलग किया जाता है।
दाने निकालने के बाद बारी आती है गेहूँ की साफ-सफाई की; उन्हें साफ करने के बाद गेहूँ पीसने की मशीन तक ले जाया जाता है, जहाँ गेहूँ को पीसकर आटा तैयार किया जाता है।
बस हो गया तैयार आपका आटा, अब बनाइए अपना मनपसंद पकवान। रोटी, डबल रोटी (ब्रेड), कुकीज, केक, दलिया, पास्ता, सेवई, नूडल्स बहुत कुछ बनता है इस गेंहूँ के आटा से।
एक बात और अब तक देश में गेहूँ की करीब साढ़े चार सौ किस्में विकसित की जा चुकी हैं। विश्व में इसकी कुल प्रजातियों की संख्या तो हजारों में हैं।
ये तो रही गेहूँ की खेती की बात, आगे आप किसकी खेती के बारे में जानना चाहते हैं। हमें ज़रूर बताएँ, हमारा व्हाट्सएप नंबर है: +919565611118