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गेहूँ की खेती: पोषक तत्वों का इस्तेमाल करते समय आप भी तो नहीं करते हैं ये गलतियाँ

गेहूँ की बुवाई चल रही है, लेकिन कई बार सही मात्रा में पोषक तत्व का इस्तेमाल नहीं करने से इसका असर उत्पादन पर पड़ता है; इसलिए आज पोषक तत्वों पर विस्तार से बता रहे हैं भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ एसपी दत्ता।
wheat farming

फसलों की वृद्धि के लिए ज़रूरी पोषक तत्वों यानी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स की ज़रूरत की होती है। गेहूँ की फ़सल में जानना ज़रूरी है किस पोषक तत्व की कमी से क्या होता है और सही पोषक तत्व का इस्तेमाल कैसे करें।

सबसे पहले ये समझना ज़रूरी है कि जिंक, मैंगनीज, बोरॉन, और आयरन की कमी से गेहूँ में क्या हो सकता है।

जिंक की कमी बात करें तो गेहूँ की पत्तियों में धब्बे बन जाते हैं और ये धब्बा धीरे-धीरे सफेद हो जाता है और गल जाता है, जिसे नेक्रोसिस बोलते हैं, इसकी वजह से पत्तियाँ टूट जाती हैं।

अब हम मैंगनीज की कमी बात करते हैं, इसकी कमी से पौधों की पत्ती पर बीच में असर दिखता है; इससे क्लोरोसिस होता है और पत्तियों का ऊपरी भाग और किनारे पीले हो जाते हैं और फिर टूट जाते हैं।

आयरन की कमी से भी पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं, और जैसे-जैसे पत्तियाँ बढ़ती हैं वो गलकर सूख जाती हैं।

बोरॉन की जहाँ तक बात है, इसकी ज़रूरत फूल और फली लगते समय ज़्यादा होती है। पत्तियों में इनकी कमी साफ़ देख सकते है जब उनमें आर जैसा शेप बन जाता है और किनारे पर धब्बा बनता है और पत्तियाँ टूट जाती हैं।

किस पोषक तत्व का कैसे करें इस्तेमाल

जिंक की कमी पूरा करने के लिए हल्की मिट्टी में 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और 50 क्विंटल भारी मिट्टी में प्रति हेक्टेयर की दर से डालते हैं। नहीं तो 5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का 400 लीटर में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से सात से दस दिन के अंदर डाल सकते हैं।

इसी तरह हम बोरॉन का छिड़काव करते हैं, इसमें 2 प्रतिशत बोरिक एसिड का 500 लीटर में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से डाल सकते हैं। अगर मिट्टी में डालना चाहें तो 10-20 किलो ग्राम बोरेक्स प्रति हेक्टेयर की दर से डाल सकते हैं।

आयरन और मैंगनीज अगर मिट्टी में नहीं डालना चाहते हैं तो 1 प्रतिशत का घोल बनाकर सात-दस दिन में छिड़क सकते हैं।

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