पिछले कुछ दिनों से ठंड बढ़ गई है, अभी आगे भी ऐसी ही ठंड रहेगी; ऐसे में किसान अपना और अपनी फसल का तो ध्यान रखें ही, साथ ही अपने पशुओं का भी ध्यान रखें। इससे उनके पशु इस भयंकर ठंड के प्रकोप से बचे रहेंगे।
पशु और मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार ने पशुओं को शीतलहर के प्रकोप से बचाने के लिए ज़रूरी सूचना जारी की है कि पशुपालकों और किसानों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
पशुपालकों को क्या करना चाहिए
1. स्थानीय मौसम पूर्वानुमान की जानकारी रखी जाए।
2. शीत लहर से पशुओं के बचाव की पूर्व तैयारी कर ली जाए।
3. पशु शाला को सभी तरफ से ढकने (विशेषकर रात में) की व्यवस्था की जाए ताकि सीधे तौर पर शीतलहर से पशुओं को बचाया जा सके।
4. पशुओं के बिछावन के लिए सूखे पुआल की व्यवस्था कर ली जाए।
5. शीतदंश (Frostbite) से बचाव के लिए पर्याप्त रोशनी और गर्मी प्रदान करने वाले उपकरणों की व्यवस्था पहले ही कर ली जाए।
6. पशुओं को कीड़ा मारने वाली दवा जाड़े के पहले दी जानी चाहिए और खुरपका, पीपीआर, इन्टेरोट्रॉक्सीमिया रोग के ख़िलाफ टीकाकरण कराना चाहिए।
7. पशुओं को सूखे और धुँआ रहित जगह पर रखना चाहिए।
8. मुर्गियों/पक्षियों को रखने के स्थान पर गर्मी की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी चाहिए।
9. बाहरी परजीवियों से पशुओं को बचाने के लिए निर्गुण्डी और लेमन ग्रास की पत्तियों को पशु शाला में टांगना चाहिए। नीम तेल से युक्त निस्संक्रामक रसायनों (Disinfectant) का उपयोग किया जाना चाहिए।
10. जाड़े में पशुओं के शरीर को ढक कर रखा जाए।
11. पशुओं को संतुलित और नमक / इलेक्ट्रोलाईट से युक्त पूरक आहार देना चाहिए। खली और गुड़ की अतिरिक्त मात्रा दिया जाना चाहिए ताकि शरीर गर्म रहे।
12. पशुओं को साफ़ नाद में ताज़ा पानी दिन में तीन-चार बार देना चाहिए।
13. पशुओं/पक्षियों के बीमार होने पर शीघ्र स्थानीय पशु चिकित्सालय से सम्पर्क करना चाहिए।
14. बीमार, कमज़ोर और गर्भवती पशुओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
15. पशु शवों का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से और लोगों के निवास जल स्रोतों से पर्याप्त दूरी रखते हुए किया जाना चाहिए।
16. आग के स्त्रोत पशु शाला से आवश्यक दूरी पर रखना चाहिए और अग्नि आपदा से बचाव के सभी नियमों का पालन किया जाना चाहिए।
17. पर्यावरण के अनुकूलन के साथ पशु शाला का निर्माण, जिसमें जाड़े में अधिकतम सूर्य-किरण और गर्मी में न्यूनतम रेडिएशन की उपलब्धता हो, कराया जाए।
पशुपालकों को क्या नहीं करना चाहिए
1. ठंड में पशुओं को खुले में नहीं छोड़ना चाहिए।
2. पशु मेला आदि का आयोजन जाड़े में नहीं किया जाना चाहिए।
3. ठंडा भोजन और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए।
4. पशुओं और मुर्गियों / पक्षियों को नमीयुक्त या धुँआ वाले स्थान पर नहीं रखना चाहिए, इससे निमोनिया का ख़तरा बढ़ता है।
5. पशुओं के चारागाह के रास्ते में पशु शवों का निस्तारण नहीं करना चाहिए।
6. बीमार पशुओं की चिकित्सा फर्जी चिकित्सकों से नहीं कराना चाहिए।
सभी बातों का ध्यान पूर्वक पालन करने से पशुपालक अपने पशुओं का बचाव शीतलहर से कर सकते हैं।