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ठंड में किसान भाई ऐसे करें अपने पालतू पशुओं की देखभाल

दिसंबर महीने की शुरुआत होते ही किसान भाइयों को अपने दुधारू पशुओं को ठंड से बचाने की चिंता शुरू हो जाती है। गर्मी की तरह इस मौसम में जानवर को खुले में, पेड़ के नीचे या बैठका के बाहर रखने से पशु के बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है।
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ठंड में अगर आप अपने दुधारू पशुओं की सेहत का ध्यान नहीं रखेंगे तो उन्हें थनैला रोग भी हो सकता है।

इस बीमारी की शुरुआत में पशु का थन गरम हो जाता है और सूजन के साथ उसमें दर्द शुरू हो जाता है। यही नहीं, शरीर का तापमान बढ़ने और दूध की गुणवक्ता पर भी इसका असर पड़ता है। ऐसे में पशु खाना पीना तक छोड़ देता है।

जब ठंड बढ़ती है तो कुत्ते, बिल्लियाँ और अन्य पालतू जानवर अंदर आ जाते हैं लेकिन हर किसान भाई के लिए ये संभव नहीं हैं कि हमेशा अपने सभी पशुओं को ठंड से बचाने के लिए घर के अंदर ला सकें। ऐसे में या तो अपने पशु को मोटा कपड़ा (बोरा जूट का) पहनाये और ओस ठंड से दूर रखें।

अगर कोई किसान जानवरों को खलिहान में ले जाने में सक्षम है, तो पशुओं को गर्म रहने के लिए सूखा बिस्तर उपलब्ध कराया जाता है। खलिहान नहीं है तो हवा रोकने के लिए फूस के झोंके भी बनाए जाते हैं ताकि जानवर हवा से छिप सकें। किसान चाहें तो पेड़ों की कतार, बाड़, घास की गठरियाँ या ऐसी कोई भी चीज का इस्तेमाल कर सकते हैं जो हवा को धीमा कर दे।

सर्दियों में जानवरों को, इंसानों की तरह, किसी भी अन्य मौसम की तुलना में हाइड्रेटेड रहने में कठिनाई होती है। जैसे-जैसे जानवर गर्म रहने के लिए ज़्यादा कैलोरी जलाते हैं, उनकी प्यास कम हो जाती है। इससे भी बड़ी बात यह है कि वे ऐसा पानी नहीं पीना चाहते जो ठंडा हो। एक किसान के रूप में पानी के कुंडों को ठंड से दूर रखना और अपने जानवरों को हाइड्रेटेड रखना किसान भाई का काम है।

आप इसे कई अलग-अलग तरीकों से कर सकते हैं, लेकिन गुन गुने पानी की बाल्टियों, हीटरों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। जिन जानवरों को पूरे सर्दियों में सही तरीके से भोजन और हाइड्रेटेड रखा जाता है, उनके गर्म रहने और बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के जीवित रहने की संभावना अधिक होती है।

इस बात का भी ध्यान रखने की ज़रूरत है कि सूअर और डेयरी गाय को न अधिक ठंड लगे न अधिक गर्मी। यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि खलिहानों या शेडों के तापमान उनके मुताबिक है।

ठंड में पशु को दें खास आहार

कृषि विशेषज्ञ ठंड में पशुओं के खाने पर विशेष ध्यान देने की सलाह देते हैं। उनके मुताबिक ठंड के दौरान किसान अपने पशुओं को दिए जाने वाले खाने (भोजन) की मात्रा बढ़ा सकते हैं। जैसे-जैसे जानवर अधिक भोजन खाते हैं, उनका पाचन तंत्र तेज़ हो जाता है। जाहिर है अधिक ऊर्जा मिलेगी तो शरीर में अधिक गर्मी पैदा होगी। खाने के अलावा अलग से अनाज या मोटे चारे, जैसे घास के जरिए पशु को दिया जा सकता है।

चारा और पानी खासकर गाय के लिए ठंड के समय सही अनुपात में होना चाहिए, इससे पशुओं को अपना तापमान बनाए रखने में मदद मिलेगी। रात में खाना पचने के बाद शरीर की गर्मी कुछ घंटों बाद चरम पर होती है। इससे वे देर तक गर्म रहेंगे।

पशुओं के लिए नमक जैसे खनिजों का इस्तेमाल भी महत्वपूर्ण है। नमक के टुकड़े घोड़ों के लिए भी अच्छा है, इसे भेड़ और बकरियों को भी उचित मात्रा में दिया जा सकता है।

ठंड से मवेशियों को बुखार होने या पेट ख़राब होने की शिकायत बढ़ जाती है ऐसे में आपके मवेशियों में इससे जुड़े लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं तो उनका प्राथमिक उपचार करना चाहिए, बिना देर किए उसे पशु चिकित्सक को दिखाएँ।

इस बात का ध्यान रखें कि उनको दिया जाने वाला चारा या दाना ठंडा न हो। ठंड से बचाने के लिए पशुओं को हरा चारा और मुख्य चारा एक से तीन के अनुपात में मिलाकर खिलाना चाहिए। दिसंबर से फ़रवरी तक मवेशी को सही आहार दें। चाहे तो महीने में एक बार उन्हें सरसों का तेल भी पिला सकते हैं। इससे उनका शरीर गर्म रहेगा और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। ठंड में पशुओं को गुनगुना पानी देना ठीक रहता है। धूप में तो रखना ही है।

एक बात और जो सभी पशुओं के लिए की जानी चाहिए वो है सफाई।

अपने पशु के तबेले को सर्दियों में भी साफ-सुथरा रखना चाहिए, इन दिनों कई वायरस-वैक्टीरिया पनपते हैं, जो आपके पशुओं को बीमा कर सकते हैं। इसके लिए ध्यान दें कि आपके पशु सीधा चिकने फर्श पर न बैठें। उनके लिए बोरा या मोटा कपड़ा बिछा सकते हैं। अगर किसान भाई इन बातों का ध्यान रखेंगे तो उनके पशुओं को ठंड के मौसम में भी कोई तकलीफ़ नहीं होगी।  

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