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इस विधि से खुद तैयार कर सकते हैं अच्छी किस्म का आम का पौधा

अगर आप आम की खेती करना चाहते हैं या अपने घर में ही एक-दो पौधे लगाना चाहते हैं, तो भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ जय प्रकाश सिंह बता रहे हैं खुद से पौधे तैयार करने का तरीका।
Mango plant

इस समय हर तरफ आम की बहार है, बारिश आने के साथ आम के नए पौधे तैयार करने का मौसम आ गया है। इसलिए आपके लिए जानना ज़रूरी हो जाता है कि कैसे आम का नया पौधा तैयार कर सकते हैं।

किस्मों की जानकारी बहुत जरूरी है, खासकर पिछले एक दशक में जो रंगीन किस्में विकसित हुई उनकी। पूसा से विकसित किस्मों में पूसा लालिमा, पूषा अरुणिमा, पूसा श्रेष्ठ, पूसा प्रतिमा है। इन किस्मों की माँग काफी बढ़ी है और यह अलग-अलग क्षेत्रों में उपलब्ध भी हैं। तो यहाँ पर यह जानना जरूरी है कि अगर आपकी इन पौधों तक पहुँच नहीं, आप देश के किसी दूसरे हिस्से में रहते हैं, तो क्या करें।

खुद से पौधे कैसे तैयार कर सकते हैं?

कोई नई किस्म है या आपके गाँव के आसपास की कोई देसी किस्म है, जिसे आप संरक्षित करना चाहते हैं उस बारे में पहले समझते हैं। इसके लिए सॉफ्ट वुड ग्राफ्टिंग विधि है, इस विधि से पुराने और नए पौधों को तैयार कर सकते हैं।

यहाँ पर सबसे महत्वपूर्ण है पहले आपके पास मूलवृंत यानी रूट स्टॉक होना चाहिए। जो छह से नौ महीने पुराना या दस महीना पुराना हो। उत्तर भारत में कई बार ये एक साल पुराना हो जाता है, लेकिन देश के बाकी हिस्सों में जहाँ पर बहुत गर्मी और बहुत ठंडी नहीं पड़ती है, यह पौधा सामान्य रूप से आठ से नौ महीने में तैयार हो जाता है, जिसमें हम ग्राफ्टिंग कर सकते हैं।

ग्राफ्टिंग के लिए कई विधियाँ हैं। जैसे विनियर है, स्टोन ग्राफ्टिंग है और सॉफ्ट वुड ग्राफ्टिंग है। लेकिन जो आज की तारीख में व्यवसायिक रूप से सबसे ज़्यादा प्रचलित है, वो है सॉफ्ट वुड ग्राफ्टिंग विधि।

इस विधि की खासियत है कि इसमें दोनों ही मूल वृन्त और सायन का ही सॉफ्ट वुड आपस में जोड़ा जाता है। अब जैसे हमने पहले ही बताया है कि अगर आपका मूलवृन्त तैयार है, तो आपको वो सांकुर यानी सायन इस्तेमाल करना होगा, जो कम से कम तीन-चार महीने पुराना होगा।

कई बार बारिश के मौसम में ये समस्या आती है कि आपको तीन-चार महीने सांकुर मिलना मुश्किल होता है, इसके पीछे की वजह ये होती है कि बारिश के मौसम में बहुत जल्दी पौधे बढ़ते हैं।

इसका भी एक हल है, जब हम सायन को सेलेक्ट करने जाएँ, जैसे कि आज हम पूसा लालिमा का सायन सेलेक्ट कर रहे हैं तो इस पूसा लालिमा में हम ये देंखे कि वो कितना पुराना है और अगर तेजी से बढ़वार हो रही है तो उसका भी तरीका है। इसके लिए जब हम एक हफ्ते पहले या आठ दिन पहले उसके सारे पत्ते हटाकर नीचे से एक कट लगा देंगे तो ऊपर से तुरंत नहीं फूटेगा।

कई बार ये चार दिन पहले फूट जाता है, ऐसा तापक्रम और नमी अधिक होने से होता है। इस विधि में आप तीन से चार महीने पुराना जो सायन है इसको हल्के वाले पत्ते को आप काट दीजिए। काटने के बाद आप इसको एक हफ्ते तक छोड़ सकते हैं और इससे करीब 10-12 सेमी का सायन मिल जाएगा। कई बार समस्या यह आती है कि यह सायन बहुत जल्दी जल्दी फूटता है ख़ास करके बारिश के मौसम में। तो हम नीचे से एक हल्का सा कट देंगे।

दूसरी बात जब आपने सात-आठ दिन पहले काट दिया और ये तैयार हो गया तब आपको जाना है रूट स्टॉक की तरफ, लेकिन ग्राफ्टिंग करने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि क्या करें और क्या ना करें।

पहले आपका जो रूट स्टॉक है और सायन दोनों की मोटाई खासकर वो भाग जहाँ इसे हम जोड़ते हैं एक समान होना चाहिए। कुछ किस्में पुरानी हैं, जिसमें कुछ मोटे होते हैं तो वहाँ पर हम दोनों की समानता एक साथ रखें तो अच्छा है।

ऐसे पौधों का चुनाव न करें, जिसमें गुम्मा जैसी बीमारियाँ लगी हों। ऐसे पौधे को काटकर मिट्टी में दबा दें और रूट स्टॉक में ज़्यादा शाखाएँ निकली हों तब भी ऐसे पौधो का चुनाव नहीं करना चाहिए।

जुलाई से सितंबर महीने में हमारी ग्राफ्टिंग 80-90 प्रतिशत तक सफल होती है।

सबसे पहले सायन को काट लेते हैं और रूट स्टॉक के पास जाते हैं और देखते हैं कि वो मोटाई कहाँ फिट बैठ रही है। बहुत नीचे भी नहीं लगानी और बहुत ऊपर भी नहीं लगानी है। तीस सेमी तक ग्राफ्टिंग करनी चाहिए, जिससे जब पौधा बढ़ता है तो उसे फैलने का मौका मिलता है। बहुत ऊपर करने पर जब इसका ट्रांसपोर्ट करते हैं तो टूटने का डर रहता है। तेज हवा से भी यह टूट जाता है।

सबसे पहले सायन के एक सिरे के दो तरफ चीरा लगाते हैं, जैसे पुराने समय में कलम बनाते थे, उसी तरह का चीरा लगाया जाता है और फिर इसे मूल वृंत में चीरा लगाकर लगा दिया जाता है।

ग्राफ्टिंग के समय बारिश नहीं होनी चाहिए, जब मौसम साफ हो तभी ग्राफ्टिंग करनी चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि एक घंटे-दो घंटे में बारिश हो जाती है, जब इससे बचने का यही तरीका है जब इसकी ग्राफ्टिंग कर दें तो 200 गेज के पॉलिथीन से के बांध दें। साथ उसे ऊपर से किसी छोटी पॉलीथीन से ढक दें।

जब दो-तीन हफ्ते में नई पत्ती आ जाए तो ध्यान दें कि मूल पेड़ पर नीचे से कोई बढ़वार नहीं होनी चाहिए। उसे धीरे से काटकर निकाल देना चाहिए। 40-45 दिनों में जब पौधे विकसित हो जाए तो नीचे बंधी पॉलिथीन को चाकू से काट दें।

तीन-चार महीने में पौधे तैयार हो जाते हैं, लेकिन साल भर बाद ही इसकी रोपाई करें। यही नहीं आप इस तरीके से एक पौधे पर कई तरह की किस्मों की ग्राफ्टिंग कर सकते हैं। इस तरह से आप पुराने पेड़ को भी नया बना सकते हैं। 

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