जिस तरह से दिल्ली और दूसरे शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान तक पहुंच गया है, ऐसे में ये नया फोन ऐप कुछ हद तक मददगार साबित है। इस ऐप की मदद से फोन के कैमरा से फोटो लेने पर पर वहां के वायु प्रदूषण के स्तर को पता किया जा सकता है। इस ऐप को विकसित करने वालों को यूएस की संस्था मरकॉनी सोसाइटी ने अवार्ड भी दिया है।
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इस एप को भारतीय विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों की एक टीम ने विकसित की है। ये एक वास्तविक समय वायु गुणवत्ता विश्लेषण (real-time air quality analytics) एप्लीकेशन है, इसमें आप अपने स्मार्ट फोन के कैमरा या फिर एप के कैमरे की मदद से फोटो ले सकते हैं, फोटो लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि फोटो बाहर लेनी चाहिए जिसमें फोटो में आधा आसमान भी आना चाहिए, उसके बाद इसे ऐप में अपलोड करना पड़ता है। इसके बाद उपयोगकर्ता को उस इलाके की वायु गुणवत्ता सूचकांक मिलेगा, “ऐप को विकसित करने वाले तन्मय श्रीवास्तव बताते हैं।
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के मुताबिक देश के सबसे ज्यादा प्रदूषित 15 शहरों में से 11 उत्तर प्रदेश के हैं। इनमे गाजियाबाद सबसे ऊपर है, जहां एक्यूआई 451 दर्ज की गई है। इसके बाद गुरुग्राम 426 एक्यूआई के साथ दूसरे नंबर पर रहा। इसके बाद बुलंदशहर 414, फरीदाबाद 413, नोएडा 408, हापुड़ 403, बागपत 401, दिल्ली 401, ग्रेटर नोएडा 394, कानपुर 383, आगरा 354, मुजफ्फरनगर 351, लखनऊ 314 और मुरादाबाद का एक्यूआई 301 रहा। इन सभी को रेड और डार्क रेड वर्गों में रखा गया है। हवा के प्रदूषण के लिए पीएम 2.5 कण जिम्मेदार होते हैं।
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इस ऐप की मदद से एयर पॉल्यूशन लेवल चेक करने के लिए यूजर को बस आसमान की फोटो क्लिक करनी होगी और उसे अपलोड करना होगा। जिसके बाद मशीन लर्निंग के जरिए यूजर को अपने एरिया का ‘एयर क्वालिटी इंडेक्स’ पता चल जाएगा।
भारतीय विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की टीम को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। फोटो अपलोड करने के बाद सॉफ्टवेयर जल्दी से जल्दी से सारी जानकारी इकट्ठा करने लगता है। विश्लेषण के लिए फोटो में देखा जाता है कि कितना साफ आसमान है। इसके बाद मशीन लर्निंग मॉडल उस जगह की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का अनुमान लगाता है। अभी तक, ऐप वायु गुणवत्ता सूचकांक, पीएम 2.5, एसओ 2, ओजोन, तापमान और आर्द्रता की गणना करने में सक्षम है।
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द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 2016 में पांच साल से कम उम्र के 60,987 बच्चों को जहरीली हवा की वजह से जान गंवानी पड़ी है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। दूसरे नंबर पर नाइजीरिया है जहां 47,674 बच्चोंन की मौत हो गई। इसके बाद पाकिस्तान में 21,136 बच्चे और कांगो में 12,890 बच्चों की वायु प्रदूषण के कारण मौत हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक इस आयु वर्ग में मारे गए बच्चों में लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है। भारत में 2016 में 32,889 लड़कियों की मौत इसी कारण से हुई है। वहीं, पांच से 14 साल के 4,360 बच्चों को वायु प्रदूषण के कारण जान गंवानी पड़ी है। सभी उम्र के बच्चों को मिलाकर देखें तो वायु प्रदूषण से करीब एक लाख दस हजार बच्चों की मौत हो गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अब करीब 20 लाख लोगों की मौत प्रदूषण की वजह से हुई है जो पूरी दुनिया में इस कारण से हुई मौतों का 25 प्रतिशत है।
“ऐप सरकार द्वारा मानकों को 0 से 500 तक चिह्नित करता है और एक्यूआई के साथ वास्तविक जानकारी देता है। जितना अभी हम ऐप का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करेंगे उतना बेहतर होगा। ऐप बीटा संस्करण को विकसित करने के लिए टीम ने पांच महीने का समय लिया, जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है, “एप विकसित वाली टीम की दूसरी साथी प्रेरणा खन्ना ने बताया।