बढ़ सकती हैं सरसों के तेल की कीमतें
vineet bajpai 22 Aug 2015 5:30 AM GMT
नई दिल्ली। साल 2015-16 के दौरान दुनियाभर में वनस्पति तेल और तिलहन के उत्पादन में कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है और इस कमी में सबसे बड़ा योगदान सरसों का होगा। भारत अपनी कुल खपत का करीब 50 प्रतिशत तिलहन दूसरे देशों से आयात करता है। इन्हीं कारणों से भारत में तेल की कीमतें बढऩे के आसार हैं।
अमेरिकी कृषि विभाग यानि यूएसडीए ने साल 2015-16 के लिए तिलहन के उत्पादन अनुमान में 27 लाख टन की कटौती की है और कुल तिलहन उत्पादन 52.91 करोड़ टन होने की संभावना जताई है। यूएसडीए की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत 27 प्रतिशत जापान से, मैक्सिको से 15 प्रतिशत, चाइना से 13 प्रतिशत, अमेरिका से 16 प्रतिशत, यूरोप से नौ प्रतिशत, अरब से छह प्रतिशत, व अन्य देशों से 14 प्रतिशत सरसों आयात करता है।
यूएसडीए की रिपोर्ट के मुताबिक सभी तिलहन में सबसे ज़्यादा कमी सरसों के उत्पादन में होगी। पिछले अनुमान के मुकाबले सरसों का उत्पादन 26 लाख टन तक घट सकता है। यूएसडीए के मुताबिक कनाडा और यूरोपियन यूनियन में सूखे की वजह से सरसों का उत्पादन घटने की आशंका जताई जा रही है। इसके अलावा यूक्रेन, बेलारूस और ऑस्ट्रेलिया में सरसों का रकबा कम होने की आशंका है।
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