भारत का डेविड हेडली के साथ सौदा और सशर्त क्षमादान चौंकाने वाला

भारत का डेविड हेडली के साथ सौदा और सशर्त क्षमादान चौंकाने वालागाँव कनेक्शन

ये जानते हुए भी कि डेविड कोलमैन हेडली जो भी खुफिया जानकारी प्रदान करेगा वो बहुत पुरानी होगी, मुंबई के स्पेशल कोर्ट द्वारा दिए गए सशर्त क्षमादान एवं अभियोग के लिए गवाह बनाया जाना हैरान कर देने वाला फैसला है

हेडली एक बार फिर चालाकी करते हुए, अपने आप को उलझनों से बचाने के लिए सरकारी गवाह बनने को राज़ी हो गया और ये खुलासा किया कि उसके आकाओं जैसे कि पाकिस्तानी सेना और उसकी ख़ुफ़िया सेवा का क्या रोल था 

मुंबई स्पेशल कोर्ट के इस फैसले का एकमात्र स्पष्टीकरण यही हो सकता है कि भारतीय अभियोक्ताओं को यही सबसे कारगर तरीका लगा हो क्योंकि हेडली पूरी तरह अमेरिकी सरकार के सख्त नियंत्रण में था और उस तक पहुँचना मुश्किल था। हेडली के अपराध-दंड सौदे के अनुसार उसे भारत या किसी अन्य देश या संस्था को पूरी तरह सहयोग करना होगा परन्तु कितना विस्तार से या बारीकी से जानकारी देने की इजाज़त है, ये स्पष्ट नहीं है। हेडली ने 26 नवम्बर मुंबई 2008 हमले के बारे में जो भी जानकारी उसके पास थी वो अमेरिकी अधिकारियों और जांचकर्ताओं को दे चुका है 

उससे भारतीय जांचकर्ताओं ने जून 2010 सघन पूछताछ की थी जिसके बाबत अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस ने स्पष्ट किया है कि “भारतीय जांचकर्ताओं के द्वारा किये गए प्रश्नों पर किसी प्रकार की कोई रोक टोक या बंदिश नहीं है” इसीलिए भारतीय कोर्ट द्वारा दिया गया क्षमादान और भी संदेहास्पद और भ्रामक है

उसका 2010 का दंड-सौदा सूचना की गुणवत्ता पर निर्भर था। जनवरी 2013 में जब हेडली को सज़ा सुनाई जा रही थी तब दोनों अभियोग और बचावपक्ष ने उसके सहयोग की गुणवत्ता और महत्ता पर बहुत ज़ोर दिया। उन्होंने ये भी कहा कि उसकी गिरफ़्तारी के केवल 30 मिनट बाद ही दी गयी जानकारी से न केवल भारत और अमेरिका में, बल्कि पूरे विश्व में कई जानें बचीं 

बचाव पक्ष ने कई बार हेडली के केस को अनूठे रूप से “उत्तेजक” और वैसा ही “शांत” बताया और कई बार उसके सहयोग का बखान किया इसीलिए हेडली जो कि अभी 35 साल की सज़ा भोग रहा है, कुछ खोएगा नहीं यदि वो भारत के लिए गवाही देता है, क्योंकि अब उसकी गवाही में कोई गुणवत्ता नहीं है हेडली ने अपनी उपयोगिता तब दिखाई थी जब उसने इल्यास कश्मीरी का पता बताया था, जो कि अल-काएदा/ हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी का अधिनायक था, जिसको अमेरिकी ड्रोन स्ट्राइक से जून 3, 2011 में दक्षिणी वजीरिस्तान में मारा दिया गया था। हेडली ने ये भी सुझाव दिया था कि उसे पकिस्तान भेजा जाए जहां वो कश्मीरी को लोकेटर चिप लगी हुई तलवार दे पाये और जिससे निकलने वाले सिग्नल से अमेरिका कश्मीरी की लोकेशन का पता लगा सके

सज़ा सुनाते हुए सरकार के राजपत्र में लिखा है कि हेडली ने इल्ल्यास कश्मीरी और उसके साथियों का पता लगाने में बहुत सहयोग किया था और जानकारी मांगने पर सरकार ने उस जानकारी को वर्गीकृत बता दिया और कहा कि उसे साझा नहीं किया जा सकता 

ये बहुत हैरानी की बात है कि एक ऐसा इंसान जो इस्लाम के उग्र रूप सलाफीस्म को मानता था वो कैसे अब इतना बदल गया है कि अपने ही साथियों को बेनकाब कर रहा है हेडली का “दंड-सौदा” मृत्यु दंड और भारत भेजे जाने से बचने के लिए था

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