भारत के इकलौते नर वनमानुष की मौत

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भारत के इकलौते नर वनमानुष की मौतGaon Connection

कानपुर। कानपुर के  प्राणि उद्यान की शान व भारत के इकलौते नर वनमानुष 'मंगल' की शनिवार रात 9.30 बजे मौत हो गई। सभी का मनोरंजन करने वाले मंगल ने 36 वर्ष 4 माह की उम्र में दुनियां से विदा ली।

प्राणि उद्द्यान द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मंगल सबसे ज्यादा उम्र की वनमानुष था। वन मानुष की औसत आयु 29-30 वर्ष होती है। लेकिन मंगल की उम्र 36 वर्ष 4 माह थी।

मंगल का शव विच्छेदन होने के बाद उसका दाह संस्कार कर दिया गया। मंगल की माता का नाम दयांग व पिता का नाम अवांग था। उसके माता-पिता को 28 अक्टूबर 1976 को यूरोप के ब्रिस्टल जू से कानपुर प्राणि उद्यान लाया गया था। मंगल का जन्म 13 नवम्बर 1979 को कानपुर के ही चिड़ियाघर में  हुआ था। जन्म के तुरंत बाद ही उसकी माता की मृत्यु हो जाने के कारण प्राणि उद्यान कर्मचारियों ने ही मंगल का पालन पोषण किया था।

मंगल चिड़ियाघर का सबसे अधिक आयु का प्राणी था इसी लिये प्राणि उद्यान का भीष्म पितामह भी कहा जाता था इसका कारण यह भी था की वह औसत आयु से अधिक वर्षों तक जीवित रहा। मंगल कई दिनों से बीमार चल रहा था और उसने खाना पीना छोड़ दिया था।

कानपुर चिड़ियाघर के पशु डॉक्टर आरके सिंह ने कहा, ''मंगल कानपुर के लिए ही नहीं पूरे भारत के लिए धरोहर से कम नहीं था। यह भारत का अकेला नर वनमानुष था। उसे देखने के लिए लोग दूर - दूर से आते थे । मंगल की देखरेख में कोई कमी न रहे इसके लिए मैं खुद दिन में तीन बार आकर उसकी जांच करता था।'' उन्होंने बताया, '' वैसे वनमानुषों की औसतम आयू 30 साल से ज्यादा नहीं होती, लेकिन मंगल 36 वर्ष तक जीवित रहा।''

चिड़ियाघर के निदेशक दीपक कुमार ने बताया, ''अब केवल एक मादा वनमानुष ही बची है जो की ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित नंदन कानन चिड़ियाघर में है।'' उन्होंने कहा, ''मंगल का इस दुनिया से जाना हमारे लिए एक ऐसी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। अब शायद ही कानपुर में फिर कभी वनमानुष देखने को मिले। लेकिन प्रयास किया जायेगा की कोई वनमानुष फिर से लाया जा सके।''

रिपोर्टर - राजीव शुक्ला

 

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