भारतीय अमेरिकी किशोर ने कान की सस्ती मशीन का आविष्कार किया

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
भारतीय अमेरिकी किशोर ने कान की सस्ती मशीन का आविष्कार कियागाँव कनेक्शन

ह्यूस्टन (भाषा)। भारतीय मूल के 16 साल के अमेरिकी लड़के ने सुनने में मदद करने वाली एक सस्ती मशीन बनाई है। 60 डॉलर की ये मशीन उन लोगों के लिए मददगार साबित हो सकती है, जो महंगी मशीनें नहीं खरीद सकते। केंटुकी के लुइविल शहर के निवासी मुकुंद वेंकटकृष्णन ने इस मशीन पर दो साल तक काम किया और जेफरसन काउंटी पब्लिक स्कूल्स आइडिया फेस्ट में इसे पेश किया। हाल ही में उन्होंने इस मशीन के लिए केंटुकी स्टेट साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर में पहला स्थान पाया था।

कैसे काम करती है ये मशीन

इस मशीन का इस्तेमाल सस्ते हेडफोन की मदद से भी किया जा सकता है। इसमें पहले विभिन्न आवृत्तियों की आवाजें बजाकर हेडफोन के जरिए व्यक्ति की सुनने की क्षमता का परीक्षण किया जाता है। इसके बाद ये अपनी प्रोग्रामिंग एक हियरिंग एड के रूप में कर लेती है। इस क्रम में ये परीक्षण के नतीजों के आधार पर आवाज बढ़ा देती है।

डूपोंट मैनुअल हाई स्कूल के छात्र मुकुंद ने कहा, 'यह एक डॉक्टर की जरूरत को ख़त्म कर देता है। वास्तव में ये एंप्लीफायर यानि ध्वनि संवर्धक है। आपको जितना ऊंचा सुनाई देता है उसके हिसाब से आवाज बढ़ा लीजिए। इसके लिए 1500 डॉलर तक लिए जाते हैं, जबकि आप 60 डॉलर में ऐसा कर सकते हैं।' उन्होंने बताया कि आने वाले किसी सिग्नल की आवाज बढ़ाने के लिए जरूरी प्रोसेसर ही इसका सबसे महंगा हिस्सा है। ये 45 डॉलर का पड़ता है। बाकी हिस्सों की कीमत लगभग 15 डॉलर है। 

मशीन को बनाने की प्रेरणा कहां से मिली

इस मशीन को बनाने की प्रेरणा मुकुंद को दो साल पहले मिली थी, जब वो अपने दादा-दादी से मिलने भारत गए थे। उन्हें अपने दादा का परीक्षण करवाने और सुनने की मशीन लेने में मदद करने का काम दिया गया था। मुकुंद ने इस महंगी और मुश्किल प्रक्रिया को देखकर इसका विकल्प तलाशने का संकल्प लिया।

 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.