भगवान भरोसे मरीज़, एक डॉक्टर पर 46 हज़ार से ज़्यादा लोगों का ज़िम्मा

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भगवान भरोसे मरीज़, एक डॉक्टर पर 46 हज़ार से ज़्यादा लोगों का ज़िम्मागाँवकनेक्शन

बहराइच। देश के ग्रामीण क्षेत्रों की जनता आज भी झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे ही है। जब इन झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही से किसी मरीज़ की जान चली जाती है तो प्रशासन खानापूर्ति के लिए इनकी धड़पकड़ शुरु कर देता है। यूपी के बहराइच ज़िले की हालत तो और भी खराब है। यहां झोलाछाप डॉक्टर बिना किसी डिग्री और अनुभव के मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं। कभी-कभी तो हालात तो इतने खराब हो जाते हैं इनकी झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही के चलते मरीज की जान तक चली जाती है। 

46,376 मरीज़ों पर एक डॉक्टर

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक़ जिले की आबादी 34 लाख 78 हज़ार 257 आंकी गई। करीब 35 लाख लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी 2 ज़िला चिकित्सालय समेत 14 समुदायिक, 14 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 48 अतरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर है। जिले में इस समय डॉक्टरों के 182 पद हैं जिनमें से केवल 75 पदों पर ही डॉक्टरों की तैनाती हुई है। ऐसे मे 1 डॉक्टर के ऊपर 46 हज़ार 376 लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा है।

बहराइच में झोलाछाप डॉक्टरों की ऐश

ज़िले में डॉक्टरों की कमी की वजह से ही झोलाछाप डॉक्टरों का धंधा खूब फलफूल रहा है। ज़िले के लोग कहते हैं कि डॉक्टर नहीं है इसलिए मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता है। तेजवापुर ब्लॉक में हेमरिया ग्राम सभा के शंकर (35 साल) बताते हैं, 'गाँव से सरकारी अस्पताल दूर होने के कारण हम यहीं झोलाछाप डॉक्टर से इलाज़ करा लेते हैं, जितने में हमारा सरकारी अस्पताल आने जाने का खर्चा होता है, उतने में झोलाछाप डॉक्टर मरीज का इलाज़ कर देते हैं और ज्यादा गंभीर बीमारी होने पर ही हम मरीज़ को जिला चिकित्सालय ले जाते हैं।'

हेमरिया के ग्राम सभा के ही कुट्टी निवासी रामसेवक (62 साल) बताते हैं '6,000 की आबादी वाले हमारे गाँव से 8 किलोमीटर की दूरी पर ज़िला चिकित्सालय है जबकि झोलाछाप डॉक्टर कम पैसे में गाँव में ही मिल जाते हैं जब कोई ज्यादा परेशानी होती है तब हम ज़िला चिकित्सालय का रुख करते हैं।'

झोलाछाप डॉक्टरो की चिकित्सा शैली जानने के लिए जब हम कृष्णा कुमार (काल्पनिक नाम) के पास पहुंचे तो उसने बताया की हम लोग किसी बड़े डॉक्टर के यहां कुछ साल कंपाउंडर की तरह काम करते हैं और उसी तजुर्बे के आधार पर मरीजों का इलाज करते हैं, अगर बीमारी बड़ी हुई तो उसे एमबीबीएस. डॉक्टर के पास भेज देते हैं।

रिपोर्टर - प्रशांत श्रीवास्तव

 

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