भीषण जल संकट की ओर कानपुर, औसत से दोगुना घटा भूजल स्तर
गाँव कनेक्शन 4 Feb 2016 5:30 AM GMT

कानपुर। शहर में जिस तरह से भूगर्भ जल का स्तर हर साल तेजी से घाट रहा है उस हिसाब से आने वाले कुछ वर्षों में शहर में भीषण जल संकट आ जायेगा। कानपुर शहर का जल प्रति वर्ष औसतन 45 सेन्टीमीटर कम हो रहा था, लेकिन बीते साल इसने रिकार्ड कायम कर दिया है। कम बारिश के चलते 2015 में शहर का भूगर्भ जल स्तर 70 सेन्टीमीटर तक नीचे गया है।
भूगर्भ जल विभाग के अनुसार सामान्य तौर पर 12 मीटर पर खुदाई में जमीन के भीतर पानी मिल जाना चाहिए, लेकिन कानपुर में अब कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं बचा है जहां पर 12 मीटर पर भूगर्भ जल मिल सके। भूगर्भ जल विभाग के सर्वे के मुताबिक वर्तमान में कानपुर शहर में 20 से 30 मीटर पर भूगर्भ जल का स्तर पहुंच गया है और अगर यही हालात रहे है तो आने वाले दस सालों में शहर में पानी का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। पिछले दो सालों में शहर के 90 फीसदी सबमर्सिबल बैठ गए है और लोगों को या तो नयी बोरिंग करानी पड़ी या पांच से दस फिट तक नीचे पाइप बढ़ाने पड़े हैं।
भूगर्भ जल विभाग ने शहर के भूगर्भ जलस्तर सर्वे रिपोर्ट बनाई है, जिसके आंकड़े अत्यंत चिंताजनक है। उस रिपोर्ट के आंकड़ों के आधार पर शहर में 2005 से हर साल 45 सेंटीमीटर के हिसाब से पानी का स्तर नीचे जा रहा है। जबकि पिछले वर्ष तो स्थिति और भी भयावह हो गयी कम बारिश के चलते 2015 में शहर का भूगर्भ जल स्तर 70 सेन्टीमीटर तक घट गया।
शहर के निवासी राजन मिश्रा ने बताया, ''आज से कुछ वर्ष पहले पानी आठ से 10 मीटर पर मिल जाया करता था, लेकिन अब स्थिति यह हो गयी है की बीच शहर में पानी का स्तर 20 से 30 मीटर तक पहुंच गया है।"
प्रमुख सचिव आवास सदाकांत ने एक शासनादेश जारी करते हुए जल संरक्षण की व्यवस्था अनिवार्य रूप से लागू कराने को कहा है। उन्होंने आदेश दिया कि, ''विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व आवास विकास परिषद के आयुक्त रेनवाटर हार्वेस्टिंग मौके पर न मिलने पर जवाबदेह होंगे।"
आवास विभाग ने 300 वर्ग मीटर से अधिक बड़े भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग बनवाना अनिवार्य कर रखा है। विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद ऐसे भवनों के लिए नक्शा भी इसी शर्त पर पास करते हैं। इसके बाद भी अधिकतर भवनों में इसका निर्माण नहीं कराया जाता। वर्तमान समयं में रेनवाटर हार्वेस्टिंग की स्थिति काफी निराशाजनक है।"
रिपोर्टिंग - राजीव शुक्ला
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