बिहार में बिना जिग जैग प्रौद्योगिकी वाले ईंट-भट्ठों पर लगेगी रोक

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बिहार में बिना हरित प्रौद्योगिकी वाले ईंट भट्ठों को एक सितम्बर से चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह बात बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कही।

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बिहार में बिना जिग जैग प्रौद्योगिकी वाले ईंट-भट्ठों पर लगेगी रोक

नई दिल्ली। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बिहार में बिना हरित प्रौद्योगिकी वाले ईंट भट्ठों को एक सितम्बर से चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह बात आज यहां बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कही। मोदी ने राज्यों को भी 15 वर्ष से ज्यादा पुराने वाहनों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने का कानूनी अधिकार राज्य सरकारों को देने के लिये मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन करने का केन्द्र सरकार को सुझाव दिया।

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विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के दौरान एक सम्मेलन में मोदी ने कहा कि बिहार सरकार ने जिन ईंट -भट्ठों में 'जिग जैग प्रौद्योगिकी' नहीं हैं उन्हें प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्द्धन की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के सम्मेलन में बिहार के वन एवं पर्यावरण मंत्री के रूप में हिस्सा ले रहे मोदी ने यहां कहा , " एक लाख ईंट बनाने के लिए परंपरागत ईंट -भट्ठे द्वारा 12 टन कोयले का इस्तेमाल किया जाता है। जिग - जैग प्रौद्योगिकी से इतनी ही ईंट बनाने में 9.9 टन कोयले का इस्तेमाल होता है।" जिग- जैग ईंट - भट्ठों से आने वाली गर्म हवाएं परम्परागत भट्ठे की तुलना में तीन गुना ज्यादा रास्ता तय करती हैं जिनसे ऊष्मा स्थानांतरण में सुधार आता है। उन्होंने इस तकनीक के पर्यावरण हितैषी पहलुओं का जिक्र करते हुये सम्मेलन में मौजूद अन्य राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों से भी जिग जैग तकनीक को अपनाने की अपील की।

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इस दौरान मोदी ने वन भूमि के स्थानांतरण में ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू करने की वकालत की। उन्होंने बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज में बायोमेडिकल कचरा संयंत्र स्थापित करने की खातिर नियमों में बदलाव करने और 15 वर्ष से ज्यादा पुराने वाहनों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने का कानूनी अधिकार राज्य सरकारों को देने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के नर्णिायक लक्ष्य को हासिल करने में राज्यों के अपेक्षित सहयोग को सुनश्चिति करने के लिये इन उपायों को केन्द्र सरकार के स्तर पर तत्काल प्रभावी करने की जरूरत है। बाद में सम्मेलन को संबोधित करते हुये डा . हर्षवर्धन ने मोदी के सुझावों पर गौर करने का भरोसा दिलाते हुये सभी राज्यों से पर्यावरण संरक्षण के उपायों को लागू करने की दिशा में प्रशासनिक एवं अन्य स्तरों पर आ रही तकनीकी बाधाओं को साझा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में पेश किये गये सभी सुझावों पर सकारात्मक रूप से संज्ञान लिया जायेगा।



क्या है जिग-जैग तकनीक

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और ईंट की गुणवत्ता को लेकर ईंट भट्ठों को जिग जैग तकनीक के साथ संचालित किये जाने की योजना है। पुराने ढर्रे पर चल रहे ईंट भट्ठों में आमतौर पर ईंट पकाने में 25-30 टन कोयला खर्च होता है। नयी तकनीक में मात्र 16 टन में काम हो जायेगा। इसके अलावे जिग-जैग तकनीक के आने से जहां एक ओर साधारण ईंट भट्ठों में आमतौर पर ईंट पकाने के लिए छल्लियों में सीधी हवा दी जाती है। वहीं जिग-जैग में टेढ़ी मेढ़ी लाइन बना कर हवा दी जाती है। इससे लागत खर्च कम आयेगा। साथ ही ईंटों की गुणवत्ता भी अच्छी होगी और 90 से 95 फीसदी ईंट अच्छी निकलेगी।

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